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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने शून्य काल में रेत के अवैध उत्खनन (illegal sand mining) का मुद्दा उठाया। वहीं विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा भी किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अवैध रेत खनन पुलिस और माइनिंग अधिकारियों की निगरानी में हो रहा है। उन्होंने कहा, "खदानों में गोलियां चल रहीं हैं और जिंदा आदमियों पर ट्रक चढ़ा दिए जा रहे हैं।"
सदन में विपक्ष की स्थगन प्रस्ताव की मांग नहीं मानी गई और विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद विपक्ष हंगामा करते हुए सदन को वॉयकॉट कर बाहर आ गया।
रेत माफिया पर अधिकारियों ने क्या कहा?
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि माइनिंग अधिकारियों के पास रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई आदेश नहीं हैं। उमेश पटेल ने प्रशासन को लेकर भी तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा जब अधिकारियों से इस मामले में सवाल करते हैं तो उनका अलग ही जवाब होता है। अधिकारी कहते हैं कि उन्हें ऊपर से आदेश है कि माफियाओं को पकड़ा नहीं जाए। इस मामले में कार्यवाही नहीं की जाती है।
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अवैध रेत खनन की खबरों को दबाने का प्रयास
देवेंद्र यादव ने कहा कि इस समय पत्रकार भी सुरक्षित नहीं हैं। अवैध रेत खनन की खबरों को दबाने के लिए पत्रकारों के खिलाफ भी हिंसा का सहारा लिया जा रहा है। प्रदेश में रेत माफिया पूरी तरह से हावी है।
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माफियाओं की गुंडागर्दी
विपक्ष का आरोप है कि रेत माफियाओं की गुंडागर्दी चल रही है। दिलीप लहरिया ने कहा कि महानदी (Mahanadi) में कई जगहों पर बारिश के दौरान रेत की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जबकि रेत माफिया खुलेआम काम कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि रेत खनन नदियों को खाली कर रहा है। "यदि आपके जिले में गोलियां चल रही हैं, तो यह मामला गंभीर हो जाता है।"
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सदन में नहीं दी चर्चा की अनुमति
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस मामले पर स्थगन की सूचना मिलने के बावजूद, सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दी। इसके बाद विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया और यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया।
4 पॉइंट में समझें पूरी खबरविपक्ष का आरोप: विपक्ष ने विधानसभा में शून्य काल में अवैध रेत उत्खनन का मुद्दा उठाया। डॉ. चरणदास महंत ने कहा, "रेत खनन पुलिस और माइनिंग अधिकारियों की निगरानी में हो रहा है।" सदन में चर्चा की अस्वीकृति: विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने से मना कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने सदन से बाहर जाने का निर्णय लिया। माइनिंग अधिकारियों पर आरोप: विपक्ष ने कहा कि अधिकारियों के पास रेत माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस आदेश नहीं है, और कार्रवाई नहीं हो रही है। पत्रकारों के खिलाफ हिंसा: देवेंद्र यादव ने कहा कि अवैध रेत खनन की खबरों को दबाने के लिए पत्रकारों के खिलाफ हिंसा का सहारा लिया जा रहा है। |
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18 महीने में स्थिति गंभीर
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि पिछले 18 महीनों में स्थिति बहुत गंभीर हो गई है। बाहरी रेत माफिया गैंगवार, गोलीबारी, चाकूबाजी और वाहनों से कुचलने जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। बलरामपुर जिले में बाहरी रेत माफियाओं ने एक पुलिस आरक्षक को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा, अवैध रेत खनन से जुड़े कुछ लोगों ने वन विकास निगम के अधिकारियों की जमकर पिटाई की। राजनांदगांव में एक अन्य घटना में अवैध रेत माफियाओं ने ग्रामीणों पर गोलियां चलाईं।
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रेत माफियाओं ने कब-कब किया हमला
10 जून को हुई फायरिंग: राजनांदगांव जिले के बसंतपुर थाना क्षेत्र के मोहड़ गांव में अवैध रेत खनन रोकने गए ग्रामीणों पर रेत माफियाओं ने फायरिंग की। इस गोलीबारी में 2 युवक घायल हो गए थे। यह घटना 10 जून 2025 की रात को हुई। उस रात ग्रामीण रेत की चोरी रोकने के लिए मौके पर पहुंचे थे। चोरी रोकने गए ग्रामीणों पर रेत माफियाओं ने चार से पांच राउंड फायरिंग की।
इस गोलीबारी में एक युवक, रोशन मंडावी, के सिर को गोली छूते हुए निकल गई। इस गोलीबारी में दो अन्य लोग भी घायल हुए थे।
9 जून को पत्रकार पर हमला: 9 जून 2025 को गरियाबंद जिले में पत्रकार अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग के लिए पितईबंद के रेत खदान पहुंचे थे। वहां पत्रकारों को देख कर कुछ लोग जो रेत माफिया से जुड़े हुए थे, वहां पहुंचे और गुस्से में आ गए। इन माफिया के गुर्गों के पास हथियार थे, और उन्होंने पत्रकारों के साथ मारपीट करने से पहले दो बार हवाई फायरिंग भी की। पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा।
11 मई को आरक्षक की हत्या: बलरामपुर जिले के सनावल थाना क्षेत्र में 11 मई 2025 की रात अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी। तभी ग्राम लिबरा स्थित कनहर नदी में अवैध रेत खनन किया जा रहा था। पुलिस टीम कार्रवाई के लिए पहुंची थी। पुलिस टीम ने ट्रैक्टर को रोकने की कोशिश की, तो रेत माफिया के चालक ने गाड़ी को न रोकते हुए पुलिस के आरक्षक को कुचलते हुए भाग निकला। आरक्षक शिव बचन सिंह उम्र 43 की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।
12 सितंबर को वन अमले पर हमला: कवर्धा जिले में अवैध रेत खनन के खिलाफ 12 सितंबर 2024 को कार्रवाई करने गए वन अमले पर रेत माफियाओं ने हमला किया। टीम ग्राम डालामौहा के कुदूर झोरी नाले में अवैध रेत खनन की जानकारी मिलने पर पहुंची थी। सर्कल प्रभारी गणेश चंद्रवंशी और उनके सहयोगियों ने रात 10.30 बजे मौके पर पहुंचकर कार्रवाई शुरू की।
वनकर्मियों ने पाया कि ग्राम डालामौहा में रेत से भरा एक ट्रैक्टर-ट्रॉली कीचड़ में फंसा हुआ था, और नाला में दो अन्य ट्रैक्टर भी दिखाई दे रहे थे। टीम ने कार्रवाई शुरू की। तभी ग्रामीणों के साथ मिलकर रेत माफियाओं ने वन कर्मियों के साम मारपीट की। इस घटना में वन कर्मी गणेश चंद्रवंशी और अनिल कुर्रे गंभीर रूप से घायल हो गए।
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