टुटेजा,ढेबर और त्रिपाठी ने रायपुर से कर दिया झारखंड का शराब घोटाला

टुटेजा,ढेबर और त्रिपाठी के सिंडीकेट ने छत्तीसगढ़ की लिकर पॉलिसी बनाई थी और इन लोगों ने ही रायपुर में बैठकर झारखंड की शराब पॉलिसी में बदलाव कर दिया।

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Arun tiwari
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Tuteja, Dhebar9Tripathi committed liquor scam Jharkhand from Raipur
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छत्तीसगढ़ में एसीबी और ईओडब्ल्यू ने एक नई एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर ने एक और बड़ा खुलासा किया है।  सब कुछत्तीसगढ़ में जिन लोगों को 2000 करोड़ रुपए के शराब किंग पिन माना गया है वे ही झारखंड में हुए शराब घोटाले के मास्टर माइंड थे।छ छत्तीसगढ़ जैसा ही किया गया।

टुटेजा,ढेबर और त्रिपाठी के सिंडीकेट ने छत्तीसगढ़ की लिकर पॉलिसी बनाई थी और इन लोगों ने ही रायपुर में बैठकर झारखंड की शराब पॉलिसी में बदलाव कर दिया। शराब घोटाला कैसे होगा इसकी पूरी कहानी छत्तीसगढ़ में ही तैयार की गई। आइए आपको बताते हैं कि कैसे छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम देने वालों ने झारखंड में भी शराब का स्कैम कर दिया। 

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झारखंड के शराब घोटाले का छत्तीसगढ़ मॉडल

छत्तीसगढ़ में जिस पैटर्न पर 2000 करोड़ का शराब घोटाला हुआ उसी तर्ज पर झारखंड में भी शराब घोटाले  को अंजाम दिया गया। यह खुलासा छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई FIR से हुआ है। छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह का नाम शामिल है। वहीं इस मामले में छत्तीसगढ़ के लिकर सिंडिकेट से जुड़े लोगों के नाम भी सामने आए हैं।


रांची के अरगोड़ा निवासी विकास कुमार सिंह के आवेदन पर रायपुर में यह एफआईआर दर्ज हुई है। इसमें बताया गया है कि झारखंड में हुए करोड़ों रुपये के शराब घोटाले की पूरी साजिश छत्तीसगढ़ में ही रची गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपियों और झारखंड के अधिकारियों ने मिलकर राज्य की आबकारी नीति में बदलाव कराया।

इसके बाद झारखंड में देसी तथा विदेशी शराब के टेंडर सिंडिकेट के लोगों को दिलवाए गए, जिसमें करोड़ों की कमीशन वसूली हुई। इसके लिए सिंडिकेट के लोगों ने मिलकर देसी शराब की बोतलों पर बढ़ी हुई कीमत लिखवाई। सिंडिकेट ने अपने फायदे के लिए शराब सप्लाई एजेंसियों की नियुक्ति के लिए 100 करोड़ के टर्नओवर समेत कई ऐसी शर्तें डालीं, जिन्हें पूरा करने वाली कंपनी झारखंड में नहीं थी। इससे यह काम छत्तीसगढ़ की एजेंसियों को मिल गया। 

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छत्तीसगढ़ में लिखी गई स्कैम की स्क्रिप्ट

एसीबी आऔर ईओडब्ल्यू में दर्ज इस एफआईआर के मुताबिक पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी ने एक सिंडिकेट बनाया और झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड की आबकारी नीति में संशोधन करने की साजिश रची। पड़ोसी राज्य में देशी और विदेशी शराब की आपूर्ति का टेंडर सिंडिकेट के लोगों को दे दिया, जिससे धोखाधड़ी हुई और झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

यह भ्रष्टाचार 2022 से 2023 के बीच किया गया। सिंडीकेट द्वारा प्रदेश में बिना हिसाब की नकली होलोग्राम लगी देशी मदिरा की बिक्री कर तथा अपने करीबी एजेंसियों को विदेशी मदिरा सप्लाई का काम दिलाकर उन कंपनियों से करोड़ों रुपये के अवैध कमीशन से कमाई की गई।  टुटेजा और उनके सिंडिकेट का इरादा झारखंड में अवैध शराब का कारोबार करने का था और अपनी योजना के तहत ढेबर और त्रिपाठी ने जनवरी 2022 में झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की।

उन्होंने झारखंड में मौजूदा ठेका प्रणाली को बदलकर छत्तीसगढ़ के वितरण मॉडल को लागू करने का प्रस्ताव रखा, जिससे सिंडिकेट को अवैध धन कमाने में मदद मिली। इस संबंध में झारखंड और छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में बैठक हुई और झारखंड में भी किस प्रकार मदिरा व्यवसाय में अवैध मुनाफा प्राप्त किया जाए, इसके लिए आपराधिक साजिश करते हुए योजना बनाई गई।

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यह है झारखंड का शराब घोटाला

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने दिसंबर 2022 में नई शराब नीति लागू की थी। इससे पहले बीजेपी की रघुवर दास की सरकार ने सरकारी स्तर पर शराब बेचने की व्यवस्था लागू की थी। नई शराब नीति बनने के कुछ महीने पहले से ही (मई 2022 से) ही झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर ही शराब की बिक्री हो रही थी।

छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया था। छत्तीसगढ़ में कार्यरत प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का काम मिला था। छत्तीसगढ़ में भी यही कंपनी काम कर रही थी। इसी तरह मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को मैन पावर सप्लाई की जिम्मेदारी मिली थी। बता दें कि तीनों ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी भी हैं।

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शराब घोटाले में इन पर दर्ज एफआईआर

झारखंड के दोनों अधिकारियों के अलावा, इस मामले में छत्तीसगढ़ के 2,200 करोड़ के शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आइएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, मेसर्स सुमित फैसलिटीज के संचालक विधु गुप्ता, प्रिज्म होलोग्राफी नोएडा, मैन पावर और शराब की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों व अन्य के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।

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