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MP News: इंदौर में निर्माणाधीन इमारत को ब्लास्ट कर गिराए जाने का मामला तूल पकड़ चुका है। शहर की सियासत में हलचल है। नगर निगम के अफसरों पर गंभीर आरोप लगे हैं। अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पूरे मामले की जांच के संकेत दिए हैं।
इस बिल्डिंग के मालिक डॉ.इजहार मुंशी ने आरोप लगाया कि नगर निगम के अफसरों ने उनसे रिश्वत ली। फिर 15 लाख और मांगे। जब उन्होंने इनकार किया तो बिल्डिंग को डायनामाइट से गिरा दिया गया।
यह है मामला
डॉ.मुंशी ने पीयू-4 क्षेत्र में आईडीए से प्लॉट खरीदा था। इस प्लॉट पर इमारत बनाई गई, जिसका नक्शा नगर निगम से पास हुआ, लेकिन निगम का कहना है कि यह नाले से तय दूरी (9 मीटर) पर नहीं थी, इसलिए अवैध थी।
शुरुआत में जेसीबी से इमारत की तोड़फोड़ की गई, लेकिन बाद में उसे रोक दिया गया। कहा गया कि मशीन पर मलबा गिर सकता है, जान का खतरा है। फिर अगले दिन बिल्डिंग को ब्लास्ट कर गिरा दिया गया। निगम के अनुसार यह सुरक्षित तरीका था, क्योंकि दोनों तरफ नाले थे और भारी मशीनें काम नहीं कर सकती थीं।
महापौर भार्गव ने कहा कि जिस तरह यह इमारत गिरी है, उस पर कई सवाल खड़े होते हैं। नियमों का पालन नहीं हुआ। उन्होंने कहा, मैंने मकान मालिक से शिकायत देने को कहा है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर भी भड़क उठे। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों को फटकारते हुए कहा, घड़ियाली आंसू मत बहाओ, सब किया-धरा तुम्हारा है। उनका कहना है कि नक्शा पास करने में भी लापरवाही हुई और अब बिल्डिंग तोड़ दी गई।
क्या बोले महापौर भार्गव
इस पूरे कांड में जोनल अधिकारी, बिल्डिंग इंस्पैक्टर पर पहले पांच लाख रुपए लेने और फिर 15 लाख मांगने के आरोप लगे हैं। इस पर महापौर भार्गव ने मंगलवार को कहा कि यह जांच का विषय है, लेकिन वह मकान जिस तरह से टूटा है, इस पर कई सारे प्रश्नचिन्ह है और इसमें जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ हम कठोर कार्रवाई करने वाले हैं। मैंने मकान मालिक से कहा है कि वह इसकी लिखित शिकायत करें, जो भी तथ्य है वह लिखकर दें, उस पर जांच करेंगे और जांच अधिकारियों को रैफर भी करेंगे।
मकान नियमानुसार नहीं टूटा है: महापौर
महापौर ने आगे कहा कि जिन परिस्थितियों में वह मकान टूटा है, जिस नियमों का पालन करते हुए मकान तोड़ने की कार्रवाई होना थी, वह प्रथमदृष्टया नहीं दिखती है। वह मकान बना कैसे, यदि बीओ, बीआई समय पर कार्रवाई करते तो इतना बड़ा मकान भी नहीं बनता। तो इस संबंध में हम संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। आईडीए का प्लाट लिया आम आदमी ने उस पर नक्शा पास कराया, नक्शे के विपरीत कुछ बना था तो उतना तोड़ना था, पूरा मकान कैसे टूटा मैं इसकी जांच कराउंगा।
इस मामले में नगर निगम के तीन अहम किरदार
1-जोनल अधिकारी शिवराज सिंह यादव- (इन्हें विवाद के बाद हटा दिया गया है) सबसे गंभीर आऱोप इन्हीं पर लगे हैं। पीड़ित डॉ. इजहार मुंशी ने खुलकर आरोप लगाए हैं कि दरोगा कमल दुबे के जरिए ऑनलाइन भी पहले 10 हजार, फिर 30 हजार रुपए लिए। फिर 5 लाख लिए। इसके बाद 15 लाख मांगे। नहीं दिए तो मकान तोड़ दिया।
2-बिल्डिंग इंस्पैक्टर हिमांशु ताम्रकार- (इन्हें विवाद के बाद हटा दिया गया है)- इन पर भी इसी मिलीभगत में साथ देने का आरोप है। एमआईसी मेंबर राजेंद्र राठौर ने भड़कते हुए कहा कि जब नाले के पास प्लाट था तो नक्शा क्यों और कैसे पास किया गया।
3-तत्कालीन बिल्डिंग आफिसर असित खरे, जो यादव को हटाने के बाद फिर इस पद पर आ गए- मजेदार बात है कि यादव को हटाकर खरे को लाया गया है और यह वही खरे हैं जिन्होंने नाले के पास डॉ. मुंशी का यह नक्शा पास किया है। उनके फिर से आने पर राजेंद्र राठौर एमआईसी मेंबर ने कहा है कि खरे और ताम्रकार ने ही तो यह नक्शा नाले के पास मंजूर किया है तो अब मकान तोड़े जाने पर मुआवजे की वसूली इन्हीं से होना चाहिए।
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निगम ने नोटिस देकर अवैध बताया
