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छत्तीसगढ़ में कथित कस्टम मिलिंग और रेल नीर घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दुर्ग के प्रमुख होटल कारोबारी विजय अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी की टीमें तीन इनोवा गाड़ियों में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ दुर्ग के दीपक नगर स्थित अग्रवाल के निवास और उनके स्वामित्व वाले होटल सागर इंटरनेशनल सहित कई परिसरों में पहुंची। इस छापेमारी में विजय अग्रवाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
क्या है मामला?
ईडी की यह कार्रवाई कस्टम मिलिंग घोटाले और रेल नीर घोटाले की जांच के सिलसिले में की गई है। सूत्रों के अनुसार, विजय अग्रवाल का नाम राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा और कारोबारी पप्पू बंसल के साथ जोड़ा जा रहा है, जो इन घोटालों में पहले से ही जांच के दायरे में हैं। जांच एजेंसी को संदेह है कि सरकारी अधिकारियों के साथ साठगांठ कर मुआवजा राशि और अनुबंधों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई। कस्टम मिलिंग घोटाले में धान की कस्टम मिलिंग के नाम पर सरकारी सब्सिडी और फंड का दुरुपयोग हुआ, जबकि रेल नीर घोटाले में रेलवे को सस्ते पानी की बोतलें ‘रेल नीर’ के नाम पर बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप है।
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ऐसे हुई छापेमारी
ईडी की टीमें दुर्ग पहुंचीं और विजय अग्रवाल के घर, होटल सागर इंटरनेशनल, और अन्य संबंधित परिसरों में तलाशी शुरू की। दोपहर 12:30 बजे एक वरिष्ठ ईडी अधिकारी भी जांच में शामिल हुआ, जिससे कार्रवाई की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने दस्तावेजों, बैंक खातों और डिजिटल उपकरणों की जांच की, जो घोटाले से जुड़े वित्तीय लेनदेन का सबूत हो सकते हैं। विजय अग्रवाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट को तलब करने का मकसद वित्तीय रिकॉर्ड और संदिग्ध लेनदेन की गहराई से जांच करना है।
कैलाश रूंगटा और पप्पू बंसल से कनेक्शन
जांच में विजय अग्रवाल का राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा और कारोबारी पप्पू बंसल के साथ कथित संबंध सामने आए हैं। ईडी को जानकारी मिली है कि इन लोगों ने मिलकर सरकारी अधिकारियों के साथ साठगांठ की और कस्टम मिलिंग के तहत मिलने वाली सब्सिडी को गलत तरीके से हासिल किया। रेल नीर घोटाले में भी अग्रवाल के होटल कारोबार से जुड़े कुछ लेनदेन संदिग्ध पाए गए हैं। ईडी अब इन सभी के बीच वित्तीय लेनदेन और संदिग्ध अनुबंधों की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है।
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खरीद प्रक्रिया से जुड़ा है घोटाला
कस्टम मिलिंग घोटाला छत्तीसगढ़ में धान की मिलिंग और खरीद प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें राइस मिलर्स और अधिकारियों पर मिलीभगत कर सरकारी फंड का दुरुपयोग करने का आरोप है। इस घोटाले में करोड़ों रुपये की सब्सिडी को फर्जी दस्तावेजों और बोगस मिलों के जरिए हड़प लिया गया। दूसरी ओर, रेल नीर घोटाले में रेलवे के लिए पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर की आपूर्ति में अनियमितताएं सामने आई हैं। सस्ते पानी को ‘रेल नीर’ के नाम पर बेचकर ठेकेदारों ने भारी मुनाफा कमाया, जिससे रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ।
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राजनीतिक कनेक्शन और विवाद
विजय अग्रवाल को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है, जिसके कारण यह कार्रवाई राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। हालांकि, इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि बघेल सीधे तौर पर इस मामले में शामिल हैं। विपक्ष ने ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए सवाल उठाए हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल का कहना है कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।
क्या है कस्टम मिलिंग घोटाला?
कस्टम मिलिंग घोटाला छत्तीसगढ़ में धान की खरीद और मिलिंग प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें राइस मिलर्स और सरकारी अधिकारियों ने कथित तौर पर मिलीभगत कर सब्सिडी और सरकारी फंड का दुरुपयोग किया। फर्जी दस्तावेजों और बोगस मिलों के जरिए करोड़ों रुपये की राशि हड़प ली गई। रेल नीर घोटाला रेलवे के लिए पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर की आपूर्ति में अनियमितताओं से संबंधित है, जहां सस्ते पानी को ‘रेल नीर’ ब्रांड के तहत बेचकर ठेकेदारों ने भारी मुनाफा कमाया, जिससे रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ।
व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी
छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग और रेल नीर घोटाले ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया है। विजय अग्रवाल के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट को तलब करना इस दिशा में एक बड़ा कदम है। यह कार्रवाई न केवल घोटाले के दोषियों को सामने लाने की कोशिश है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास है कि भविष्य में ऐसी अनियमितताएं न हों। इस मामले में अगली सुनवाई और जांच के नतीजे पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही व्यापक मुहिम का हिस्सा है।
आगे की जांच और संभावित परिणाम
ईडी की टीमें अब विजय अग्रवाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट के बयानों और जब्त दस्तावेजों की गहन जांच कर रही हैं। जांच में बैंक खातों, डिजिटल उपकरणों, और वित्तीय लेनदेन के रिकॉर्ड की पड़ताल की जा रही है ताकि घोटाले की पूरी श्रृंखला का पता लगाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिसमें अन्य कारोबारी और अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। ईडी ने संकेत दिए हैं कि जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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