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बीजेपी संगठन को अपने नए मुखिया की तलाश है। ऐसा माना जा रहा है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव को विष्णु कैबिनेट में मंत्री बनाया जाएगा। किरण देव की जगह कौन लेगा, संगठन यही मंथन कर रहा है। मंथन इस बात का है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर सवर्ण, ओबीसी या फिर कोई युवा नेता बैठेगा।
संगठन अपनी तैयारी कर रहा है लेकिन अंदेशा ये भी है कि दिल्ली की तरफ से कहीं कोई सरप्राइज एलीमेंट तो नहीं आएगा। प्रदेश संगठन को अपने नए मुखिया के लिए फायर नहीं फ्लावर चाहिए। यानी ऐसा नेता जो सीएम के सामने नया पॉवर सेंटर न बने और उनके साथ संतुलन से काम करे। आइए आपको बताते हैं कि संगठन के अंदरखाने में आखिर किन नामों की चर्चा चल रही है।
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बीजेपी का नया अध्यक्ष जल्द
इन दिनों बीजेपी के संगठन चुनाव चल रहे हैं। जिला अध्यक्षों की सूची जारी हो चुकी है। पार्टी के संगठन नियमों के अनुसार आधे से ज्यादा जिला अध्यक्षों के निर्वाचन के बाद प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में दो जिलों को छोड़कर सभी जिलों के अध्यक्ष घोषित हो चुके हैं। अब ऐसा माना जा रहा है कि एक सप्ताह के अंदर प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।
वर्तमान अध्यक्ष को फिर से चुना जाएगा या फिर नया चेहरा आएगा यह कुछ ही दिनों में तय हो जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के रुप में नए चेहरे की ताजपोशी की संभावना ज्यादा है क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष किरण सिंहदेव को विष्णु कैबिनेट में शामिल करने की चर्चाएं जोरों पर हैं। हाल ही में हुए बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में भी किरण देव को मंत्री बनाए जाने की चर्चा हुई। यदि किरण देव मंत्री बनाए जाते हैं तो फिर उनकी जगह नए चेहरे की ताजपोशी होगी। नए चेहरे के लिए संगठन की तलाश चल रही है।
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संगठन के अंदर इन नामों की चर्चा
बीजेपी संगठन के अंदर कुछ नामों की चर्चा बड़ी तेजी से चल रही है। दरअसल संगठन को फायर नहीं फ्लावर चाहिए। यानी बीजेपी का जोर फायर ब्रांड नेता पर नहीं बल्कि शांत और संतुलित नेता पर है। बीजेपी ऐसा नेता चाहती है जो सीएम के साथ संतुलन बनाकर काम करे और अलग पॉवर सेंटर न बन पाए। किरण सिंह देव इसी तरह के प्रदेश अध्यक्ष थे जो सबको साथ लेकर चलने और सीएम के साथ मिलकर काम करने पर भरोसा करते थे। संगठन में इस बात का भी मंथन चल रहा है कि नए मुखिया के लिए सवर्ण को या ओबीसी को चुना जाए या फिर किसी नए चेहरे को मौका दिया जाए।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए इन नामों की चर्चा चल रही है।
धरमलाल कौशिक : धरमलाल कौशिक बेहद अनुभवी और सीनियर लीडर हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष के साथ विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में विधायक हैं। लेकिन कौशिक तेज नेता माने जाते हैं। उनक विधानसभा में पूछे गए सवाल भी काफी गंभीर होते हैँ। यही कारण है कि संगठन उनसे परहेज बरत सकता है।
वहीं दूसरी बात ये है कि वे बिलासपुर संभाग से आते हैं। क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से भी उनका नाम अनफिट नजर आता है। इसी संभाग से डिप्टी सीएम आते हैं,केंद्रीय मंत्री तोखन साहू भी यहीं से हैं। मंत्री के लिए अमर अग्रवाल का नाम भी है इसलिए उनका नाम दौड़ में जरुर है लेकिन वे इन चुनौतियों का सामना भी कर रहे हैं।
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शिवरतन शर्मा : प्रदेश अध्यक्ष के लिए शिवरतन शर्मा का नाम भी तेजी से चल रहा है। शिवरतन शर्मा वर्तमान में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वे दो बार विधायक भी रह चुके हैं। उनको संगठन का अनुभव है और वे भी लो प्रोफाइल नेता माने जाते हैं। वे भी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की शैली अपनाते हैं।
नारायण चंदेल : नारायण चंदेल पूर्व विधायक रह चुके हैं। ओबीसी नेता के नाते नारायण चंदेल पर भी संगठन विचार कर रहा है।
सौरभ सिंह : सौरभ सिंह पार्टी के युवा नेता हैं। वे एक बार विधायक रह चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव में उनको जीत हासिल नहीं हुई। सौरभ सिंह युवा, पढ़े लिखे और बेहद संजीदा नेता माने जाते हैं। सभी नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं। युवा नेता के नाते उनके नाम पर भी विचार किया जा सकता है। सौरभ सिंह को संगठन महामंत्री पवन साय का करीबी माना जाता है।
सरप्राइज एलीमेंट : टिकट वितरण हो या फिर संगठन चुनाव, केंद्रीय नेतृत्व हमेशा अपने फैसलों को लेकर चौंकाता रहा है। संगठन के अंदर ये भी चर्चा है कि दिल्ली की पसंद का भी कोई नाम आ सकता है। ये भी माना जा रहा है कि यदि दिल्ली यह तय करती तो फिर यह सरप्राइज एलीमेंट चौंका सकता है।
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एक साल पहले अध्यक्ष बने थे किरण देव
किरण देव एक साल पहले ही प्रदेश संगठन के मुखिया बने थे। विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन अध्यक्ष अरुण साव को डिप्टी सीएम बनाया गया था। इसीलिए उनके स्थान पर किरण देव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। किरण देव बस्तर संभाग से आते हैं। उनकी संगठन क्षमता के आधार पर ही उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चूंकि उनको मंत्री बनने की बात हो रही है इसीलिए उनकी जगह नए अध्यक्ष की खोज की जा रही है। यदि किरण देव मंत्री नहीं बने तो हो सकता है वे फिर से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए निर्वाचित हो जाएं। आखिर कौन बनेगा बीजेपी का नया अध्यक्ष यह जल्द ही पता चल जाएगा।