BHOPAL.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप ( live-in relationship ) को भारतीय संस्कृति के लिए कलंक बताया हैं। कोर्ट ने मुस्लिम पिता और हिंदू माता से उत्पन्न बच्चे के देखभाल का अधिकार पिता को देने से इनकार कर दिया। जस्टिस गौतम भादुड़ी और संजय एस अग्रवाल की डबल बेंच ने लिव इन रिलेशनशिप में बने संबंध से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी मामले में सख्त टिप्पणी भी की।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल बच्चे की कस्टडी को लेकर पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं इसी मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज के कुछ क्षेत्रों में अपनाए जाने वाली लिव इन रिलेशनशिप अभी भी भारतीय संस्कृति में कलंक के रूप में जारी है। इसी के साथ हाईकोर्ट का कहना है लिव इन रिलेशनशिप आयातित धारणा है, जो कि भारतीय रीति की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।
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हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
इस मामले को लेकर अदालत ने कहा है की एक विवाहित व्यक्ति के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर आना बहुत आसान है। .इसी के साथ कोर्ट का कहना है कि ऐसे मामलों में उक्त कष्टप्रद लिव इन रिलेशनशिप में धोखा खा चुकी महिला की वेदनीय स्थिति ( painful situation ) और उक्त रिश्ते से उत्पन्न संतानों के संबंध में अदालत अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है। अदालत ने इस रिश्ते को भारतीय मान्यताओं के खिलाफ बताया है।