धान के कटोरे में ही धान पर संकट आ खड़ा हुआ है। हालत यह हो गई है कि यदि किसानों ने धान की फसल की तो उन पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाएगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ की , जिसे धान का कटोरा कहा जाता है। इसे धान का कटोरा इसलिए कहते हैं कि यहां प्रमुख पैदावार धान ही है और अब इसी धान ने किसानों के सामने अजीविका का संकट खड़ा कर दिया है।
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छत्तीसगढ़ इसलिए बना धान का कटोरा
छत्तीसगढ़ वन अच्छादित क्षेत्र राज्य है। यानी यहां पर वन बड़े क्षेत्र में पाया जाता है। हरियाली होने की वजह से यहां पर बारिश भी अच्छी होती थी। चूंकि, धान की फसल के लिए पानी बहुत ही ज्यादा मात्रा में लगता है और छत्तीसगढ़ में पानी पर्याप्त रहता था। नतीजा, यहां पर धान की पैदावार इतनी होती थी कि इसे धान का कटोरा ही कहा जाने लगा।
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अब आ रही यह परेशानी
अक्टूबर माह में ही मानसून की विदाई हुई है। राज्य के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाए तो बड़े क्षेत्र में बारिश पर्याप्त मात्रा में नहीं हुई। नतीजा ये हुआ कि किसानों को बारिश के सीजन में भी धान की फसल करने के लिए सिंचाई पंप का सहारा लेना पड़ा।
इसके चलते जलस्तर तेजी से गिर गया। इसका सबसे पहला मामला अभी राजनांदगावं जिले में सामने आया है। प्रशासन के पास जानकारी पहुंची थी कि बारिश के सीजन में भी करीबन 45 हजार सिंचाई पंप चलाए गए थे।
अकेले राजनांदगांव जिले में ही 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल रोपी गई थी। नतीजा ये हुआ कि फसल को सूखने से बचाने के लिए भूजल का दोहन करना पड़ा।
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प्रशासन के होश उड़े
कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि खरीफ सीजन यानी मानसून वाली फसल में ही किसानों को बारिश से मदद नहीं मिल सकी। किसानों को फसल बचाने के लिए लगातार सिंचाई पंप चलाने पड़े, जबकि रबी यानी गर्मियों की फसल में तो बारिश की उम्मीद ही नहीं की जा सकती। ऐसे में यदि किसानों ने धान की फसल कर ली तो, पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। भूजल स्तर इतना नीचे जा सकता है, जिससे पंप भी फेल साबित हो सकते हैं।
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50 हजार रुपए का लगेगा जुर्माना
आसन्न जल संकट को देखते हुए प्रशासन ने राजनांदगांव जिले में रबी के सीजन में धान की फसल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके लिए गांव- गांव मुनादी करा दी गई है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि धान की फसल करने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना वसूल किया जाएगा।
सूत्रों की ओर से बताया जा रहा है कि कलेक्टर संजय अग्रवाल के पास कृषि विभाग के अधिकारियों ने एक रिपोर्ट पहुंचाई थी। इसमें बताया गया था कि जिले के जिन हिस्सों में मानसून के दौरान 200 फीट तक पानी मिल रहा था, उन क्षेत्रों में भी जल स्तर 600 फीट तक चला गया है। इस रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से धान की फसल करने पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाए जाने का ऐलान किया गया है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राजनांदगांव जिले में रबी के सीजन में धान की फसल पर रोकने की शुरुआत की गई है। कमोबेश यही स्थिति राज्य के अन्य हिस्सों में भी बन सकती है।
गिरता भूजल स्तर राज्य में बड़ी चिंता के रूप में सामने आ सकता है। इससे धान के कटोरे में धान की पैदावार तो घटेगी ही, साथ ही किसानों के सामने रोजगार और पलायन का संकट भी खड़ा होगा, क्योंकि राज्य की जलवायु धान की फसल के लिए अनुकूल है। अन्य फसलों के लिए यहां की मिट्टी और जलवायु अनुकूल फिलहाल नहीं हैं।