जनजातीय गौरव वर्ष में धरती आबा अभियान: घर-घर पहुंचकर बनाया जाएगा आयुष्मान कार्ड

भारत सरकार के निर्देश पर वर्ष 2025 को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस कड़ी में 15 जून से 30 जून तक छत्तीसगढ़ में "धरती आबा, जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान" चलाया जाएगा।

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Harrison Masih
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Dharti Aaba Abhiyan Tribal Pride Year Ayushman Card will be made the sootr
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भारत सरकार के निर्देश पर वर्ष 2025 को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस कड़ी में 15 जून से 30 जून तक छत्तीसगढ़ में "धरती आबा, जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान" चलाया जाएगा। इस अभियान का संचालन आदिवासी विकास विभाग के नेतृत्व में किया जाएगा, जिसमें राज्य के सभी प्रमुख विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

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6691 गांवों में दस्तक देंगे सरकारी प्रतिनिधि

आदिवासी विकास विभाग की ओर से जारी सूची के अनुसार, प्रदेश में 85 आदिवासी बाहुल्य विकासखंड और 6691 चिन्हांकित गांव ऐसे हैं जहां जनजातीय समुदाय की बहुलता है। भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं से हर आदिवासी परिवार को जोड़ने का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से तय किया गया है।

प्रत्येक चिन्हांकित गांव में घर-घर जाकर योजनाओं की जानकारी देना, पात्र व्यक्तियों का आयुष्मान कार्ड पंजीयन कराना, और अन्य सरकारी सेवाओं से जोड़ना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

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स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख भूमिका

अभियान में राज्य स्वास्थ्य विभाग, विशेष रूप से राज्य नोडल एजेंसी, अहम भूमिका निभाएगी। आयुष्मान भारत योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना तथा शहीद वीर नारायण सिंह योजना के तहत उन सभी आदिवासियों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा, जिनका अब तक कार्ड नहीं बन पाया है।

इस कार्य के लिए मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पंचायत कर्मचारी की मदद से घर-घर जाकर पंजीयन किया जाएगा।

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दिशा-निर्देश जारी, जिलों को भेजा गया पत्र

राज्य नोडल एजेंसी ने इस अभियान की सफलता के लिए सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र भेजकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, भारत सरकार की ओर से भी इस अभियान की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है।

राज्य सरकार की मंशा है कि हर आदिवासी परिवार तक स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, स्वच्छता और सामाजिक कल्याण की योजनाएं पहुंचे, ताकि उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। यह अभियान न केवल योजनाओं के क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ में आदिवासी सशक्तिकरण की नई नींव रखेगा।

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