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छत्तीसगढ़ में सरकारी मकान खरीदने वालों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हाउसिंग बोर्ड, रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) और नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) के मकानों को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया रुकी हुई है। सरकार ने तीन साल पहले इन मकानों को फ्री होल्ड करने का निर्णय लिया था, जिसके बाद कुछ प्रगति हुई, लेकिन अब कई प्रोजेक्ट्स की जमीनों का डायवर्सन न होने से मामला अटक गया है।
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कृषि और सरकारी जमीन का रिकॉर्ड बाधा
हाउसिंग बोर्ड के कई प्रोजेक्ट ऐसी जमीनों पर बने हैं, जिनका राजस्व रिकॉर्ड में उपयोग आज भी कृषि या सरकारी दर्ज है। इन जमीनों का डायवर्सन नहीं हुआ और न ही हाउसिंग बोर्ड के नाम दर्ज किया गया। नतीजतन, इन जमीनों पर बने मकानों को फ्री होल्ड नहीं किया जा सका। इससे हजारों खरीदार प्रभावित हैं, जो बार-बार हाउसिंग बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारियों के पास कोई ठोस समाधान नहीं है। आरडीए और एनआरडीए के मकानों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है।
जमीन अधिग्रहण में खामियां, मुआवजा भी अटका
रायपुर-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। पटवारी और राजस्व निरीक्षकों की गलतियों के कारण कई जमीनें गलत तरीके से अधिग्रहण रिकॉर्ड में शामिल हो गईं। इसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, दलदल सिवनी मोवा की 70 वर्षीया ज्योति आहूजा पिछले 13 साल से अपनी जमीन को मुक्त कराने के लिए भटक रही हैं। उनकी जमीन अधिग्रहण के दायरे में नहीं थी, फिर भी 7000 वर्गफीट का रकबा ब्लॉक कर दिया गया। न उन्हें मुआवजा मिला और न ही जमीन का उपयोग हो पा रहा है।
प्रदेशभर में 3000 से ज्यादा लोग प्रभावित
यह समस्या सिर्फ रायपुर तक सीमित नहीं है। पूरे छत्तीसगढ़ में 3000 से अधिक लोग अपने मकानों को फ्री होल्ड न करा पाने के कारण परेशान हैं। रायपुर के अपर कलेक्टर कीर्तिमान सिंह राठौर ने बताया कि कई पुरानी कॉलोनियों की जमीन का प्रयोजन (लैंड यूज) आज तक नहीं बदला गया। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा चल रही है और जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा।
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अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया, न्याय में देरी
राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण में गलत रिकॉर्ड के कारण कई मामले आर्बिट्रेशन और हाईकोर्ट तक पहुंचे हैं। रायपुर संभागायुक्त महादेव कांवरे के अनुसार, एक बार अवार्ड पारित होने के बाद रिकॉर्ड सुधारना जटिल प्रक्रिया है। लाभांडी क्षेत्र के मंशाराम मेंघानी जैसे पीड़ितों को कोर्ट के फैसले के बावजूद मुआवजा नहीं मिला।
खरीदारों की गुहार, कब मिलेगा समाधान
फ्री होल्ड की प्रक्रिया में देरी और जमीन अधिग्रहण की खामियों ने खरीदारों को हताश किया है। लोग न केवल आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि मानसिक तनाव का भी सामना कर रहे हैं। सरकार और प्रशासन से उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा, ताकि प्रभावित लोगों को राहत मिल सके।
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