आरडीए फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री में अड़चन, भटकने को मजबूर

छत्तीसगढ़ की राजधानी में आरडीए और हाउसिंग बोर्ड से फ्लैट खरीदने वाले लोगों को रजिस्ट्री प्रक्रिया में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समस्या का मूल कारण ऑटोमेटेड सिस्टम और ऑटो नामांतरण प्रक्रिया में तकनीकी खामियां हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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Obstacle in the registration of RDA flat buyers, forced to wander the sootr

छत्तीसगढ़ की राजधानी में रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) और हाउसिंग बोर्ड से फ्लैट खरीदने वाले लोगों को रजिस्ट्री प्रक्रिया में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर कमल विहार जैसे प्रमुख आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले लोग रजिस्ट्री कार्यालय, तहसील और पटवारी कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस समस्या का मूल कारण ऑटोमेटेड सिस्टम और ऑटो नामांतरण प्रक्रिया में तकनीकी खामियां हैं, जिसके चलते रजिस्ट्री प्रक्रिया बार-बार अटक रही है।

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अपॉइंटमेंट से लेकर अनुमति तक की मुश्किल

रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू करने के लिए खरीदारों को सबसे पहले रजिस्ट्री कार्यालय से अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है, लेकिन कई मामलों में अपॉइंटमेंट देने से मना कर दिया जा रहा है। रजिस्ट्री कार्यालय खरीदारों को पहले पटवारी और तहसीलदार से अनुमति लेने के लिए कह रहा है। यह प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली है, बल्कि खरीदारों के लिए मानसिक और आर्थिक बोझ भी बन रही है। कई खरीदारों ने शिकायत की है कि उन्हें बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा। 

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कमल विहार वाले सबसे ज्यादा प्रभावित

कमल विहार परियोजना में फ्लैट खरीदने वाले लोग इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यह परियोजना रायपुर के सबसे बड़े और लोकप्रिय आवासीय क्षेत्रों में से एक है, जहां हजारों लोग अपने सपनों का घर खरीदने की उम्मीद में निवेश कर चुके हैं। लेकिन रजिस्ट्री में हो रही देरी के कारण कई खरीदार अपने फ्लैट का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

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नामांतरण की जरूरत नहीं, फिर भी रुकावट

आमतौर पर आरडीए और हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट्स में नामांतरण की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये प्राधिकरण सीधे खरीदारों को फ्लैट आवंटित करते हैं। इसके बावजूद, ऑटोमेटेड सिस्टम में तकनीकी खामियों के कारण रजिस्ट्री प्रक्रिया बाधित हो रही है। रजिस्ट्री कार्यालय का सॉफ्टवेयर स्वचालित रूप से नामांतरण की मांग कर रहा है, जिसके चलते खरीदारों को अनावश्यक रूप से तहसील और पटवारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

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ऑटो नामांतरण सिस्टम वरदान की जगह अभिशाप

हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने ऑटो नामांतरण सिस्टम लागू किया था, जिसका उद्देश्य रजिस्ट्री के साथ-साथ नामांतरण की प्रक्रिया को स्वचालित और तेज करना था। इस सिस्टम के तहत नई रजिस्ट्री के साथ भूमि या संपत्ति का नामांतरण स्वतः हो जाता है। हालांकि, इस सिस्टम के लागू होने के बाद आरडीए फ्लैट खरीदारों की परेशानियां और बढ़ गई हैं। सॉफ्टवेयर में तकनीकी त्रुटियों के कारण सिस्टम उन मामलों में भी नामांतरण की मांग कर रहा है, जहां इसकी आवश्यकता नहीं है।

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तहसील में अटके 500 से ज्यादा मामले

ऑटो नामांतरण सिस्टम के बावजूद तहसील कार्यालयों में पुराने नामांतरण के करीब 500 मामले लंबित हैं। इन मामलों में पटवारी और तहसीलदार की मंजूरी अनिवार्य है, जिसके बिना न तो नामांतरण हो पा रहा है और न ही रजिस्ट्री। तहसील कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी, तकनीकी संसाधनों का अभाव और प्रशासनिक लापरवाही के कारण इन मामलों का निपटारा धीमी गति से हो रहा है। इससे खरीदारों का इंतजार और लंबा हो रहा है।

खरीदार उठा रहे आर्थिक और मानसिक बोझ

रजिस्ट्री में देरी के कारण खरीदारों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग बैंक लोन के जरिए फ्लैट खरीद चुके हैं और उन्हें हर महीने ईएमआई चुकानी पड़ रही है। रजिस्ट्री न होने के कारण वे अपने फ्लैट का पूर्ण स्वामित्व नहीं ले पा रहे, जिससे उनकी वित्तीय योजना प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने से समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।

समाधान के लिए प्रयास, लेकिन राहत कब

रायपुर के रजिस्ट्रार विनोज कोचे ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए बताया कि ऑटोमेटेड सिस्टम में तकनीकी खामियों की जानकारी नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) और तहसील अधिकारियों को दे दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, खरीदारों का कहना है कि इस तरह के आश्वासन उन्हें पहले भी मिल चुके हैं, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा।

खरीदारों की मांग

फ्लैट खरीदारों ने मांग की है कि सरकार और आरडीए इस समस्या का तत्काल समाधान करें। उनकी मांग है कि:


रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए।

ऑटोमेटेड सिस्टम में सुधार किया जाए ताकि अनावश्यक नामांतरण की मांग न हो।

तहसील कार्यालयों में लंबित मामलों का तेजी से निपटारा हो।

खरीदारों को बार-बार चक्कर न लगाने पड़ें।

सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल 

रायपुर विकास प्राधिकरण के फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री में आ रही अड़चनें न केवल प्रशासनिक अक्षमता को उजागर करती हैं, बल्कि आम लोगों के लिए सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती हैं। कमल विहार जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि रजिस्ट्री जैसी बुनियादी प्रक्रियाओं को सुगम और तेज किया जाए। जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलता, तब तक फ्लैट खरीदारों का भटकना और परेशान होना जारी रहेगा। सरकार और प्रशासन को इस दिशा में त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि खरीदारों को उनके सपनों के घर का पूर्ण स्वामित्व बिना किसी परेशानी के मिल सके।

 

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