डॉ. इजहार मुंशी ने पीयू 4 के प्लाट 234 पर बिल्डिंग बनाई है, यह निर्माणाधीन है। नगर निगम ने इसे नोटिस दिया और अवैध बताया। जोनल अधिकारी व बिल्डिंग अधिकारी शिवराज यादव व बिल्डिंग इंस्पैक्टर हिमांशु ताम्रकार की ओर से यह नोटिस गए। लेकिन शुक्रवार को इसे पहले बुलडोजर से तोड़ा गया और फिर शनिवार (31 मई) को विस्फोटक लगाकर उड़ा दिया गया।
मंत्री का फोन और रिश्वत का मामला
इस मामले में डॉक्टर मुंशी ने आरोप लगाया है कि निगम के अधिकारियों शिवराज यादव ने पहले पांच लाख रुपए लिए और इसके बाद 15 लाख रुपए और मांगे थे, लेकिन जब नहीं दिए तो उन्होंने यह पूरी कार्रवाई कर दी और बिल्डिंग को तुड़वा दिया।
- इस बिल्डिंग को बचाने के लिए डॉ. मुंशी विधायक रमेश मेंदोला के पास भी गए और उन्होंने निगम में फोन किया और समय देने के लिए कहा लेकिन राहत नहीं मिली।
- इसके बाद वह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पास भी पहुंचे, मंत्री ने भी फोन किया और समय देने के लिए कहा, लेकिन कहा गया कि पिलर में विस्फोटक लग चुके हैं, टीम मौके पर है, अब कुछ नहीं हो सकता है।
आरोपों के बाद इन्हें हटाया
आरोप लगे तो बिल्डिंग को विस्फोट से उड़ाने से पहले शुक्रवार (30 मई) की रात को निगमायुक्त शिवम वर्मा ने सख्ती दिखाई और जोनल अधिकारी शिवराज सिंह यादव को हटाकर यातायात विभाग में पदस्थ किया, साथ ही बिल्डिंग इंस्पैक्टर हिमांशु ताम्रकार को भी हटा दिया।
निगम से ही नक्शा पास, आईडीए का ही प्लाट
इस बिल्डिंग को अवैध इस आधार पर बताया गया कि यह नाले से 9 मीटर दूर नहीं बनी, कायदे से नाले से 9 मीटर दूर ही भवन बना सकते हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि करीब एक हजार वर्गफीट का यह प्लाट है, जो डॉ. मुंशी ने आईडीए से ही लिया है साल 2020 में खरीदा गया। फिर आईडीए ने नाले के पास प्लाटिंग करके कैसे बेच दिया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है और फिर डॉ. मुंशी ने इस पर निगम से ही 22 नवंबर 2020 को नक्शा पास कराया। फिर निगम की ओर से नाले के पास नक्शा कैसे पास हुआ। इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है और इस मामले में निगम की ओर से यही जवाब आता है कि इसे दिखवा रहे हैं।
बिल्डिंग विस्फोट से उड़ाने पर यह तर्क
वहीं बिल्डिंग को विस्फोट से उड़ाने पर निगम का तर्क यह है कि दोनों ओर नाले थे और पोकलेन नहीं जा सकती थी। आगे से तोड़ने पर यह खतरा था कि पोकलेन पर भवन गिरता और इससे जान का खतरा था, सभी ड्राइवर ने ऐसा करने से मना कर दिया। ऐसे में सुरक्षित तरीके से अवैध निर्माण ऐसे ही गिराया जा सकता था, इसलिए विस्फोट किया गया।
सवाल दो साल तक अधिकारी क्या कर रहे थे
वहीं सवाल यह भी है कि दो साल से भवन का निर्माण चल रहा था, जब मल्टी बन रही थी तब अधिकारियों ने क्या देखा, दरोगा, भवन अधिकारी, इंस्पैक्टर क्या कर रहे थे। तब क्यों नहीं रोका गया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भी सवाल उठाया है कि जिम्मेदारों को केवल हटाकर दूसरी जगह नियुक्त किया है, इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। दो साल तक यह सभी अधिकारी क्या कर रहे थे। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि सभी की भूमिका की जांच की जाएगी।
अभी मिश्रा मामले में बदलापुर कार्रवाई से नहीं उबरा है निगम
हाल ही में निगम में बदलापुर वाला कांड हुआ है। सवा दो करोड़ का मुआवजे नहीं मिलने पर निगम की कुर्की कराने वाले मिश्रा के यहां गणेशगंज में निगम की कार्रवाई हुई और पूरा घर, भवन सीज कर दिया गया। इसके बाद महापौर ने कहा था कि यह अराजकता है और फिर तीन एमआईसी सदस्यों की कमेटी बनाई और जांच कराई, इसमें पाया गया कि अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया व अन्य अधिकारियों ने नियमों के तहत पूरी प्रक्रिया कर कार्रवाई नहीं की। इसमें भी महापौर ने जिम्मेदारों पर कार्रवाई का बोला है। हालांकि अभी इसमें कुछ नहीं हुआ है।
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इंदौर नगर निगम