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छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत काम कर रहे 16 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों की हड़ताल आखिरकार असर दिखा गई है। समय पर वेतन, संविलियन, ग्रेड-पे निर्धारण और मेडिकल अवकाश जैसी मांगों को लेकर हुए आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है।
राज्य स्तरीय 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो संविदा कर्मचारियों की सभी लंबित मांगों की विस्तृत समीक्षा करेगी। आज दोपहर 12 बजे समिति की पहली बैठक राज्य कार्यालय में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में कर्मचारियों की प्रमुख मांगों पर विचार के साथ आगामी कार्ययोजना पर चर्चा होगी।
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आंधी-बारिश में भी नहीं डगमगाए कर्मचारी
1 मई को राजधानी रायपुर के तुता धरना स्थल पर आंधी, तूफान और बारिश के बीच भी NHM के संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने डटकर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य भवन का घेराव भी किया। उनकी प्रमुख मांगों में नियमित वेतन, ग्रेड पे निर्धारण, संविलियन और चिकित्सा अवकाश की सुविधा शामिल रही।
प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य सचिव और मिशन संचालक ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार होगा। अब समिति का गठन उस आश्वासन का पहला ठोस कदम माना जा रहा है।
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मॉडल का अध्ययन करेगी समिति
गठित समिति न केवल कर्मचारियों की मांगों पर विचार करेगी, बल्कि अन्य राज्यों में लागू संविदा नीति और वेतनमान का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ के लिए प्रस्ताव भी तैयार करेगी। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को बेहतर सेवा शर्तें और सम्मानजनक वेतनमान प्रदान करना है।
छत्तीसगढ़ में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका अहम
प्रदेश में NHM के अंतर्गत कार्यरत ये संविदा कर्मचारी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सुदूर वनांचल क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। ये कर्मचारी मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण, रोग नियंत्रण जैसी सेवाओं के प्रमुख वाहक हैं।
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2005 में जब देशभर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई थी, तब इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन था। बाद में इसका दायरा बढ़ाकर इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बना दिया गया। छत्तीसगढ़ में इस मिशन के तहत लगभग 16,000 संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनकी सेवाएं आम जनता के लिए अनिवार्य और अमूल्य हैं।
सरकार द्वारा गठित यह उच्चस्तरीय समिति संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की समस्याओं की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इन कर्मचारियों को उनका हक और सम्मान मिलेगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक मजबूत होंगी।
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