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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में राज्यपाल रमेन डेका के गोद ग्राम बिजली और फिंगेश्वर विकासखंड के अन्य क्षेत्रों में 'चमत्कारिक इलाज' के बहाने आयोजित चंगाई सभाओं में धर्मांतरण और मतांतरण की शिकायतों ने तूल पकड़ लिया है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने इन गतिविधियों पर कड़ा ऐतराज जताते हुए रविवार को बिजली और बेलटुकरी गांवों में चल रही ऐसी सभाओं का घेराव किया। कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अवैध मतांतरण पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो जिले भर में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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'चमत्कार' के नाम पर धर्मांतरण का आरोप
स्थानीय ग्रामीणों और विहिप के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि बिजली, बेलटुकरी, और लफेंदी जैसे गांवों में बिना सरकारी अनुमति के चंगाई सभाएं आयोजित की जा रही हैं। इन सभाओं में गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को गंभीर बीमारियों के 'चमत्कारिक इलाज' का लालच देकर आकर्षित किया जाता है।
ग्रामीणों के अनुसार, आयोजक पहले प्रार्थना सभाओं के जरिए लोगों को जोड़ते हैं और फिर हिंदू देवताओं राम, कृष्ण, और महादेव की शक्ति पर सवाल उठाकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाते हैं।
आयोजकों ने पुलिस और विहिप कार्यकर्ताओं के सामने स्वीकार किया कि चंगाई सभाएं बिना अनुमति के अवैध तरीके से संचालित की जा रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सभाओं में 'प्रभु यीशु' के चमत्कारों का दावा करते हुए हिंदू धर्म की मान्यताओं को कमजोर करने की कोशिश की जाती है।
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सुरसाबांधा में युवती की मौत ने बढ़ाया विवाद
इस इलाके में मतांतरण और चंगाई सभाओं के चमत्कार से बीमारी ठीक करने की बात उस समय सामने आई, जब ग्रामीणों ने बताया कि तीन माह पूर्व फिंगेश्वर ब्लॉक के सुरसाबांधा गांव में एक चंगाई सभा हुई थी। इसमें कथित 'इलाज' के बीच एक युवती की दर्दनाक मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद भी ऐसी सभाएं बेरोकटोक जारी हैं, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन सभाओं में चमत्कार के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन कई बार ये जानलेवा साबित हो रहे हैं।
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विहिप और बजरंग दल का कड़ा रुख
विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष प्रकाश निर्मलकर और संयोजक मोहित साहू के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने बिजली, बेलटुकरी, और लफेंदी में चल रही सभाओं का निरीक्षण किया और आयोजकों से कड़ाई से सवाल-जवाब किए। विहिप ने आरोप लगाया कि ये सभाएं संगठित तरीके से हिंदुओं को मतांतरण के लिए प्रेरित करने का हिस्सा हैं।
निर्मलकर ने कहा, "पैसों का लालच, कथित जादुई शक्तियों का दावा, और भावनात्मक ब्लैकमेलिंग के जरिए हिंदू समाज को तोड़ा जा रहा है। अगर यह नहीं रुका, तो हम जिले भर में उग्र आंदोलन करेंगे।"विहिप और बजरंग दल ने पुलिस को ज्ञापन सौंपकर तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने इस मामले में ढिलाई बरती, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की कि ऐसी सभाओं के आयोजकों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए और अवैध मतांतरण पर रोक लगाई जाए।
धर्मांतरण का व्यापक नेटवर्क
यह मामला छत्तीसगढ़ में मतांतरण की बढ़ती घटनाओं का हिस्सा माना जा रहा है। हाल ही में लखनऊ में विश्व हिंदू रक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने दावा किया था कि देश भर में हर महीने करीब दो लाख हिंदुओं को संगठित साजिश के तहत ईसाई या अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जा रहा है। उन्होंने इसे "वैचारिक युद्ध" करार देते हुए कहा कि लव जिहाद, लैंड जिहाद, और एजुकेशन जिहाद जैसे तरीकों से हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिश हो रही है।
छत्तीसगढ़ के इस मामले में भी स्थानीय लोगों का कहना है कि चंगाई सभाओं के पीछे एक सुनियोजित नेटवर्क काम कर रहा है, जो गरीब और अशिक्षित लोगों को निशाना बनाता है। आयोजक पहले छोटे समूहों में प्रार्थना सभाएं आयोजित करते हैं, फिर चमत्कार और आर्थिक मदद के वादे करके लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हैं।
पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव
मतांतरण की इन गतिविधियों का असर केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी पड़ रहा है। बिहार के गया जिले में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं, जहां महादलित समुदाय के लोगों को चमत्कार के नाम पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
वहां एक महिला ने बताया कि पादरी ने 'शैतान भगाने' के नाम पर प्रार्थना की, जिसके बाद उसने धर्म परिवर्तन कर लिया। छत्तीसगढ़ में भी ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी सभाएं सामाजिक एकता को कमजोर कर रही हैं। स्थानीय हिंदू परंपराओं और रीति-रिवाजों को छोड़कर लोग नई मान्यताओं को अपनाने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जिससे सामुदायिक तनाव बढ़ रहा है।
प्रशासन की भूमिका और चुनौतियां
इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। विहिप का कहना है कि बिना अनुमति के चल रही इन सभाओं पर पहले से कार्रवाई होनी चाहिए थी। सुरसाबांधा में युवती की मौत के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसने आयोजकों के हौसले बुलंद किए। पुलिस ने ज्ञापन स्वीकार कर जांच का आश्वासन दिया है।
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