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Fake doctor former assembly speaker Human Rights Commission investigate the sootr Photograph: (Fake doctor former assembly speaker Human Rights Commission investigate the sootr)
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत भी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम द्वारा की गई हार्ट सर्जरी के कारण हुई थी। शुक्ल 32 साल तक विधायक रहे और विधानसभा अध्यक्ष भी बने। 20 अगस्त 2006 को उनकी अचानक तबीयत बिगड़ी तो उनको अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व अध्यक्ष शुक्ल के पुत्र प्रोफेसर प्रदीप शुक्ल ने बताया कि डॉक्टर नरेंद्र दो-तीन महीने के लिए अपोलो आया था। इस दौरान 8 से 10 मरीजों की मौत हुई थी। इनमें उनके पिता स्व राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी थे।
डॉक्टर नरेंद्र के दस्तावेज थे फर्जी
प्रोफेसर प्रदीप शुक्ल ने बताया कि पिताजी के इलाज में तत्कालीन रमन सरकार ने भी सहायता की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन, फर्जी डॉक्टर के कारण ऑपरेशन के 20 दिन बाद उनकी मौत हो गई। जब यह मामला सामने आया तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्कालीन अध्यक्ष और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वायएस दुबे ने जांच करवाई। जांच में पता चला कि नरेंद्र के दस्तावेज फर्जी थे। उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी, वह कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था।
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फर्जी डॉक्टर नरेंद्र के पास हैं ये डिग्रियां
डॉक्टर नरेंद्र के पास जो डिग्रियां हैं, उन पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है। उसका असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है और वह देहरादून का रहने वाला है। दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम भी लिखा है। उसके पास आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज से 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है।इसके बाद 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां में किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है। ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग और यूके की बताई गई हैं।
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अस्पताल को भेजा गया था नोटिस
मध्य प्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल में 3 माह में हार्ट ऑपरेशन के बाद सात से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि सीएमएचओ की रिपोर्ट में पांच मौतें मानी गई हैं। इन मौत की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की दो सदस्यीय टीम करेगी। सीएमएचओ और उनकी टीम इसकी तैयारी में जुट गई है। उधर, 20 फरवरी को इसकी शिकायत मिलने के बाद, पहली अप्रैल को अस्पताल को नोटिस भेजा गया था। नोटिस में लिखा गया कि डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम ने अस्पताल में ऑपरेशन किए और सात मौतें हो गई।
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सीएमएचओ कार्यालय में नहीं दिया दस्तावेज
डॉक्टर नरेंद्र की नियुक्ति का कोई भी दस्तावेज सीएमएचओ कार्यालय में नहीं दिया गया। सीएमएचओ को यह भी नहीं बताया कि डॉक्टर अखिलेश दुबे के बाद नरेंद्र की नियुक्ति कब और कैसे की गई? इसी आधार पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी भी दी गई है। इसके बाद 25 मार्च को दमोह कलेक्टर ने सागर मेडिकल कॉलेज को पत्र भेजा था। इसमें विशेषज्ञों की टीम भेजने की मांग की गई थी, लेकिन टीम न होने के कारण कॉलेज ने मना कर दिया।
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डॉक्टरों की सूची डॉक्टर नरेंद्र का नाम हटाया
मिशन अस्पताल में पिछले तीन दिनों से सन्नाटा पसरा है। अस्पताल में मरीजों का आना-जाना बंद है। यहां भर्ती मरीज भी छुट्टी लेकर चले गए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अस्पताल के डॉक्टरों की सूची से फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम का नाम हटा दिया गया है। डॉक्टरों की सूची में पुराने कार्डियोलॉजिस्ट अखिलेश दुबे का नाम अभी भी है, लेकिन फर्जी डॉक्टर का नहीं है। अस्पताल के कर्मचारी कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं। जाहिर है अस्पताल प्रबंधन सबूत मिटाने और मामले की लिपापोती में जुट गया है। मानव अधिकार आयोग की टीम के अस्पताल आने से पहले अस्पताल का स्टाफ रिकॉर्ड दुरुस्त करने में जुट गया है। कर्मचारी रात में चुपचाप दस्तावेजों से भरे कार्टन ले जा रहे हैं।
मरीजों की मौत का सही कारण नहीं बताया
मिशन अस्पताल में इलाज के दौरान जिन मरीजों की मौत हुई है, उनके परिजनों का आरोप है कि गलत दवाएं, फर्जी डॉक्टर और लापरवाही मौत हुई है। किसी भी मौत का सही कारण नहीं बताया गया। परिजनों का यह भी आरोप है कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र को सागर रोड के एक लग्जरी होटल में ठहराया गया था। वह खुद पर्चा नहीं लिखता था और न ही मरीजों की जांच करता था। दवाइयां तक रात में फोन पर ही बताता था।