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भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। अभनपुर में भूस्वामी अरिहंत पारेख का आरोप है कि उनके दस्तावेजों में व्हाइटनर (सफेदा) का उपयोग कर हेराफेरी की गई और करीब 1 करोड़ 36 लाख 85,506 रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया। इस घोटाले में स्थानीय किसान हृदयलाल गिलहरे के नाम पर पंजाब नेशनल बैंक में फर्जी खाता खोलकर राशि हड़प ली गई।
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ऐसे हुआ खेल
जांच में पता चला कि ह्दयलाल गिलहरे के नाम पर खाता खोला गया, जिसमें मुआवजा राशि जमा होते ही तुरंत निकाल ली गई और खाता बंद कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि हृदयलाल को इसकी भनक तक नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, बुजुर्ग किसान को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया, जबकि असल भूस्वामी को मुआवजा नहीं मिला। दस्तावेजों में हेराफेरी कर हृदयलाल को भूस्वामी दिखाया गया, जबकि उनके पास इतनी बड़ी राशि का कोई हिस्सा नहीं है।
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अधिकारियों पर सवाल
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अरिहंत पारेख ने तत्कालीन एसडीएम, राजस्व निरीक्षक (आरआई), पटवारी और अन्य अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), राजस्व सचिव और कमिश्नर को दस्तावेजों के साथ शिकायत की, लेकिन फैसला उनके पक्ष में होने के बावजूद मुआवजा राशि नहीं मिली। सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों में भी इस घोटाले की पुष्टि हुई है, जिसमें रिकवरी कर असल भूस्वामी को भुगतान का आदेश शामिल है।
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रसूखदारों का रैकेट सक्रिय
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और भू-अर्जन अधिकारियों का कहना है कि मुआवजा राशि का भुगतान हो चुका है, लेकिन जांच में सामने आया कि इस फर्जीवाड़े में एक बड़ा रैकेट सक्रिय है, जो अधिकारियों और भूमि दलालों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का गबन कर चुका है। कई भूस्वामियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला, और वे न्याय की आस में भटक रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि इस घोटाले के पीछे रसूखदार लोगों और अधिकारियों की सांठगांठ है। इस मामले में अभी तक किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे भूस्वामियों में आक्रोश बढ़ रहा है।
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