ढाई हजार राइस मिलों में अटका गरीबों का निवाला, नहीं जमा हुए 50 लाख मीट्रिक टन चावल

छत्तीसगढ़ में खरीदी के बाद राइस मिलर्स ने धान तो उठा लिया, लेकिन मिलिंग में इतनी देरी हो गई कि अब तक सरकार के पास चावल नहीं पहुंचा है। इससे गरीबों का निवाला राइस मिलों में अटक गया है।

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Arun Tiwari
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Food for the poor stuck in 2500 rice mills, 50 lakh metric tonnes of rice not deposited the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान के बाद अब सरकार के सामने चावल की चुनौती है। धान की खरीदी के बाद राइस मिलर्स ने खरीदी केंद्रों से धान तो उठा लिया लेकिन उसकी मिलिंग में इतनी देरी हो गई कि अब तक सरकार के पास चावल नहीं पहुंचा है। यानी यूं कहा जाए कि गरीबों का निवाला राइस मिलों में अटक गया है तो शायद गलत नहीं होगा। यह चावल कोई थोड़ा नहीं है बल्कि 50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मात्रा में है। ढाई हजार से ज्यादा राइस मिलों में 50 लाख मीट्रिक टन चावल अटक गया है। इस लेटलतीफी के कारण सरकार केंद्रीय पूल में भी चावल जमा नहीं कर पाई है। ये वही चावल है जो गरीबों को राशन कार्ड पर दिया जाता है।  

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गरीबों का चावल-सरकार पर मुश्किल

छत्तीसगढ़ में 75 लाख से ज्यादा राशनकार्ड धारी हैं। इन लोगों को सरकार राशन कार्ड पर चावल देती है। छत्तीसगढ़ का मुख्य भोजन चावल ही है जो गरीबों का पेट भरता है। इसी चावल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को चावल वाले बाबा की उपाधि दी थी। गरीबों का ये निवाला अब अटक गया है। ये अटका है राइस मिलों में। राइस मिलर्स ने खरीदी केंद्रों से धान का उठाव तो कर लिया है लेकिन धान की मिलिंग कर चावल निकालने की प्रक्रिया बहुत धीमी चल रही है। सरकार ने इस बार धान खरीदी का रिकॉर्ड तो बना लिया लेकिन अब रिकार्डधारी सरकार राइस मिलों का मुंह ताक रही है। हालत ये है कि 50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा का चावल ढाई हजार से ज्यादा राइस मिलों में अटका है। यानी यह चावल अब तक सरकार के पास जमा नहीं हुआ है। सरकार के पास चावल न पहुंचने से न तो केंद्रीय पूल में चावल जमा हो पाया है और न ही राज्य के पूल में पर्याप्त चावल पहुंचा है। यह वही चावल है जो सरकार के जरिए गरीबों के घर पहुंचता है और उनका भोजन बनता है। 

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यह है पूरी स्थिति 

साल 2024-25 में सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की। इस साल छत्तीसगढ़ में अब तक की सबसे ज्यादा खरीदी हुई। सरकार ने इस खरीदी के वक्त राइस मिलर्स के साथ चला विवाद सुलझाया ताकि धान की मिलिंग में कोई मुश्किल न आए। राइस मिलर्स ने खरीदी केंद्रों से धान का उठाव किया। लेकिन धान की मिलिंग में देरी हो गई। अब तक 2722 राइस मिलों ने 52.65 लाख मीट्रिक टन चावल सरकार के गोदामों में जमा नहीं किया है। इस साल केंद्रीय पूल में 70 लाख मीट्रिक टन और राज्य पूल में 13.34 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया जाना है। अब तक यानी मार्च के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से केंद्रीय पूल में 8.84 मीट्रिक टन और राज्य के पूल में 4.85 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा किया जा सका है। अभी केंद्रीय पूल में 61.16 लाख मीट्रिक टन और राज्य के पूल में 8.49 लाख मीट्रिक टन जमा होना बाकी है। छत्तीसगढ़ के खाद्यमंत्री दयालदास बघेल कहते हैं कि चावल जमा करने का काम प्रक्रियाधीन है इसलिए किसी पर कोई कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि गरीबों के राशन पर कोई संकट नहीं आएगा और जल्द ही यह काम पूरा कर लिया जाएगा। 

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इन जिलों में इतनी राइस मिलों को चावल जमा करना है

रायपुर- 251 राइस मिल
धमतरी -216 राइस मिल
महासमुंद -181 राइस मिल
दुर्ग -150 राइस मिल
जांजगीर चांपा -167 राइस मिल
सक्ती- 152 राइस मिल
रायगढ़ -126 राइस मिल
बिलासपुर- 167 राइस मिल
कोरबा -122 राइस मिल
बालोद -124 राइस मिल
बेमेतरा -109 राइस मिल
सारंगढ़ -116 राइस मिल

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