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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले की जांच में एक नया मोड़ आया है, क्योंकि अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले की कमान संभाल ली है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW)-एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की प्रारंभिक जांच के बाद, राज्य सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को इस 570 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की औपचारिक अनुमति दे दी है।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जांच के दायरे में कई बड़े नौकरशाह, राजनेता और कोयला व्यापारी हैं, और जल्द ही और गिरफ्तारियां व खुलासे होने की संभावना है।
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कोल लेवी घोटाला का क्या है मामला?
कोल लेवी घोटाला जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच का है, जिसमें छत्तीसगढ़ के खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर राजनीतिक संरक्षण में कोयला परिवहन पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध लेवी वसूल की। ED की जांच में सामने आया कि खनिज विभाग ने ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया, जिसके बाद केवल उन व्यापारियों को परमिट और ट्रांसपोर्ट पास जारी किए गए, जिन्होंने यह अवैध राशि अदा की।
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इस घोटाले से अनुमानित 540-570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई, जो सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व वाले एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से एकत्र की गई। सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है, और वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं।
इस अवैध राशि का उपयोग बेनामी संपत्तियों की खरीद, रिश्वतखोरी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में किया गया। घोटाले में शामिल लोगों में वरिष्ठ IAS अधिकारी, उप सचिव और कई कोयला व्यापारी शामिल हैं, जिन्होंने इस सिंडिकेट को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
CBI की एंट्री से भ्रष्टाचार पर नकेल
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपने का फैसला किया। इसके तहत गृह विभाग की फाइल (F No. 4-10/Home-C/) और पुलिस मुख्यालय के CID लीगल सेक्शन ने सभी रेंज IG और जिला SP को निर्देश जारी किए हैं कि वे CBI को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज, साक्ष्य और केस डायरी तुरंत सौंपें।
यह कदम निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सूत्रों के अनुसार, CBI अब इस घोटाले की हर परत को खोलेगी। जांच में कोयला परिवहन की अनुमति देने वाले परमिट सिस्टम, अवैध वसूली के तरीकों, और इस धन के निवेश के नेटवर्क की गहराई से पड़ताल की जाएगी। यह भी संभावना है कि जांच के दौरान कई और बड़े नाम सामने आएंगे, जिनमें नौकरशाह, राजनेता और व्यापारी शामिल हो सकते हैं।
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ED और EOW की भूमिका
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ED ने 14 अगस्त 2023 को एक याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि उसने राज्य सरकार को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आवश्यक दस्तावेज सौंपे थे। इसके बावजूद तत्कालीन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, ED ने याचिका में EOW और ACB की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए थे।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन प्रमुख आरोपियों—IAS समीर बिश्नोई, रानू साहू और उप सचिव सौम्या चौरसिया—को सशर्त जमानत दी, जिसमें उन्हें राज्य से बाहर रहने और नियमित रूप से पुलिस थाने में हाजिरी देने का आदेश दिया गया। EOW ने हाल ही में इस मामले में एक बड़ी सफलता हासिल की, जब 13 जुलाई 2025 को दो साल से फरार आरोपी नवनीत तिवारी को गिरफ्तार किया गया।
नवनीत, जो सूर्यकांत तिवारी का भाई है, पर अवैध लेवी की योजना बनाने, वसूली करने और काले धन को बेनामी संपत्तियों में निवेश करने के गंभीर आरोप हैं। उसके खिलाफ मामला दर्ज है। ED की 2022 की छापेमारी के बाद से वह फरार था, और कोर्ट ने उसके खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
प्रधानमंत्री की 'जीरो टॉलरेंस' नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति को बार-बार दोहराया है। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार ने इस नीति को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। X पर हाल के पोस्ट्स में इस कदम की सराहना की गई है, जिसमें कहा गया है कि "मोदी की भ्रष्टाचार विरोधी नीति को मजबूती मिली है, और साय सरकार ने कोल माफिया को उजागर करने में सख्ती दिखाई है।" यह कदम न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि कोई भी रसूखदार व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
कानूनी और प्रशासनिक कदम
इस घोटाले में शामिल कई बड़े नाम पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें IAS समीर बिश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी शामिल हैं। ED ने सूर्यकांत तिवारी और अन्य आरोपियों की 100 से अधिक संपत्तियों को जब्त किया है, जिनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नकदी, आभूषण और जमीन शामिल हैं।
CBI की जांच से अब और गहराई से खुलासे होने की उम्मीद है, जिसमें अवैध धन के उपयोग और इसके पीछे के नेटवर्क का पता लगाया जाएगा।गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे CBI को पूर्ण सहयोग करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि जांच में कोई बाधा न आए, सभी साक्ष्य और दस्तावेज जल्द से जल्द CBI को सौंपे जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता
CBI की जांच से इस घोटाले के और बड़े खुलासे होने की संभावना है। यह जांच न केवल कोल लेवी घोटाले के नेटवर्क को उजागर करेगी, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगी। कई नौकरशाहों, राजनेताओं और व्यापारियों पर नजर रखी जा रही है, और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं। यह मामला छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
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