छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना में 220 करोड़ का मुआवजा घोटाला की जांच EOW ने शुरू कर दी है। EOW ने प्रशासन से करीब 500 पन्नों की जांच रिपोर्ट मांग ली है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में दोषियों के विरूदध एफआईआर दर्ज की जा सकती है। यह पहला मौका है कि राज्य में किसी भूमि मुआवजा विवाद की जांच EOW कर रही है। विभाग ने मुआवजा घोटाले से जुड़े कई प्रमुख दस्तावेज पहले से जुटा रखे हैं। कई और बिंदुओं पर गोपनीय जांच तक पूरी हो चुकी है। इस घोटाले के विरुदध कार्रवाई जारी है और जल्द ही गिरफ्तारियों की संभवना हैं।
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अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत
भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला की प्रारंभिक जांच में यह पता चला था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से करीब 43 करोड़ की मुआवजा राशि हासिल की थी। बाद में जांच के दौरान यह आंकड़ा बढ़ गया और 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया। अब तक करीब 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड जांच एजेंसी को मिला है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के मुताबिक, अगर किसी किसान की 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपये सोलेशियम के रूप में भी जाती है।
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महंत ने सदन में उठाया था यह मामला
विधानसभा बजट सत्र 2025 में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने यह मामला उठाया था। सरकार ने भी माना था कि भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला हुआ है। साथ ही सरकार ने जांच की बात भी कही थी। इसके बाद साय कैबिनेट की बैठक में जांच को ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया गया था। अब EOW ने इस घोटाले की जांच तेज कर दी है। इस बीच, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने गत दिन को PMO और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला मामले की CBI से जांच करवाने की मांग की है।
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दिल्ली से दबाव के बाद घोटाले का पर्दाफाश
बताया जाता है कि मुआवजे के तौर पर 248 करोड़ रुपये देने के बाद भी 78 करोड़ रुपये के और क्लेम सामने आने लगे। इसके बाद नेशनल हाईवे अथारिटी के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा था। इसके बावजूद जांच सालों तक नहीं करवाई गई। जब दिल्ली से जांच रिपोर्ट मांगी जाने लगी तब कहीं जाकर कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट तैयार करवाई। जांच रिपोर्ट में पता चला कि मूल मुआवजा महज 35 करोड़ बनता था। मगर, 213 करोड़ रुपये के अधिक बांट दिया गया। साथ ही और मुआवजे के लिए मांग जारी रही। जांच रिपोर्ट में भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी सामने आई तो तत्कालीन SDM निर्भय साहू को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया।
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यह है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला
भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किलोमीटर सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना में फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना है। इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने किसानों की जमींने अधिग्रहित की थी। इन किसानों को इसके बदले मुआवजा दिया जाना था। जमीन अधिग्रहण के बावजूद कई किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में इस मुद्दे को उठाया था। इसके बाद सरकार ने भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला मामले की जांच का फैसला लिया गया।