छत्तीसगढ़ में अवैध महुआ शराब के कारोबार पर कड़ा शिकंजा कसते हुए बिलासपुर पुलिस ने एक बड़ी और ऐतिहासिक कार्रवाई की है। कोनी थाना क्षेत्र में अवैध शराब बेचने से अर्जित लगभग 50 लाख रुपए की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह राज्य की पहली कार्यवाही है जिसमें नए कानून बीएनएसएस (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) 2023 की धारा 107 का उपयोग किया गया है।
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गिरोह बनाकर चला रहे थे अवैध शराब का कारोबार
पुलिस की जांच में सामने आया है कि संतोष वर्मा, उसकी पत्नी देवीबाई वर्मा और बेटा राहुल वर्मा पिछले कई वर्षों से गांव-गांव में महुआ की अवैध शराब बना और बेच रहे थे। पुलिस द्वारा पहले भी इन पर कई बार कार्रवाई की गई, लेकिन ये अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आए।
अवैध संपत्ति की पूरी सूची
पुलिस जांच में पाया गया कि अवैध शराब बिक्री से आरोपियों ने जो संपत्ति खरीदी, उसमें शामिल हैं एक दोमंजिला मकान, एक प्लॉट, एक ट्रैक्टर, एक स्विफ्ट कार, दो मोटरसाइकिल। इन सभी की अनुमानित कीमत लगभग ₹50 लाख आंकी गई है। आरोपियों के पास कोई वैध आय का स्रोत नहीं है, जिससे इतनी संपत्ति का होना संदेह के घेरे में है।
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नया कानून बना हथियार: धारा 107 बीएनएसएस का पहला उपयोग
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह के निर्देश पर कोनी थाना प्रभारी राहुल तिवारी की अगुवाई में एक टीम गठित की गई। टीम ने जांच कर यह साबित किया कि आरोपी परिवार ने संपत्ति अवैध शराब बिक्री से अर्जित की है।
इसके बाद BNS 2023 की धारा 107 के तहत अवैध आय से अर्जित संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई और सक्षम न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
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राज्य में पहली कानूनी कार्रवाई
यह छत्तीसगढ़ में पहली बार है जब बीएनएसएस के तहत किसी अवैध शराब गिरोह की संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही हुई है। पुलिस का मानना है कि यह कार्रवाई राज्य में अवैध शराब कारोबारियों के लिए सख्त चेतावनी बनेगी।
SSP बोले – आम जनता को मिलेगा भरोसा
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह ने कहा "यह कार्रवाई कानून के राज को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे अवैध कारोबारियों में डर और आम जनता में विश्वास बढ़ेगा।"
बिलासपुर पुलिस की यह पहल एक उदाहरण बन सकती है, जहां संगठित अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त कर कानून का डर दिखाया गया है। आने वाले समय में यह मॉडल अन्य जिलों में भी अपनाया जा सकता है।
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