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मध्य प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के सरकार के दावों के बाद भी अस्पतालों की लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब राजधानी भोपाल से सुल्तानिया अस्पताल से स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। यहां आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नवजात के परिजनों को 28 हजार रुपए के इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े। साथ ही नवजात शिशु के इलाज पर भी सवाल उठे है। बच्चे को आठ दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। परिवार को कई अन्य समस्याओं का सामना भी कराया। इस मामले पर सवाल उठते हुए समाजसेवी और पीड़ित पक्ष ने सरकार से जांच की मांग की है।
आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद खरीदने पड़े इंजेक्शन
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में संचालित सुल्तानिया अस्पताल में नवजात बच्चे के इलाज के दौरान डॉक्टर्स की मनमानी देखने को मिली। यहां नवजात के इलाज के नाम पर परिजनों से लूट का मामला सामने आया है। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद परिजनों को बाहर से महंगे इंजेक्शन खरीदने के लिए मजबूर किया गया। नवजात के पिता अशोक प्रजापति ने बताया कि उनकी पत्नी ने 4 मार्च को सुल्तानिया अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के बाद नवजात का हृदय काम नहीं कर रहा था, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया और बाद में सर्जरी की बात कही गई। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे के दिल में छेद है और सर्जरी की करनी पड़ेगी। साथ ही अन्य अस्पताल में रेफर करने की बात कही गई।
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महंगे इंजेक्शन खरीदने के लिए किया मजबूर
अशोक प्रजापति का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें जबरन कागजों पर साइन करवाए और महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने के लिए मजबूर किया। 28 हजार रुपए के इंजेक्शन उन्हें बाहर से खरीदने पड़े, जबकि आयुष्मान योजना के तहत इलाज मुफ्त होना चाहिए था।
एंबुलेंस की फीस में भी अनियमितता
नवजात के पिता अशोक प्रजापति ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस के किराए में भी अनियमितता की। बाहर की एंबुलेंस से नवजात को ले जाने के बजाय, उन्हें हमीदिया अस्पताल की एंबुलेंस का उपयोग करने के लिए कहा गया। जबकि बाहर की एंबुलेंस का किराया 1000 रुपए था, वहीं अस्पताल की एंबुलेंस का किराया 2500 रुपए था। मजबूरी में बच्चे को हमीदिया की एंबुलेंस से ही जेके अस्पताल ले जाना पड़ा।
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जेके अस्पताल के डॉक्टरों ने यह बताया
जब पिता अशोक अपने नवजात को जेके अस्पताल लेकर गए, तो डॉक्टरों ने बताया कि नवजात को केवल चार इंजेक्शन की जरूरत थी, लेकिन सुल्तानिया अस्पताल ने सात इंजेक्शन लगाए थे। इसके बाद, 22,000 रुपये आयुष्मान कार्ड से काट लिए गए। साथ ही डॉक्टरों ने यह भी स्पष्ट किया कि सर्जरी की जरूरत तो है लेकिन इसे बाद में भी कराया जा सकता है।
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सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर उठे सवाल
अब इस गंभीर मामले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं। समाजसेवी मुकेश रघुवंशी ने इस मामले को लेकर सरकार से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत इलाज होना चाहिए था, लेकिन अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं। सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
मामले होगी जांच
सुल्तानिया अस्पताल की प्रमुख डॉ. शबाना सुल्ताना का कहना है कि बाहर से इंजेक्शन मंगवाए के मामले में जानकारी ली जाएगी। किस डॉक्टर ने इंजेक्शन बुलाए हैं इसको लेकर जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड से ही अस्पताल में दवाइयां और इंजेक्शन मरीजों के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ सुल्तानिया अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के बावजूद नवजात के इलाज में महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े।
✅ अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को जबरन महंगे इंजेक्शन खरीदने के लिए मजबूर किया।
✅ एंबुलेंस की अनियमित फीस और अतिरिक्त इंजेक्शन लगाए जाने की जानकारी जेके अस्पताल में मिली।
✅ समाजसेवी मुकेश रघुवंशी ने सरकारी अस्पतालों में इलाज के नाम पर पैसे वसूली पर सवाल उठाए।
✅ सरकार से जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की गई।
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