पिता को मुखाग्नि देनी थी...ड्यूटी कर रहा बेटा बोला-वोटिंग बाद आ पाऊंगा

शिक्षक बेटे ने अपनी चुनावी ड्यूटी का फर्ज निभाकर मिसाल कायम किया है। सीढ़ियों से गिरने के कारण मौत हो गई लेकिन, बेटे ने अपनी ड्यूटी पुरी करने के बाद पिता को मुखाग्नि दी।

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Kanak Durga Jha
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Father had to be cremated son on duty said I will be able to come after voting
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छत्तीसगढ़ के एक शिक्षक बेटे ने अपनी चुनावी ड्यूटी का फर्ज निभाकर मिसाल कायम किया है। सीढ़ियों से गिरने के कारण मौत हो गई लेकिन, बेटे ने अपनी ड्यूटी पुरी करने के बाद पिता को मुखाग्नि दी। दरअसल, कोरबा जिले के उरगा थाना क्षेत्र में पिता की मौत की खबर मिलने के बाद भी शिक्षक बेटे ने पहले अपनी चुनाव ड्यूटी निभाई और फिर नम आंखों से पिता का अंतिम संस्कार किया।

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सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई मौत

55 वर्षीय बजरंग पटेल की सीढ़ियों से गिरने के कारण मौत हो गई। मामला देवरमाल गांव की है। घटना के समय उनके बेटे चूड़ामणि पटेल की अकलतरा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनावी ड्यूटी पर तैनात थे। पिता की मौत की खबर मिलने पर भी चूड़ामणि शोक में डूब गए। एक ओर उनका मन पिता के अंतिम दर्शन के लिए बेचैन था, वहीं दूसरी ओर देश के लोकतांत्रिक कर्तव्यों का भी सवाल था।

लेकिन चूड़ामणि ने पहले अपनी चुनाव ड्यूटी पूरी करने का फैसला किया। उन्होंने परिवार को संदेश भेजा कि उनकी ड्यूटी पूरी होने तक पिता का अंतिम संस्कार न किया जाए। बेटे ने ड्यूटी पूरी करने के बाद पिता का अंतिम संस्कार किया।

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अंतिम दर्शन के लिए बेचैन था शिक्षक बेटा

बजरंग पटेल घर में सीढ़ी से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गहरी चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें तत्काल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। मगर डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उस वक्त उनका बेटा चूड़ामणि उनके साथ नहीं था।

चूड़ामणि की ड्यूटी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगी थी। जब उन्हें अपने पिता के निधन की खबर मिली, तो उनके लिए यह पल बेहद कठिन था। एक ओर उनका मन पिता के अंतिम दर्शन के लिए बेचैन था, वहीं दूसरी ओर देश के लोकतांत्रिक कर्तव्यों का भी सवाल था।

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ड्यूटी पूरी कर किया अंतिम संस्कार

लेकिन चूड़ामणि ने उस समय जो निर्णय लिया, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। उन्होंने तत्काल अपने परिवार को संदेश भिजवाया कि वे अभी चुनावी ड्यूटी में हैं और उनकी गैरमौजूदगी में अंतिम संस्कार न किया जाए। उन्होंने साफ कहा कि जब तक वे अपनी ड्यूटी पूरी कर घर नहीं पहुंचते, तब तक उनके पिता का अंतिम संस्कार न किया जाए। यह सुनकर परिजन भावुक हो गए और उनके निर्णय का सम्मान किया।

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