छत्तीसगढ़ विधानसभा में साइबर अपराध पर हंगामा, सत्ता पक्ष के विधायकों ने गृहमंत्री से पूछे तीखे सवाल

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन साइबर अपराधों का मुद्दा प्रमुखता से उठा। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने अपनी ही सरकार को इन बढ़ते मामलों पर घेरते हुए गृहमंत्री विजय शर्मा से तीखे प्रश्न किए।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन, 16 जुलाई 2025 को साइबर अपराध का मुद्दा जोर-शोर से उठा। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर गृहमंत्री विजय शर्मा से तीखे सवाल किए। रायपुर दक्षिण के विधायक सुनील सोनी, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर ने प्रश्नकाल के दौरान साइबर अपराधों की रोकथाम, विशेषज्ञों की नियुक्ति और ठगी की राशि की वसूली को लेकर सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए।

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साइबर ठगी के बढ़ते मामले पर विधायकों की चिंता

सुनील सोनी ने सदन में कहा कि छत्तीसगढ़ में साइबर ठगों का जाल तेजी से फैल रहा है, और आम लोग लगातार इसका शिकार हो रहे हैं। उन्होंने साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेषज्ञों की कमी पर सवाल उठाया और कहा, “साइबर थाना तो है, लेकिन लोग इसे ढूंढ नहीं पाते। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि 16,000 से अधिक साइबर अपराध दर्ज हुए हैं।”

सोनी ने यह भी पूछा कि जनवरी 2024 से जून 2025 तक कितने अपराधियों को जेल भेजा गया।इसके जवाब में गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि रायपुर में न केवल साइबर थाना, बल्कि एक समग्र कम्पोजिट साइबर भवन भी स्थापित है। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि साइबर विशेषज्ञों की नियुक्ति जल्द की जाएगी और छह महीने की विशेष प्रशिक्षण प्राप्त पुलिसकर्मी पहले से ही कार्यरत हैं।

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शर्मा ने एनसीआरबी के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2022 के बाद कोई नया डेटा जारी नहीं हुआ, और साइबर अपराध के 1,301 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सात आरोपियों को जेल भेजा गया है, जिनमें बैंक कर्मचारियों के खिलाफ तीन मामले शामिल हैं।

107 करोड़ की ठगी, केवल 3 करोड़ की वसूली

भाजपा विधायक राजेश मूणत ने साइबर अपराधों की रोकथाम में ढिलाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। “लगभग 107 करोड़ रुपये की ठगी हुई, लेकिन केवल 3 करोड़ रुपये ही वापस हो पाए। इस समस्या से निपटने के लिए आईजी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए।” जवाब में गृहमंत्री ने बताया कि ठगी की राशि की वसूली कोर्ट की प्रक्रिया से होकर गुजरती है और आईजी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है।


साइबर कमांडो और विशेषज्ञों की भर्ती पर सवाल

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने साइबर अपराध रोकने के लिए तैयार किए गए कमांडो और विशेषज्ञों की भर्ती की स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “साइबर क्राइम रोकने के लिए कितने कमांडो तैयार किए गए हैं, और विशेषज्ञों की भर्ती कब तक पूरी होगी?” गृहमंत्री ने जवाब दिया कि विशेषज्ञों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है और जल्द पूरी होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रत्येक जिले में साइबर सेल स्थापित किए गए हैं, जो साइबर अपराधों पर नजर रख रहे हैं। 

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साइबर अपराध में छत्तीसगढ़ की चुनौती

छत्तीसगढ़ में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है। ऑनलाइन फ्रॉड, फिशिंग, और डिजिटल ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिसके लिए प्रभावी तकनीकी और प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत है। विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि साइबर थानों की जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है, और ठगी की राशि की वसूली में देरी पीड़ितों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

सदन में तीखी बहस, सरकार पर दबाव

सत्तारूढ़ दल के विधायकों द्वारा अपनी ही सरकार पर सवाल उठाना इस सत्र की एक बड़ी घटना रही। यह पहली बार नहीं है जब सत्तापक्ष के विधायकों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया हो। सुनील सोनी, राजेश मूणत, और अजय चंद्राकर के सवालों ने साइबर अपराध जैसे गंभीर मुद्दे पर सरकार की तैयारियों की पोल खोल दी। गृहमंत्री विजय शर्मा ने जवाब में कई कदमों का जिक्र किया, लेकिन विधायकों ने इन प्रयासों को अपर्याप्त बताते हुए और ठोस कार्रवाई की मांग की।

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विधानसभा में आगे भी चर्चा होने की संभावना

साइबर अपराधों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को न केवल विशेषज्ञों की भर्ती और प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा, बल्कि जन-जागरूकता अभियान भी चलाने होंगे। गृहमंत्री के आश्वासन के बाद अब यह देखना होगा कि सरकार साइबर थानों और सेल की कार्यक्षमता को कैसे बढ़ाती है और ठगी की राशि की वसूली के लिए क्या कदम उठाती है। इस मुद्दे पर विधानसभा में आगे भी चर्चा होने की संभावना है, क्योंकि साइबर अपराध न केवल आर्थिक नुकसान, बल्कि सामाजिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन रहा है।

सत्तापक्ष के विधायकों ने ही सरकार को घेरा

छत्तीसगढ़ विधानसभा में साइबर अपराध पर हुई तीखी बहस ने सरकार की तैयारियों और कमियों को उजागर किया है। सत्तापक्ष के विधायकों ने अपनी ही सरकार से जवाब मांगकर यह स्पष्ट कर दिया कि साइबर अपराध जैसे गंभीर मुद्दे पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। गृहमंत्री के आश्वासनों के बाद अब जनता और विधायकों की नजर सरकार के अगले कदमों पर टिकी है।

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