जिस जमीन पर बसी थी कॉलोनी , वहीं उगा दी पटवारियों ने धान की फसल
छत्तीसगढ़ में अकेले रायपुर में ही 13 हजार खसरा नंबर का भौतिक सत्यापन किया गया । इनमें 444 खसरा नंबर ऐसे हैं, जिनमें धान की खेती नहीं हो रही थी। इसके बाद भी इन नंबरों में धान की फसल होना बताया गया है।
छत्तीसगढ़ में धान के नाम पर तरह-तरह की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। ताजा मामला राज्य के राजस्व अमले से जुड़ा है। यहां पर पटवारियों ने वह कारनामा कर दिखाया, जिसकी आशंका आला अफसरों को नहीं थी। दरअसल, पटवारियों ने उन जगहों पर भी धान की फसल दिखा दी, जहां पर कॉलोनियां बस चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में गिरदावरी में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। सरकार की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
क्या होती है गिरदावरी
किसाना ने अपने खेत के कितने हिस्से में फसल की बुआई की है, उसे देखना और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया हो गिरदावरी कहते हैं। गिरदावरी की जिम्मेदारी पटवारी के पास होती है।
खाद्य विभाग ने सॉफ्टवेयर के जरिए रेंडम तरीके से जांच की। इसमें जांच अधिकारी और खसरा नंबर का चुनाव भी रेंडम तरीके से किया गया था। जांच भी तीन स्तर पर की गई थी। छत्तीसगढ़ के कुछ खसरा नंबर के पांच प्रतिशन खसरा नंबर की जांच की गई। इस जांच में तीन फीसदी तक गड़बड़ियां सामने आई हैं। अकेले रायपुर में ही 13 हजार खसरा नंबर का भौतिक सत्यापन किया गया । इनमें 444 खसरा नंबर ऐसे हैं, जिनमें धान की खेती नहीं हो रही थी। इसके बाद भी इन नंबरों में धान की फसल होना बताया गया है। इसके बाद कलेक्टरों के जरिए बड़े स्तर पर भौतिक जांच की तैयारी की जा रही है।
राजस्व विभाग में गिरदावरी करने का काम पटवारियों का होता है, लेकिन पटवारियों ने काम में लापरवाही बरती है। जिस जगह पर धान की बुआई नहीं की गई है, उस खसरा नंबर को भी गिरदावरी बता दिया गया है। इसी का फायदा उठाकर धान माफिया किसानों से कम कीमत पर धान की खरीदी करते हैं और इस धान को ज्यादा कीमत पर सरकारी मंडी में खपाया जाता है। किसानों से धान नहीं मिलने पर दूसरे राज्यों से धान लाकर छत्तीसगढ़ की मंडी में खपाने की प्रक्रिया का यह पहला चरण होता है। गिरदावरी में गड़बड़ी कर दूसरे राज्यों की धान खपाने की जमीन तैयार की जाती है। इसका सीधा नुकसान सरकार को होता है।
ये है फर्जीवाड़े का गणित
तीन हेक्टेयर की जांच में 62 हेक्टेयर यानी 155 एकड़ की गिरदावरी में गड़बड़ी है। एक एकड़ में 21 क्विंटल धान बेचा जा सकता है। सरकार ने एक एकड़ में 21 क्विंटल धान का समर्थन मूल्य तय किया है। यानी 155 एकड़ में तीन हजार 255 क्विंटल धान बेचा जा सकता है। यानी एक करोड़ 90 हजार 500 रुपए का धान अवैध रूप से बिक सकता है।
इन जिलों के इतने पटवारियों को जारी हुआ नोटिस
रायपुर - 18
मुंगेली - 200
बिलासपुर - 71
बेमेतरा - 01 पटवारी सस्पेंड
FAQ
गिरदावरी क्या होती है और इसमें गड़बड़ी कैसे की गई ?
गिरदावरी एक प्रक्रिया है जिसमें पटवारी यह रिकॉर्ड करते हैं कि किसानों ने कितने खेतों में फसल की बुआई की है। गड़बड़ी तब हुई जब पटवारियों ने उन स्थानों को भी धान की खेती के लिए दर्ज कर दिया, जहां कॉलोनियां बन चुकी थीं या धान की खेती नहीं हुई थी।
गिरदावरी में गड़बड़ी का उद्देश्य क्या है ?
गिरदावरी में गड़बड़ी का उद्देश्य फर्जी रिकॉर्ड बनाकर धान माफियाओं को फायदा पहुंचाना है। वे सस्ते में किसानों से धान खरीदते हैं या दूसरे राज्यों से धान लाकर छत्तीसगढ़ की मंडी में अधिक दाम पर बेचते हैं। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है।
इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है ?
गिरदावरी में गड़बड़ी पाए जाने के बाद कई जिलों के पटवारियों को नोटिस जारी किए गए हैं। रायपुर में 18, मुंगेली में 200, बिलासपुर में 71 पटवारियों को नोटिस मिला है, और बेमेतरा में एक पटवारी को निलंबित कर दिया गया है। कलेक्टरों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर भौतिक जांच की तैयारी की जा रही है।