कटघोरा में CSEB का राखड़ बांध टूटा, बहने लगा गांव तो जान बचाकर भागे ग्रामीण

छत्तीसगढ़ के कटघोरा के ग्राम डिंडोलभाटा में अलसुबह भारी बारिश ने तबाही मचा दी। यहां CSEB का राखड़ बांध अचानक टूट गया। बांध के टूटने से राखड़ का सैलाब गांव में घुस गया, जिससे भयभीत ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।

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Krishna Kumar Sikander
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CSEB ash dam broke in Katghora the sootr
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छत्तीसगढ़ के कटघोरा के ग्राम डिंडोलभाटा में अलसुबह भारी बारिश ने तबाही मचा दी। यहां छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (CSEB) का राखड़ बांध अचानक टूट गया। बांध के टूटने से राखड़ का सैलाब गांव में घुस गया, जिससे भयभीत ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। इस घटना ने न केवल गांव वालों की जिंदगी को खतरे में डाला, बल्कि CSEB प्रबंधन की लापरवाही को भी उजागर किया, जिसके खिलाफ ग्रामीणों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है।

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यह हुआ घटना के दौरान

सुबह करीब 4 बजे तेज बारिश के कारण डिंडोलभाटा के पास स्थित CSEB के राखड़ बांध का एक हिस्सा अचानक ढह गया। बांध में जमा कोयले की राख पानी के साथ मिलकर कीचड़ के रूप में गांव की गलियों, घरों और खेतों में फैल गई। कई घरों में राखड़ घुसने से सामान और फसल को भारी नुकसान हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि राखड़ का तेज बहाव देखकर लोग रात के अंधेरे में अपने परिवार और बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। कुछ बुजुर्गों और बच्चों को निकालने में स्थानीय युवाओं ने मदद की, जिससे बड़ा हादसा टल गया।

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प्रशासन का राहत-बचाव अभियान

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंच गया। प्रशासन ने गांव को खाली कराने के लिए तत्काल कदम उठाए और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है, जहां लोगों के लिए भोजन, पानी और अस्थायी आश्रय की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन टीम को भी सक्रिय कर दिया है, जो नुकसान का आकलन और बचाव कार्य में जुटी हुई है। समाचार लिखे जाने तक किसी जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन संपत्ति और फसलों को हुए नुकसान ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।

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CSEB की लापरवाही पर सवाल

स्थानीय लोगों का आरोप है कि CSEB प्रबंधन ने बांध की मरम्मत और रखरखाव में घोर लापरवाही बरती। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के मौसम से पहले बांध की मजबूती की जांच नहीं की गई, जिसके चलते यह हादसा हुआ। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि बांध में पहले भी रिसाव की शिकायतें थीं, लेकिन प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस घटना ने न केवल पर्यावरणीय खतरे को उजागर किया है, बल्कि बांध के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा

राखड़ बांध के टूटने से फैली कोयले की राख पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। राख में मौजूद जहरीले तत्व खेतों और जल स्रोतों में मिल गए हैं, जिससे पानी और मिट्टी प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही सफाई और पुनर्वास के कदम नहीं उठाए गए, तो इसका दीर्घकालिक असर ग्रामीणों के स्वास्थ्य और आजीविका पर पड़ सकता है।

ग्रामीणों में आक्रोश, मुआवजे की मांग

हादसे के बाद गांव में गुस्सा और निराशा का माहौल है। ग्रामीणों ने CSEB प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है और मांग की है कि नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल मुआवजा दिया जाए। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी उठ रही है। कुछ ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि बांध को पूरी तरह हटाकर गांव को सुरक्षित किया जाए।

जांच समिति गठित करने का आश्वासन 

प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया है, जो बांध टूटने के कारणों और प्रबंधन की लापरवाही की जांच करेगी। इसके साथ ही, प्रभावित परिवारों को राहत और पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की संभावना है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिसके चलते प्रशासन ने गांव वालों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है।

औद्योगिक इकाइयों की लापरवाही 

कटघोरा की यह घटना एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों की लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर करती है। ग्रामीणों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन और CSEB प्रबंधन की जिम्मेदारी अब केवल राहत कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना भी जरूरी है।

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