बालोद जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक विवाहिता रेणु गुप्ता ने अपने तहसीलदार पति और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और मानसिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। महिला ने अपनी पीड़ा सार्वजनिक करने के लिए एक वीडियो जारी किया, जिसमें वह पुलिस और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाती दिख रही है।
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शादी के 50 दिन बाद शुरू हुआ उत्पीड़न
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेणु गुप्ता की शादी नवंबर 2022 में बालोद के तात्कालीन नायब तहसीलदार राहुल गुप्ता से रीति-रिवाज के साथ सीतापुर (सरगुजा) के आमाटोली सुंदरनगर गांव में हुई थी। शादी के महज 50 दिनों बाद से ही रेणु का जीवन संघर्षमय हो गया। महिला का आरोप है कि दहेज की मांग को लेकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कई बार घर से बाहर निकाल दिया गया।
घर के बाहर बैठकर कर रही इंतजार
रेणु का कहना है कि वह काफी समय से मायके में रह रही थीं, लेकिन बुधवार को जब वे अपने ससुराल बालोद लौटीं, तो सास-ससुर ने उन्हें घर में घुसने से रोक दिया। तब से वह बिना भोजन-पानी के घर के बाहर ही बैठी हुई हैं और लगातार पुलिस व प्रशासन से सहायता की मांग कर रही हैं।
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पति दंतेवाड़ा में पदस्थ, ससुर हैं मत्स्य अधिकारी
पति राहुल गुप्ता वर्तमान में दंतेवाड़ा जिले में तहसीलदार के पद पर पदस्थ हैं। वहीं, ससुर सतीशचंद्र गुप्ता बालोद जिले में मत्स्य विभाग में अधिकारी हैं। रेणु का यह भी आरोप है कि पति और ससुराल पक्ष ने सामाजिक प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर उनके साथ अन्याय किया है।
प्रशासन और पुलिस से लगाई मदद की गुहार
वीडियो संदेश में रेणु ने साफ कहा है कि “मैं सिर्फ अपने पति से मिलना चाहती हूं। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। ससुराल में रहना चाहती हूं, लेकिन मुझे दरवाजे से ही भगा दिया गया।” उन्होंने प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से मानवता के नाते मदद करने और न्याय दिलाने की अपील की है।
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मामला बन सकता है महिला उत्पीड़न का उदाहरण
यह मामला छत्तीसगढ़ में महिला अधिकारों और दहेज उत्पीड़न जैसे मुद्दों को उजागर करता है। प्रशासन को इस प्रकरण में संवेदनशीलता और तत्परता से कार्रवाई करने की ज़रूरत है। बालोद पुलिस का कहना है कि महिला की शिकायत पर संज्ञान लिया गया है और जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
रेणु गुप्ता की ससुराल के बाहर बैठी इस लड़ाई ने समाज के उस पक्ष को उजागर किया है, जहाँ शादी के पीछे की सामाजिक प्रतिष्ठा के पीछे छिपा अत्याचार अब सामने आ रहा है। प्रशासन को चाहिए कि महिला की बात को गंभीरता से लेकर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करे, ताकि न्याय हो और ऐसे मामलों में पीड़ितों को आवाज मिल सके।
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