छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में तुसदा गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गणित शिक्षक की कमी ने छात्रों, खासकर बेटियों, के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 11वीं और 12वीं में गणित पढ़ने की इच्छा रखने वाली छात्राएं विषय बदलने या स्कूल छोड़ने के लिए विवश हैं। पिछले दो वर्षों में करीब 30 छात्रों ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, लेकिन ग्रामीणों की बार-बार शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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स्कूल में गणित का कोई इंतजाम नहीं
250 छात्रों वाले इस स्कूल में 11 शिक्षकों का सेटअप है, लेकिन केवल 6 व्याख्याता ही उपलब्ध हैं। जीवविज्ञान, भौतिकी, भूगोल और हिंदी जैसे विषयों के शिक्षक मौजूद हैं, पर गणित शिक्षक की कमी ने पढ़ाई को ठप कर दिया है। 2011 में 9वीं से 12वीं तक गणित विषय शुरू हुआ था, तब 9वीं में 60 और 10वीं में 70 छात्रों ने इसे चुना। हर साल छात्रों की संख्या बढ़ती गई, लेकिन 2013 में नियुक्त गणित शिक्षिका संपा बोस को 20 अप्रैल 2023 को राजनीतिक दबाव में समग्र शिक्षा में अटैच कर दिया गया। शर्त थी कि वे स्कूल में पढ़ाएंगी, लेकिन शिक्षिका ने स्कूल आना बंद कर दिया। नतीजा? गणित की पढ़ाई पूरी तरह ठप।
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छात्रों के सामने तीन कठिन रास्ते
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तुसदा स्कूल में डूमरपाली, खुटेरी, पेंड्रा, फुलझर, घुंचापाली, अमेठी, जीवनगढ़ और परसदा जैसे गांवों के बच्चे पढ़ने आते हैं। पिछले तीन साल से गणित विषय की पढ़ाई बंद है। 9वीं और 10वीं में वाणिज्य की शिक्षिका गणित पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यह समाधान नाकافی है। छात्रों के पास अब तीन ही विकल्प हैं।
गणित छोड़कर दूसरा विषय चुनना।
दूसरे स्कूल में दाखिला लेना।
पढ़ाई ही छोड़ देना।
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ग्रामीणों की पुकार अनसुनी
शाला विकास समिति के सदस्यों ने बताया कि सुशासन तिहार में इस समस्या का आवेदन दिया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की उदासीनता ने गांव की बेटियों के गणित के सपनों को तोड़ दिया है। अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा का हक इन बच्चों से छीना जाएगा? जिला प्रशासन से सवाल है। क्या गणित शिक्षक की नियुक्ति के लिए और कितने बच्चों को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी?
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