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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक साल के अंदर बस्तर को नक्सल मुक्त करने की घोषणा की है। इसके साथ ही नक्सल मुक्त होने वाले गांवों को एक करोड़ रुपए की राशि विकास के लिए देने की घोषणा की है। अभी आधिकारिक तौर पर किसी भी गांव को नक्सल मुक्त घोषित नहीं किया है लेकिन पूरे संभाग में 5 सौ से ज्यादा ऐसे गांव हैं जहां अब नक्सलियों की आमदरफ्त कम हो चुकी है या बंद हो चुकी है।
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ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये 5 सौ गांव के लोग खुद को आधिकारिक तौर पर नक्सल मुक्त का तमगा दिलवाएंगे। 500 से ज्यादा गांवों को नक्सलमुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा गांव के लोग ही गांव को पूरी तरह से नक्सल मुक्त करने के लिए नक्सलियों से जुड़े लोगों का सरेंडर करवाएगे। माना जा रहा है कि अप्रैल माह के मध्य से सरेंडरों और गांवों के नक्सल मुक्त होने की शुरुआत हो जाएगी।
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इधर नक्सलियों का टीसीओसी शुरू हो चुका है इस बीच वे कोई बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए हैं इस बीच फोर्स ने टीसीओसी के दौरान आक्रामक रूख अपनाया हुआ है। नक्सल मोर्चे पर काम कर रहे अफसरों की मानें तो इस बार मानसून से पहले फोर्स और भी ज्यादा आक्रामक होने जा रही है।
मानसून से पहले-पहले नक्सलियों के सभी सुरक्षित ठिकानों पर फोर्स पहुंचने वाली है और कुछ नए कैंप भी स्थापना करने जा रही है। मानसून से पहले-पहले नक्सलियों के कोर एरिया पुलिस जवानों के कब्जे में होंगे ताकि बारिश के दौरान नक्सलियों को छिपने के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह न मिले। अफसरों का कहना है कि अभी जंगलों में गश्त के दौरान विजिबिलिटी अच्छी है।
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बस्तर संभाग के सात जिलों में वर्तमान में 1833 पंचायतें हैं इनमें 3877 गांव शामिल हैं। इनमें करीब 500 गांव ऐसे हैं जहां नक्सलियों का प्रभाव पूरे तरीके से खत्म हो चुका है। इसके अलावा एक हजार से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां नक्सलियों के आमदरफ्त बंद हो चुकी है, लेकिन कभी-कभी वे गांव में आ रहे हैं। इसके अलावा सिर्फ 300 गांव ऐसे हैं जहां अभी भी नक्सलियों का प्रभाव जारी है।
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