छत्तीसगढ़ के कवर्धा और बलरामपुर जिलों में गौ तस्करी के बढ़ते मामलों ने प्रशासन और समाजसेवियों को चिंतित कर दिया है। बीते दिनों कवर्धा जिले के ग्राम बिजाझोरी (हरिनछपरा) में 70 से अधिक गौवंशों और बछड़ों की तस्करी का मामला सामने आया। इस दौरान समाजसेवियों की मुस्तैदी से मवेशियों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया, जबकि बलरामपुर में एक अन्य कार्रवाई में 22 बैल मुक्त कराए गए और 11 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया।
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कवर्धा: गौरक्षकों की सतर्कता से बची 70 से अधिक गायें
कवर्धा जिला मुख्यालय से महज़ 8 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे पर स्थित ग्राम बिजाझोरी (हरिनछपरा) में बड़ी मात्रा में गौ तस्करी की जा रही थी। लेकिन समय रहते युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष तुकाराम चंद्रवंशी और बजरंग दल के जिला गौरक्षा प्रमुख प्रांजल तिवारी की सक्रियता से 70 से अधिक गौवंशों को मुक्त कराया गया।
इस अभियान के दौरान 11 से अधिक गौतस्करों को पकड़ा गया, जिन्हें बाद में प्रशासन को सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
गंभीर मामला होने के बावजूद घटना की जानकारी कलेक्टर, एसडीएम और एएसपी को फोन पर दी गई, लेकिन दो घंटे बीत जाने के बाद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी और प्रशासनिक निष्क्रियता को लेकर असंतोष देखा गया।
फिलहाल, सभी गौवंशों को हरिनछपरा स्थित एक निजी फैक्ट्री परिसर में सुरक्षित रखा गया है। गौरक्षकों और ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि गौतस्करों पर कठोर कार्रवाई हो और जिले में गौ तस्करी को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
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बलरामपुर: जंगल के रास्ते ले जाई जा रही थी मवेशियां
बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत औरंगा गांव में गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 22 बैलों को छुड़ाया और 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार, तस्कर जंगल के रास्ते इन मवेशियों को बूचड़खाने ले जाने की फिराक में थे। मुखबिर से मिली जानकारी के बाद रामचंद्रपुर पुलिस ने तत्काल घेराबंदी की और तस्करों को मौके पर ही पकड़ लिया।
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स्थानीय जनता और गौरक्षकों की मांग
इन घटनाओं के बाद गौरक्षकों और ग्रामीण संगठनों ने शासन से यह मांग की है कि गौतस्करी रोकने के लिए जिलेवार टास्क फोर्स गठित की जाए।बॉर्डर इलाकों और हाइवे पर निगरानी बढ़ाई जाए। पकड़े गए तस्करों पर गौवध निषेध अधिनियम के तहत सख्त धाराओं में मामला दर्ज किया जाए।गौशालाओं को सहायता दी जाए ताकि मुक्त कराए गए मवेशियों की देखरेख उचित रूप से की जा सके।
छत्तीसगढ़ में गौ तस्करी अब केवल एक आपराधिक गतिविधि नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन चुकी है। लगातार सामने आ रहे मामलों से यह स्पष्ट है कि इस पर रोकथाम के लिए सरकार और प्रशासन को मिलकर ठोस रणनीति अपनानी होगी, ताकि गौवंशों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और अपराधियों को कानून के दायरे में लाया जा सके।
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