नक्सल आतंक का अंत, शांति की शुरुआत

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसे कुर्रगुट्टालू पहाड़ कभी नक्सलियों का गढ़ था और जहां "लाल आतंक" का साया मंडराता था। वहां आज तिरंगा गर्व से लहरा रहा है। यह कहानी केवल एक सैन्य ऑपरेशन की सफलता सुरक्षाबलों की अदम्य हिम्मत और रणनीतिक कुशलता की गाथा है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसे कुर्रगुट्टालू पहाड़ कभी नक्सलियों का गढ़ था और जहां "लाल आतंक" का साया मंडराता था। वहां आज तिरंगा गर्व से लहरा रहा है। यह कहानी केवल एक सैन्य ऑपरेशन की सफलता नहीं, बल्कि भारत के सुरक्षाबलों की अदम्य हिम्मत, रणनीतिक कुशलता और देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के दृढ़ संकल्प की गाथा है।

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कुर्रगुट्टालू का आतंक

कुर्रगुट्टालू पहाड़, घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से घिरा, नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था। यहां नक्सली न केवल अपनी ट्रेनिंग कैंप चलाते थे, बल्कि हथियारों का निर्माण और भंडारण भी करते थे। स्थानीय आदिवासी समुदायों पर उनका खौफ ऐसा था कि लोग चुपके से जीने को मजबूर थे। इस इलाके में नक्सलियों का दबदबा इतना था कि सुरक्षा बलों के लिए यहां पहुंचना और ऑपरेशन करना किसी बड़े जोखिम से कम नहीं था।

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नक्सलमुक्त ऑपरेशन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत को 31 मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त करने का संकल्प लिया था। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के विरुद्ध ऑपरेशन चलाए जा रहे थे। कुर्रगुट्टालू पहाड़ पर नक्सलियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन की योजना बनाई। यह ऑपरेशन न केवल नक्सलियों को खत्म करने के लिए था, बल्कि उनके गढ़ को ध्वस्त कर इलाके में शांति और विकास की राह खोलने का भी लक्ष्य रखता था।

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21 दिनों का ऐतिहासिक ऑपरेशन

यह ऑपरेशन 21 दिनों तक चला, जिसे नक्सल विरोधी अभियानों में अब तक का सबसे बड़ा माना जा रहा है। करीब 5,000 जवानों में छत्तीसगढ़ पुलिस, तेलंगाना पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडो ने इस अभियान को अंजाम दिया। खराब मौसम और जंगल के कठिन हालात के बावजूद, सुरक्षाबलों ने न केवल नक्सलियों के ठिकानों को घेरा, बल्कि उनकी हर रणनीति को नाकाम किया। 
इस ऑपरेशन में 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया गया। इसके साथ ही, 400 से अधिक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और 40 हथियार बरामद किए गए, जो नक्सलियों की हिंसक मंशा को दर्शाते हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि इस पूरे ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को एक भी नुकसान नहीं हुआ, जो उनकी बेहतरीन प्रशिक्षण और समन्वय का प्रमाण है।

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अमित शाह का संदेश और तिरंगे का गर्व

ऑपरेशन की सफलता के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में इसे "#NaxalFreeBharat" अभियान की ऐतिहासिक जीत बताया। उन्होंने लिखा, "जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहाँ आज शान से तिरंगा लहरा रहा है।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प दोहराया और सुरक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए कहा, "मुझे अत्यंत हर्ष है कि इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों में एक भी casualty नहीं हुई।"
कुर्रगुट्टालू पहाड़ की चोटी पर तिरंगा फहराने का दृश्य न केवल जवानों के साहस का प्रतीक है, बल्कि यह उन स्थानीय लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है, जो वर्षों से नक्सली हिंसा के साये में जी रहे थे।

ऑपरेशन का प्रभाव

इस ऑपरेशन ने नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। कुर्रगुट्टालू पहाड़ कभी उनके लिए अभेद्य किला था। अब सुरक्षा बलों की निगरानी में है। यह जीत नक्सलियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत सरकार और सुरक्षा बल उनकी हिंसा को और बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके अलावा, इस ऑपरेशन ने स्थानीय आदिवासी समुदायों में विश्वास जगाने का काम किया है। सरकार की योजना अब इस इलाके में विकास कार्यों को तेज करने की है, ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों के जरिए लोग मुख्यधारा से जुड़ सकें। 

नक्सल मुक्त भारत की ओर

कुर्रगुट्टालू पहाड़ पर तिरंगे का लहराना केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि शांति, विकास और एकता की जीत है। यह कहानी हर उस जवान को समर्पित है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर देश को सुरक्षित रखते हैं। अमित शाह ने पहले भी कहा था कि नक्सलवाद को खत्म करने के लिए "समर्पण से लेकर समावेशन" तक की रणनीति अपनाई जाएगी, और यह ऑपरेशन उस दिशा में एक बड़ा कदम है।

 

 

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