युक्तियुक्तकरण में पलीता लगा रहे शिक्षा अधिकारी 1 सप्ताह में दर्जन भर BEO नपे अब DEO की बारी

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर शिक्षा अधिकारी पलीता लगाने पर तुले हुए हैं। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो शिक्षा अधिकारियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है। यही कारण है कि एक सप्ताह में दर्जन भर से ज्यादा बीईओ सस्पेंड हो चुके हैं।

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Arun Tiwari
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Education officers are spoiling the rationalization process, a dozen BEOs suspended in one week, now it is the turn of DEO the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बेहतर पढ़ाई लिखाई के लिए सरकार युक्तियुक्तकरण कर रही है। जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं है या कम शिक्षक वहां पर सरप्लस शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। लेकिन इसकी प्रक्रिया पर शिक्षा अधिकारी पलीता लगाने पर तुले हुए हैं। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो शिक्षा अधिकारियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है। यही कारण है कि एक सप्ताह में दर्जन भर से ज्यादा बीईओ सस्पेंड हो चुके हैं। कई पर निलंबन की तलवार लटक रही है। करीब एक महीना बीत गया है लेकिन 10 हजार में से 5 हजार स्कूलों का ही हो पाया है। इनमें से भी अभी 1200 से ज्यादा स्कूल हैं जो एक शिक्षक के भरोसे हैं। अब सरकार की रडार पर बीईओ के साथ जिला शिक्षा अधिकारी भी आ गए हैं। 

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युक्तियुक्तकरण या कमाई की युक्ति 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है स्कूलों का युक्तियुक्तकरण। शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद भी सरकार की प्रक्रिया से पीछे नहीं हटी। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिलों में तैनात शिक्षा अधिकारियों ने इसे कमाई की युक्ति बना ली है। इस बात का प्रमाण जिलों से आ रही सरप्लस शिक्षकों की सूची है। इन सूचियों में भारी गड़बड़ी है। सरप्लस होने के बाद भी उन टीचर्स के नाम नहीं दिए जा रहे यानी उनको ट्रांसफर से बचाया जा रहा है वहीं ट्रांसफर सूची में ऐसे शिक्षकों के नाम सामने आ रहे हैं जो सरप्लस नहीं हैं। कई जगह तो शिक्षकों का उन स्कूलों में तबादला कर दिया गया जहां पर खाली पद ही नहीं थे। इन सारी गड़बड़ियों पर सीएम ने नाराजगी जताई है। सीएम की सख्ती के कारण ही एक सप्ताह में दर्जन भर बीईओ को सस्पेंड कर दिया गया है। अब सरकार की रडार पर डीईओ आ गए हैं। 

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इस गोरखधंधे पर नप गए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी 
 

दुर्ग जिले के बीईओ जयसिंह भारद्वाज ने कई शिक्षकों को गलत तरीके से सरप्लस की सूची में डाला। 

दुर्ग जिले के बीईओ गोविंद साव ने पद का दुरुपयोग कर पत्नी को लाभ पहुंचाया। 

सूरजपुर जिले के बीईओ पंडित भारद्वाज ने गंभीर अनियमितताएं की और गलत जानकारी दी। 

मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के बीईओ सुरेन्द्र प्रसाद जायसवाल ने भी सरप्लस शिक्षकों की सूची में गड़बड़ी की। 

दंतेवाड़ा जिले के बीईओ शेख रफीक ने स्कूलों और शिक्षकों के rationalization में गंभीर लापरवाही बरती।

जांजगीर-चांपा जिले के बीईओ एमडी दीवान ने प्रक्रिया में लापरवाही की। 

बस्तर जिले के बीईओ मानसिंह भारद्वाज ने rationalization प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही बरती। 

गरियाबंद जिले के तीन बीईओ केएल मतावले,महेश राम पटेल और रामेन्द्र कुमार जोशी पर पर शिक्षकों की सूची में भारी अनियमितताओं और सरकार के दिशा-निर्देशों की खुली अवहेलना के गंभीर आरोप।  

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टीचर के तबादले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 

rationalization में जिला अधिकारियों की गड़बड़ी पर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर हुई है। यह मामला महासमुंद का है। टीचर सरोज सिंह वर्ष 2018 से वर्तमान विद्यालय में कार्यरत हैं, और उन्होंने अंग्रेज़ी के साथ-साथ भूगोल विषय भी पढ़ाया है, क्योंकि विद्यालय में भूगोल विषय का कोई अन्य शिक्षक उपलब्ध नहीं था. इसके बावजूद उन्हें एकतरफा रूप से 45 किलोमीटर दूर स्थित विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेश से बहाल की गई एक अन्य व्याख्याता को उसी विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाने के लिए पदस्थ कर दिया गया। 

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शिक्षकों का अधिकारियों पर आरोप 

महासमुंद जिले के जिन 755 शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है, उसमें चहेतों का नाम हटाने और जोड़ने का काम किया गया। काउंसलिंग में शहर और आसपास के रिक्त पदों को छिपा दिया गया। काउंसलिंग में पारदर्शिता नहीं होने के कारण शिक्षकों ने जमकर नाराजगी भी जताई। इस दौरान 150 से ज्यादा शिक्षकों ने सूची पर आपत्ति दर्ज कराई। 50 से ज्यादा ने लिखित असहमति देकर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। आरोप है कि अफसरों ने मनमानी की है। जूनियर शिक्षकों को सीनियर बताकर उन्हें सूची से बाहर रखा गया है और कई योग्य शिक्षकों को जानबूझकर अतिशेष दिखाया गया। वहीं, विषयों की भी अनदेखी की गई। विज्ञान विषय के शिक्षकों को कला में और वाणिज्य के शिक्षकों को विज्ञान की सूची में डाल दिया गया।

अभी भी 1200 से ज्यादा स्कूलों में एक शिक्षक

 युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया 15 मई से चल रही है। इसको करीब एक महीना बीत चुका है लेकिन 10 हजार में से 5 हजार स्कूलों का ही हो पाया है। राज्य में  5672 प्राथमिक स्कूल एकल शिक्षकीय थे, इनमें से 4465 स्कूलों में दो अथवा दो से अधिक शिक्षकों की तैनाती पूरी कर ली गई है। इसके बाद भी प्रदेश में 1207 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इसी तरह 211 एकल शिक्षकीय पूर्व माध्यमिक शालाओं में से 204 शालाओं दो अथवा दो अधिक शिक्षकों की तैनाती की गई है, यहां भी 7 माध्यमिक शालाएं ही राज्य में एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इन शालाओं में भी और अधिक शिक्षकों की तैनाती को लेकर शिक्षा विभाग व्यवस्था बनाने में जुटा है। इसी तरह राज्य के 49 एकल शिक्षकीय हाई स्कूलों में से 48 हाई स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की पदस्थापना पूरी कर ली गई है। आज की स्थिति में राज्य में एक हाई स्कूल एकल शिक्षकीय बचा है।

 

 

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