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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। जिले के मोसलमड़गू के घने जंगलों में नक्सलियों द्वारा छिपाए गए भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और अन्य खतरनाक उपकरणों को बरामद किया गया है। यह सामग्री सुरक्षा बलों पर बड़े हमले की तैयारी के लिए जमा की गई थी, जिसे समय रहते जब्त कर लिया गया। इस सफलता ने न केवल नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
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नक्सल उन्मूलन अभियान में बड़ी कामयाबी
सुकमा जिला, जो लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का गढ़ रहा है, में सुरक्षा बल लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं। बुधवार, 16 जुलाई 2025 को, खुफिया जानकारी के आधार पर जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), 50वीं वाहिनी की ई/कॉय और 219वीं वाहिनी की सी/कॉय की संयुक्त टीम ने भेज्जी थाना क्षेत्र के अंतर्गत मोसलमड़गू जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों द्वारा जंगल में छिपाए गए सामग्री के एक बड़े जखीरे को बरामद किया। यह सामग्री सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निशाना बनाने की नीयत से जमा की गई थी।
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बरामद सामग्री की सूची
सुरक्षा बलों ने निम्नलिखित विस्फोटक और अन्य सामग्रियों को जब्त किया गया।
अमोनियम नाइट्रेट पाउडर : लगभग 15 किलोग्राम, जिसका उपयोग शक्तिशाली विस्फोटक उपकरण बनाने में किया जाता है।
इलेक्ट्रिक डेटोनेटर : 30 नग, जो विस्फोट को ट्रिगर करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
जिलेटिन स्टिक : 26 नग, जो आमतौर पर विस्फोटक उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।
क्लेमोर माइन पाइप : 3 नग, जो घातक हमलों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
बिजली वायर : लगभग 100 मीटर, जो विस्फोटक उपकरणों को सक्रिय करने के लिए उपयोगी है।
चूना डिब्बा : 8 नग, जो संभवतः विस्फोटक सामग्री को छिपाने या परिवहन के लिए उपयोग किए गए।
बड़ा प्लास्टिक कंटेनर : 1 नग, जिसमें अन्य सामग्री रखी गई थी।
अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं : नक्सलियों के दैनिक कार्यों से संबंधित सामग्री।
नक्सलियों की साजिश का खुलासा
सुरक्षा बलों के अनुसार, बरामद सामग्री से स्पष्ट है कि नक्सली किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे। अमोनियम नाइट्रेट और जिलेटिन स्टिक जैसे विस्फोटक पदार्थों का उपयोग सड़क किनारे बम (IED) बनाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने के लिए किया जाता है। क्लेमोर माइंस जैसी सामग्री विशेष रूप से घातक होती है, जो बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम होती हैं। इस बरामदगी ने न केवल नक्सलियों की योजना को विफल किया, बल्कि क्षेत्र में तैनात जवानों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया।
सुरक्षा बलों की सतर्कता और रणनीति
सुकमा में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत सुरक्षा बलों की सतर्कता और समन्वित कार्रवाई ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया। डीआरजी और सीआरपीएफ की टीमें लगातार खुफिया जानकारी के आधार पर जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। इस अभियान में स्थानीय पुलिस और केंद्रीय बलों का समन्वय सराहनीय रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाइयां नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने और उनके संसाधनों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
स्थानीय लोगों के लिए राहत
मोसलमड़गू जैसे क्षेत्र, जो नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं, में इस तरह की बरामदगी स्थानीय लोगों के लिए भी राहत की बात है। नक्सलियों द्वारा छिपाए गए विस्फोटक न केवल सुरक्षा बलों, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। इस ऑपरेशन ने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया है।
क्या है भविष्य की चुनौतियां?
छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बल नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल के वर्षों में, नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कई नक्सली या तो मारे गए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। हालांकि, सुकमा और बस्तर जैसे क्षेत्रों में अभी भी नक्सली गतिविधियां चुनौती बनी हुई हैं। इस तरह की बरामदगी नक्सलियों के कमजोर पड़ते नेटवर्क को दर्शाती है, लेकिन सुरक्षा बलों को और सतर्क रहने की आवश्यकता है।
नक्सलियों के खतरनाक इरादे नाकाम
सुकमा में विस्फोटक सामग्री की इस बरामदगी ने नक्सलियों के खतरनाक इरादों को नाकाम कर दिया है। सुरक्षा बलों की इस कामयाबी ने न केवल जवानों की जान बचाई, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में भी मदद की। यह ऑपरेशन नक्सलियों को यह संदेश देता है कि उनकी साजिशें अब और कामयाब नहीं होंगी। साथ ही, यह छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों की नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत करता है।
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