विदेश में पढ़ाई करने छात्रों को नहीं मिली सरकारी मदद

मध्य प्रदेश सरकार की योजनाएं फाइलों तक ही सिमट कर रह जाती है। सरकार ने मजदूर परिवारों के बच्चों को विदेश में पढ़ाने के लिए जिस योजना का ढिंढोरा पीटा था वह भी कागजी साबित होकर रह गई है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (THE SOOTR)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार की योजनाएं फाइलों तक ही सिमट कर रह जाती है। सरकार ने मजदूर परिवारों के बच्चों को विदेश में पढ़ाने के लिए जिस योजना का ढिंढोरा पीटा था वह भी कागजी ही साबित होकर रह गई है। बीते छह साल में कर्मकार कल्याण मंडल की इस योजना के तहत एक भी छात्र को विदेश में पढ़ाई के लिए  नहीं भेजा गया है। यानी मजदूर वर्ग के बच्चों के उच्च अध्ययन के लिए सरकार ने जो सपना दिखाया था वो केवल छलावा ही साबित हुआ है। 

क्रियान्वयन_प्रचार में बेरुखी

मप्र संनिर्माण कर्मकार मंडल में पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों को विदेश में पढ़ाई करने के लिए सरकार ने छह साल पहले योजना बनाई थी। इस योजना का चुनावी मंचों पर खूब प्रचार किया गया था। हांलाकि योजना की हकीकत उसके क्रियान्वयन की स्थिति देखकर समझी जा सकती है। यह योजना साल 2019 से शुरू हुई है लेकिन बीते छह साल में मप्र संनिर्माण कर्मकार मंडल में पंजीकृत मजदूर परिवार के किसी भी बच्चे को विदेश में पढ़ाई करने का लाभ नहीं मिल सका है। 

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विदेश में पढ़ाई में नहीं रुचि

इस योजना के तहत 50 छात्रों को विदेश में स्नातकोत्तर और पीएचडी जैसे शोध पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए दो साल तक स्कॉलरशिप का प्रावधान है। विदेश में अध्ययन की इस योजना का लाभार्थी वहीं छात्र हो सकता है जिसके माता_पिता कर्मकार मंडल में पंजीकृत हैं। विदेश में पढ़ाने के लिए सरकार द्वारा प्रति छात्र करीब 44 लाख रुपए के बजट की भी व्यवस्था रखी गई है। हांलाकि सरकार की इस योजना का लाभ अब तक प्रदेश के श्रमिक परिवारों के एक भी छात्र को नहीं मिला है। श्रमिक परिवारों का कहना है कि मंडल और विभाग स्तर पर अधिकारी योजना के क्रियान्वयन को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वहीं विदेश में अध्ययन के लिए स्थानीय स्तर पर होने वाले भाषा संबंधित स्टैण्डराइज्ड टेस्ट भी रोड़ा बन रहे हैं। 

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6 साल में एक भी लाभार्थी नहीं

मप्र सरकार द्वारा श्रमिक कार्ड पर पंजीकृत छात्रों को विदेश में एमबीए, पीएचडी स्कॉलर्स फैलोशिप के तहत सालाना करीब 44 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें विदेशी विश्वविद्यालयों में एडमिशन फीस के अलावा वहां रहने और भोजन जैसे खर्च भी शामिल हैं। प्रदेश में कर्मकार मंडल के तहत करीब 63 लाख श्रमिक परिवार पंजीकृत हैं। इसके बावजूद सरकार की इस योजना को लेकर इन परिवारों के छात्रों में रुचि नहीं दिख रही है। यही वजह है कि योजना की शुरूआत से अब तक एक भी आवेदन मंडल के पास नहीं पहुंचा है।  

 

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