कौन डकार गया मृतकों के नाम पर करोड़ों का राशन, कब उजागर होंगे चेहरे

गरीबों के राशन की लूट अब भी जारी है। राशन वितरण में गड़बड़ी के मामले नए नहीं है लेकिन ग्वालियर इस मामले में सबको पीछे छोड़ चुका है। संभाग में 25 हजार से ज्यादा ऐसे लोगों के नाम पर राशन बट रहा है जो कई महीनों या सालों पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश में गरीबों के राशन की लूट अब भी जारी है। राशन वितरण में गड़बड़ी के मामले नए नहीं है। ग्वालियर संभाग में 25 हजार से ज्यादा ऐसे लोगों के नाम पर राशन बट रहा है जो कई महीनों या सालों पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं। सरकारी रिकॉर्ड बताता है कि अकेले ग्वालियर में ही 5 हजार से ज्यादा और पूरे संभाग में 25 हजार से ज्यादा मृतक हर महीने राशन ले रहे हैं। अधिकारी ऐसे राशन कार्ड, पात्रता पर्ची निरस्त करने की सफाई दे रहे हैं। अब सवाल ये है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अपडेट सिस्टम, थंब इंप्रेशन और वेरिफिकेशन की अनिवार्यता के बावजूद ये गड़बड़झाला आखिर महीनों तक पकड़ में क्यों नहीं आया। अफसरों की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है। ये भी उजागर नहीं किया गया कि मृतकों के नाम पर राशन लेने वाले कितने लोगों को बाहर किया गया है। गड़बड़झाले में शामिल राशन विक्रेता और जिम्मेदारों पर आखिर क्या कार्रवाई की गई।  

मृतकों के नाम पर किसने डकारा 8 लाख का राशन 

राशन वितरण की गड़बड़ी का मामला सामने आने पर हर बार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग सिस्टम को अपडेट करने का दावा करता रहा है। अपात्र व्यक्ति गरीबों के हक का राशन न हड़पने और दुकानदारों पर कसावट करने राशन कार्ड पर दर्ज सदस्यों का सत्यापन की व्यवस्था है। इसके साथ ही राशन वितरण को फूलप्रूफ बनाने पात्रता पर्ची और थंब इंप्रेशन की व्यवस्था में भी बदलाव होता है। इन तमाम इंतजामों के बाद भी पूरे ग्वालियर संभाग में महीनों से धांधली चल रही थी। शिकायतों के बाद नींद से जागे प्रशासन को ग्वालियर जिले में 5227 मृतकों के नाम पर हो रहे राशन फर्जीवाड़े का पता चला है। यानी हर माह जिले में दिवंगत लोगों के नाम से 7.80 लाख रुपए का राशन गायब होता रहा और किसी को खबर ही नहीं लगी। विभाग के अधिकारी अब राशन कार्ड से ऐसे लोगों के नाम काटने की सफाई दे रहे हैं लेकिन महीनों से करोड़ों का राशन कौन डकार रहा था इस पर चुप हैं। 

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इसलिए लग रही सिस्टम में बार-बार सेंध 

राशन वितरण में धांधली रोकने 7 साल पहले हर हितग्राही का केवाईसी सत्यापन कराने के निर्देश जारी किए गए थे। राज्य शासन के इस आदेश को करीब 7 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अब भी प्रदेश में राशन लेने वाले हितग्राहियों के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। ग्वालियर संभाग में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारियों द्वारा केवल 71 फीसदी राशन कार्डों की जांच ही पूरी की गई है। केवाईसी जैसी सामान्य प्रक्रिया पूरी करने में विभाग ने सात साल जैसा लंबा समय लगा दिया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राशन के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए विभाग कितना सजग है।   

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लाखों मृतकों के नाम पर करोड़ों का राशन फर्जीवाड़ा 

मृतकों के नाम पर राशन वितरण की धांधली पकड़ में आने के बाद अधिकारी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। जिलों में जिला आपूर्ति अधिकारी और उनके अधीन खाद्य निरीक्षकों का पूरा अमला काम करता है। इसके बावजूद अकेले ग्वालियर जिले में 5227 मृतकों के नाम पर राशन बंटता रहा और इन्हें भनक तक नहीं लगी। वहीं ग्वालियर और चंबल संभाग के मुरैना में 7373, भिण्ड में 3099, श्योपुर में 2129, शिवपुरी में 2129 और दतिया जिले में 2753 मृतकों की आड़ में राशन गायब किया जाता रहा। यानी केवल दो संभागों में ही हर महीने 40 लाख से ज्यादा का फर्जीवाड़ा होता रहा। जबकि पूरे प्रदेश में दो लाख से ज्यादा मृतकों के नाम पर करोड़ों का राशन घोटाला होने का अनुमान है।

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आखिर कौन है राशन की धांधली के खेल का खिलाड़ी 

राशन वितरण व्यवस्था के जानकार राजीव जैन के अनुसार अधिकारी की मिलीभगत के बिना गड़बड़ी संभव नहीं है। राशन लेने वाले हितग्राहियों का साल में दो_तीन बार सत्यापन होता ही है। लंबे समय तक राशन नहीं लेने वाले परिवार, उम्रदराज हितग्राही या राशनकार्ड में दर्ज सदस्यों की जानकारी ली जाती है। इस आधार पर पात्रता पर्ची जारी होती है और यही अनाज आवंटन का आधार बनता है। निधन के बाद दुकानदार महीनों तक जानकारी दबाए रहते हैं। मृतकों के हिस्से का आवंटन भी उन्हें मिलता रहता है जिसे वे ठिकाने लगा देते हैं। इससे होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा अधिकारी तक भी पहुंचता है। अपने फायदे की वजह से अधिकारी भी इसे नजरअंदाज कर देते हैं।

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प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा दिवंगत के आधार निरस्त 

प्रदेश में मृतकों सहित 3 लाख अपात्रों के नाम पर हर महीने राशन गायब करने की जानकारी विभाग तक पहुंची थी। यूआईडीएआई द्वारा प्रदेश में करीब 3.13 लाख मृतक हो चुके नागिरकों के आधार रद्द कर चुका है। नागरिक आपूर्ति विभाग सत्यापन के अभाव में निरस्त किए गए आधार नंबरों को भी इसका कारण बता रहा है। विभाग द्वारा ऐसे दिवंगत हितग्राहियों को चिन्हित करने अधिकारियों को जांच में लगाया गया है। विभाग के अनुसार प्राथमिक परिवार को प्रति सदस्य 5 किलो के मान से जबकि अंत्योदय परिवारों को प्रतिमाह 35 किलो अनाज हर माह दिया जाता है। इसके लिए विभाग 19.24 मीट्रिक टन गेहूं और 64160 मीट्रिक टन चावल राशन दुकानों को उपलब्ध कराता है। 

सिस्टम की अनदेखी का शिकार है गाइडलाइन 

- मृत व्यक्ति के नाम पर राशन बांटना गैरकानूनी है। 
- परिवार के ऐसे सदस्य का नाम स्वयं हटवाना चाहिए। 
- राशन विक्रेता और अधिकारी को नियमित सत्यापन कराना जरूरी है।
- जानकारी छिपाकर राशन लेने पर आपराधिक कार्रवाई का प्रावधान है।
- अपात्रों के नाम पर राशन वितरण के लिए अधिकारी-राशन विक्रेता जिम्मेदार हैं। 
 

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