गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी में नमाज के बाद मंदिर विवाद

छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एनएसएस कैंप में योगा के बहाने हिंदू छात्रों को नमाज पढ़ाने का विवाद थमा नहीं था कि मंदिर निर्माण का मुद‍्दा गर्मा गया है। आरोप है कि निर्माण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई। 

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Krishna Kumar Sikander
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Temple dispute after Namaz in Guru Ghasidas University the sootr
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एनएसएस कैंप योगा के बहाने हिंदू छात्रों को नमाज पढ़ाए जाने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि मंदिर निर्माण का मुद‍्दा गर्मा गया है। विश्वविद्यालय परिसर में एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। आरोप है कि मंदिर निर्माण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई है। 

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मंदिर निर्माण का विरोध और समर्थन

बिना अनुमति के मंदिर निर्माण की शिकायत भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष अमृत दास डहरिया ने की है। डहरिया ने कुलपति और कलेक्टर से शिकायत के साथ चेतावनी दी है कि अगर मंदिर निर्माण नहीं रुका तो प्रदर्शन करेंगे। मंदिर निर्माण पर रोक की मांग के बाद विश्वविद्यालय परिसर में राजनीति गर्मा गई है। छात्रों का एक गुट मंदिर निर्माण रोके जाने के विरोध में खड़ा हो गया है तो दूसरा गुट भीम आर्मी के साथ आ गया है। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। 

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नमाज पढ़ाने के मामले में हुई कार्रवाई

मंदिर विवाद से पहले ही विश्वविद्यालय के एनएसएस कैंप में हिन्दू छात्रों को जबरन नमाज पढ़ाने का मुद्दा गरमा गया था। इस मामले में छात्रों ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई के साथ कुलपति को हटाने की मांग की थी और इसको समर्थन में प्रदर्शन भी किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोक हुई थी। हालांकि इस बीच, विश्वविद्यालय प्रबंधन आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उनको पद से हटा दिया है। 

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विश्वविद्यालय प्रशासन का लचर रवैया

विवादों में घिरे गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन का लचर रवैया रहा। यूनिवर्सिटी की ओर से आधिकारिक पक्ष न रजिस्ट्रार डॉ. अभय शंकर रणदिवे दे पाए और न मीडिया इंचार्ज मानवेंद्र नाथ त्रिपाठी कुछ बोले। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रूख से साफ है कि छात्रों से विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई संवाद नहीं है। यही कारण है कि विश्वविद्यालय परिसर में अक्सर विवाद की स्थिति बनती है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के कारण स्थानीय प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा पाता है। 

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