एडवांस हुआ धुर नक्सली एरिया, AI से हो रहा इलाज और पढ़ाई

धुर नक्सली इलाके के लोग अब एडवांस हो रहे हैं, जहां पहले नक्सलियों के खौफ से लोग दहशत में रहते थे वहीं के लोग अब स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर रहे हैं।

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Kanak Durga Jha
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dantewada become advanced treatment-education with AI
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धुर नक्सली इलाके के लोग अब एडवांस हो रहे हैं, जहां पहले नक्सलियों के खौफ से लोग दहशत में रहते थे वहीं के लोग अब स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर रहे हैं। प्रदेश के दंतेवाड़ा जिले में लोग अब इलाज और पढ़ाई के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस परिवर्तन को संभव बनाने में अहम भूमिका निभाई है 2021 बैच के आईएएस अधिकारी जयंत नाहटा ने। दंतेवाड़ा में एआई सॉफ्टवेयर का उपयोग अब स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों दोनों में हो रहा है, जिससे इलाके के निवासियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।

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स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई की क्रांति

दंतेवाड़ा के स्वास्थ्य केंद्रों में अब एआई सॉफ्टवेयर के जरिए इलाज की प्रक्रिया आसान हो गई है। हेल्थ असिस्टेंट मॉडल में उम्र, लिंग, लक्षण, जांच और इलाज जैसे पांच सवालों के आधार पर नर्सें मरीजों का इलाज कर रही हैं। इससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, खासकर तब जब डॉक्टरों की उपलब्धता सीमित है। अब नर्सें और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को एआई की मदद से इलाज करने में सहूलियत मिल रही है। एक उदाहरण सामने आया जब एक बच्ची को मधुमक्खी ने काट लिया और उसकी हालत बिगड़ गई। नर्स ने एआई के हेल्थ असिस्टेंट से इलाज करके बच्ची की जान बचाई।

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टेलीमेडिसिन से रोगियों का इलाज

दंतेवाड़ा के स्वास्थ्य केंद्रों में कैमरे और कंप्यूटर लगाए गए हैं, जिससे जिले के डॉक्टर वीडियो कॉल के जरिए रोज 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इससे दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग आसानी से इलाज प्राप्त कर पा रहे हैं, और छोटी बीमारियों का समय पर इलाज हो रहा है।

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शिक्षा में एआई का इस्तेमाल

दंतेवाड़ा के 600 से ज्यादा स्कूलों में भी एआई का उपयोग किया जा रहा है। अब बच्चे एआई सॉफ्टवेयर से सवाल पूछते हैं और इसका जवाब भी पाते हैं। इन स्कूलों में बच्चों के लिए दो घंटे की एआई क्लास लगाई जाती है, जिसमें वे न केवल एआई के बारे में सीखते हैं, बल्कि संस्कृत भी पढ़ते हैं। यह पहल बच्चों को तकनीकी रूप से सक्षम बना रही है और उनका भविष्य उज्जवल कर रही है।


आईएएस जयंत नाहटा की दिशा में बदलाव

आईएएस अधिकारी जयंत नाहटा ने दंतेवाड़ा जिले में जब अपनी सेवा शुरू की, तो उन्होंने महसूस किया कि यहां के गांवों और स्कूलों में सुविधाओं की कमी है। कई स्कूलों में एक ही शिक्षक पर निर्भरता थी, और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी थी। ऐसे में उन्होंने एआई को अपनाने का निर्णय लिया, जो अब दंतेवाड़ा में बदलाव ला रहा है।

इस नई तकनीकी पहल ने न केवल दंतेवाड़ा के लोगों की जीवनशैली में सुधार किया है, बल्कि एक मॉडल भी प्रस्तुत किया है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में एआई का इस्तेमाल कर समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

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FAQ

दंतेवाड़ा में एआई का उपयोग कैसे हो रहा है?
दंतेवाड़ा में एआई का उपयोग मुख्य रूप से दो प्रमुख क्षेत्रों—स्वास्थ्य और शिक्षा में हो रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों पर एआई सॉफ़्टवेयर के जरिए नर्सें मरीजों का इलाज कर रही हैं। इसके अलावा, जिले के 600 से अधिक स्कूलों में बच्चों को एआई के बारे में सिखाया जा रहा है। एआई से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है और शिक्षा में बच्चों को तकनीकी दक्षता मिल रही है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई से क्या लाभ हो रहे हैं?
स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल से इलाज की प्रक्रिया सरल और प्रभावी हो गई है। नर्सें एआई हेल्थ असिस्टेंट का उपयोग करके उम्र, लिंग, लक्षण और इलाज के आधार पर मरीजों का इलाज कर रही हैं, जिससे डॉक्टरों की कमी के बावजूद मरीजों को सही समय पर इलाज मिल रहा है। एक उदाहरण के तौर पर, एआई की मदद से एक बच्ची की जान बचाई गई, जिसे मधुमक्खी ने काट लिया था और उसकी हालत बिगड़ गई थी।
शिक्षा क्षेत्र में एआई से बच्चों को कैसे फायदा हो रहा है?
दंतेवाड़ा के स्कूलों में बच्चों को एआई के बारे में दो घंटे की विशेष क्लास दी जा रही है। इसमें बच्चों को न केवल एआई के बारे में बताया जाता है, बल्कि वे संस्कृत जैसे पारंपरिक विषय भी सीखते हैं। एआई सॉफ़्टवेयर के माध्यम से बच्चे अब सवाल पूछते हैं और इसके जवाब भी पाते हैं, जिससे उनकी तकनीकी समझ और आत्मविश्वास बढ़ रहा है। यह पहल बच्चों को भविष्य के लिए बेहतर तैयार कर रही है।

 

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