छत्तीसगढ़ की साय सरकार में कई काम सांय- सांय हो रहे हैं। इसमें एक ऐसा मामला है जो हैरान करता है। प्रदेश की एक पंचायत ऐसी है, जहां चार साल में चार सरपंच बदल चुके हैं। इसमें खास बात ये है कि व्यक्ति दो ही रहे, लेकिन शपथ चार बार हुई।
हर बार शपथ ग्रहण के बाद मामला कोर्ट- कचहरी पहुंच जाता है और इसके साथ ही सरपंच बदल जाता है। सरपंची की ये लड़ाई कौन जीतेगा, ये तो अभी तय नहीं हो सका है, लेकिन राज्य में पंचायत चुनाव की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है।
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चल रही सरपच की अदला बदला
छत्तीसगढ़ में एक ऐसी पंचायत है, जहां चार साल में चार सरपंच बदले जा चुके हैं। या यूं कहें कि यहां सरपच की अदला बदला चल रही है। आपको हैरत हो रही होगी कि ऐसा भी भला कहीं हो सकता है, लेकिन ये सच है। जशपुर जिले की तिलड़ेगा ऐसी ग्राम पंचायत है, जहां सरपंच बलने का खेल सा चल रहा है। इसका असर ये है कि गांव के लोग सड़क, बिजली, पानी जैसी समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं।
इस वजह से बदले गए सरपंच
छत्तीसगढ़ साल 2020 में पंचायत चुनाव हुए थे। इसमें तिलड़ेगा पंचायत में रायमुनी लकड़ा सरपंच का चुनाव जीते। उनके विरोध में चुनाव लड़ीं प्रत्याशी इंदु सिदार ने रायमुनी लकड़ा के चुनाव को कोर्ट में चुनौती। उन्होंने पुनर्मतगणना के लिए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (SDM) के यहां याचिका लगाई।
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इंदु सिदार की याचिका पर सुनवाई के बाद SDM कोर्ट ने रायमुनी लकड़ा को हटाकर इंदु सिदार को ग्राम पंचायत का सरपंच बना दिया। इसके कुछ महीनों के बाद रायमुनी लकड़ा ने भी कोर्ट का सहारा लिया। उन्होंने बतौर निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते कोर्ट से स्टे आर्डर लाकर फिर से सरपंच का पदभार ग्रहण कर लिया।
मामला यही नहीं थमा। लकड़ा के शपथ लेने के कुछ महीन बाद ही पत्थलगांव एसडीएम आकांक्षा त्रिपाठी ने फिर से इंदु सिदार को उनकी याचिका के आधार पर ग्राम पंचायत तिलड़ेगा का सरपंच बना दिया। इस तरह सरपंच बदले जाने की यह प्रक्रिया लगातार चलती रही। अभी फिर से रायमुनी लकड़ा को ग्राम पंचायत तिलड़ेगा के सरपंच की शपथ दिलाई गई है। मतलब, इंदु सिदार को फिर से हटा दिया गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
छोटी-छोट समस्याओं से जूझ रहे ग्रामवासी सरपंची की इस अदला -बदली से परेशान हैं। द सूत्र ने जिम्मेदारों से बात की तो सरपंच रायमुनी लकड़ा का कहना है कि काम करने के लिए उन्हें पूरा समय नहीं मिल पा रहा है। बार-बार कोर्ट कचहरी का अड़ंगा लगा दिया जा रहा है, जिससे वो अपने वादे पूरे नहीं कर पा रहे हैं।
जनपद पंचायत के सीईओ पवन पटेल कहते हैं कि पांच साल के भीतर अगर लगातार सरपंच बदले जाते हैं तो विकास कार्य प्रभावित होते है।
बहरहाल, सच्चाई कुछ भी , लेकिन यह पंचायत छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय जरूर बन गई है।