हाउसिंग बोर्ड ने तोड़े नियम फिर भी ठेकेदार ने काम छोड़ा अब दूसरों का सहारा

मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड का महत्वाकांक्षी हाउसिंग प्रोजेक्ट तुलसी ग्रीन अधिकारियों की मनमानी का शिकार बना हुआ है। ये प्रोजेक्ट 12 माह से भी ज्यादा पिछड़ चुका है। वहीं 18 % जीएसटी की शर्त ने खरीदारी पर बोझ बढ़ा दिया है।

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Sanjay Sharma
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निर्माणाधीन तुलसी ग्रीन हाउसिंग प्रोजेक्ट Photograph: (THE SOOTR)

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BHOPAL. हाउसिंग बोर्ड का महत्वाकांक्षी हाउसिंग प्रोजेक्ट तुलसी ग्रीन लगातार अधिकारियों की मनमानी का शिकार बना हुआ है। तुलसी ग्रीन की निर्माण एजेंसी के चयन से लेकर अब तक नियमों की अनदेखी की वजह से ये हाउसिंग प्रोजेक्ट 12 माह से भी ज्यादा पिछड़ चुका है। वहीं ठेकेदार के भागने के बाद अब अधिकारियों की शह पर नियम विरुद्ध पेट्री कांट्रेक्टरों से गुपचुप काम कराया जा रहा है। बीते दो माह में भी काम की रफ्तार में तेजी नहीं आई है। यानी इसमें बुकिंग कराने वाले खरीदारों को दो से तीन साल बाद ही अपने फ्लैट मिल पाएंगे। यही नहीं ठेकेदार के साथ अपना हित साधने के चक्कर में हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों द्वारा टेंडर के नियमों में किए गए बदलाव अब खरीदारों की जेब पर बोझ डालेंगे। यानी प्रोजेक्ट में बुकिंग कराने वालों को करीब 21 करोड़ रुपए ज्यादा चुकाने पड़ेंगे क्योंकि अधिकारियों ने टेंडर में अलग से 18 प्रतिशत जीएसटी के भुगतान की शर्त जोड़ दी थी। जबकि नियमानुसार जीएसटी की राशि टेंडर में ही शामिल होती  है। इसको लेकर केंद्र से लेकर राज्य  से भी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। 

टेंडर से लेकर निर्माण तक मनमानी 

मध्यप्रदेश हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट (MPHIDB) बोर्ड बीते सालों से लगातार अपने प्रोजेक्ट में नियमों की अनदेखी करता आ रहा है। इस वजह से इन प्रोजेक्ट के निर्माण में बोर्ड को भी घाटा उठाना पड़ रहा है। इसके बाद भी अधिकारियों का रवैया सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। हाउसिंग बोर्ड के पूर्व आयुक्त की दिलचस्पी के चलते साल 2023 में तुलसी ग्रीन प्रोजेक्ट का ठेका पुणे की मधुरे कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। इस टेंडर में प्रतिस्पर्धा में आई कंपनियों को टेंडर में मनमानी शर्तें जोड़कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। हांलाकि 116 करोड़ के इस टेंडर को हासिल करने के कुछ महीने बाद ही मधुरे कंस्ट्रक्शन ने काम से हाथ पीछे खींच लिए थे। 

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ठेकेदार के नाम पर जेबें भर रहे अफसर 

मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड में किस तरह भर्राशाही का आलम है और अधिकारी कैसे नियमों को तोड़ रहे हैं इसका बड़ा उदाहरण टेंडर में जीएसटी के अलग से प्रावधान है। बोर्ड ने साल 2023 में तुलसी ग्रीन्स हाउसिंग प्रोजेक्ट का टेंडर जारी किया था। 246 फीट ऊंचे तुलसी ग्रीन टावर का निर्माण  करीब 116 करोड़ की लागत किया जाना है। इस हाईराइज बिल्डिंग के टेंडर में ठेकेदार को लाभ पहुंचाने और उसके जरिए अपनी जेबें भरने अधिकारियों ने नियमों में जोड़-तोड़ कर डाली। दरअसल टेंडर प्रक्रिया के दौरान निर्माण लागत 116 करोड़ में ही जीएसटी भी शामिल होनी चाहिए थी, लेकिन अधिकारियों ने टेंडर के दौरान इसमें बदलाव किया। टेंडर की लागत से अलग 18 प्रतिशत जीएसटी भुगतान का प्रावधान रखा गया यानी निर्माण कंपनी को 20.90 करोड़ का अलग से भुगतान करने का रास्ता खोल दिया। 

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वित्त विभाग के नोटिफिकेशन की अनदेखी

टेंडर संबंधी मामलों को लेकर केंद्रीय वित्त विभाग की गाइडलाइन तय है। इसमें नियम_कायदों का पालन देश भर में किया जाना जरूरी है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा इस संबंध में नोटिफिकेशन नंबर 3/2019-केंद्रीय टैक्स (दर) जारी किया है। इस नोटिफिकेशन के आधार पर टेंडर रेट जारी करने के आदेश प्रदेश के सभी विभागों को भी दिए गए हैं। बावजूद इसके हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों द्वारा इसकी अनदेखी की गई। बोर्ड में शामिल अधिकारियों ने ठेकेदार के फायदे को प्राथमिकता देते हुए न केवल प्रदेश के वित्त विभाग बल्कि केंद्रीय गाइडलाइन और उसके नोटिफिकेशन की अनदेखी कर निविदा प्रपत्रों में संशाधन करते रहे। 

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सवा साल पीछे चल रहा निर्माण कार्य  

मधुरे कंस्ट्रक्शन द्वारा आवासीय प्रोजेक्टसे हाथ पीछे खींचने के बाद हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी इसे छिपाते रहे। काम में देरी के लिए निर्माण कंपनी के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की गई। सरकार और विभाग के आला अधिकारियों से भी इस जानकारी को छिपाया गया और बोर्ड के अधिकारियों के गठजोड़ ने गुपचुप तरीके से काम  अघोषित पेट्री कांट्रेक्ट्ररों को सौंप दिया। हांलाकि इसको लेकर कोई लिखा_पढ़ी तो नहीं हुई है लेकिन तुलसी ग्रीन प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे कर्मचारी और मजदूरों का कहना है वे मित्तल और ऋतुराज के लिए काम कर रहे हैं। पूर्व आयुक्त की चेतावनी के बाद भी काम में तेजी नहीं आई है क्योंकि बोर्ड के अधिकारी पेटी कांट्रेक्टरों पर छत्रछाया बनाए हुए हैं। 

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