![Goods worth Rs 110 crore distributed free during Lok Sabha elections seized in Chhattisgarh](https://img-cdn.thepublive.com/fit-in/1280x960/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/teMTKfRYopMGYjbN9dB3.jpg)
Freebies In Chhattisgarh
अरुण तिवारी, RAIPUR. आज के दौर में फ्रीबीज की राजनीति किस तरह हावी है, सिर्फ एक आंकड़ा देखकर इसका अंदाजा लग जाएगा। चुनावी सीजन में अकेले छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में 110 करोड़ का कैश और अन्य सामान जब्त हुआ है। हैरानी की बात ये है कि इसमें 40 करोड़ की सिर्फ फ्रीबीज यानी मुफ्त की रेवड़ियां हैं। ये फ्रीबीज भेजने वाले और जो इसे पाने वाला था उसकी मंशा तो यही रही होगी कि ये रेवड़ी जाएगी वोटरों के घर में और वोट जाएंगे उनके खाते में। यही नहीं चुनाव में पाया तो ये भी जाता है कि लड़ने वाले को राजनीति का नशा होता है, इसलिए वोटरों तक शराब का नशा पहुंचाया जाता है। इस सीजन में तीन करोड़ की शराब भी पकड़ में आई है। यानी नेताजी को मुफ्त की रेवड़ी महंगी पड़ गई। ये तो वो फ्रीबीज है जो गुपचुप बांटे जाने की तैयारी थी। लेकिन उनका क्या जो राजनीतिक दलों के चेहरे चुनावी भाषण में जोर जोर से रेवड़ी बांटने की बात कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया कर्ज
मुफ्त की रेवड़ी के चक्कर में छत्तीसगढ़ की नई नवेली सरकार ने अपने पहले 100 दिनों में ही 130 करोड़ रुपए रोज का कर्ज ले लिया। इस पूरे चुनाव में आम आदमी के तो मजे ही मजे हैं क्योंकि उसे तो मुफ्त के चंदन घिस मेरे नंदन का फील आ रहा है।
चुनाव में फ्रीबीज का कल्चर
चुनावों में फ्रीबीज का कल्चर इतना बढ़ गया है कि चुनाव आयोग भी अलग से फ्रीबीज का कॉलम बनाने लगा है। छत्तीसगढ़ में पांच साल पहले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में 10 करोड़ रुपए जब्त हुए थे, जिनका उपयोग फ्रीबीज बांटने में किया जाने वाला था। उम्मीदवार वोटरों को फ्रीबीज के नाम पर साड़ी, घड़ी, मोबाइल, साइकिल और मोटर बाइक तक बांटते हैं। इस बार 110 करोड़ रुपए पकड़ में आए हैं जो प्रदेश के चुनाव में खपाए जाने थे। हैरानी की बात ये भी है कि इसमें 40 करोड़ की मुफ्त की रेवड़ी का सामान है जो वोटरों तक पहुंचना था। ये आंकड़ा आचार संहिता लगने से लेकर अब तक का है। जब से चुनाव की आहट शुरु हुई थी तब से लेकर आज तक ये फ्रीबीज प्रदेश में वोटरों तक पहुंचाने के लिए भेजी जा रही है। छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग ने अलग से फ्रीबीज का कैलकुलेशन शुरू किया है जो कैश और ज्वेलरी से अलग है। पिछले पांच साल में फ्रीबीज का ये कल्चर 10 गुना तक बढ़ गया है।
प्रदेश में बंटना था इतना सामान
- कैश - 18 करोड़
- शराब - 3 करोड़
- नशे की सामग्री - 31 करोड़
- ज्वेलरी - 18 करोड़
- फ्रीबीज - 40 करोड़
भाषणों में फ्रीबीज की बातें कर रहे मुख्यमंत्री
40 करोड़ की तो सिर्फ फ्रीबीज का सामान है, लेकिन जो कैश, शराब, नशीले पदार्थ और ज्वेलरी जब्त हुई है वो भी फ्रीबीज ही है यानी चुनाव में वोटरों को लुभाने का ये नया तरीका है। ये तो मुफ्त की रेवड़ी वो है जो गुपचुप तरीके से बांटी जा रही है, लेकिन भाषणों में खुलेआम कभी संकल्प पत्र तो कभी न्याय पत्र के नाम पर भी जनता को रेवड़ी बांटने के वादे किए जा रहे हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने खूब रेवड़ी बांटी। इस रेवड़ी को मोदी की गारंटी बताया। मोदी की गारंटी पूरा करने के लिए सरकार ने रोजाना 130 करोड़ का कर्ज लिया। 18 लाख पीएम आवास मंजूर किए गए हैं। महतारी वंदन योजना के तहत 70 लाख महिलाओं को 1000 रुपए महीने देना शुरू कर दिया है। 11 लाख किसानों को 2 महीने का बोनस दिया है। 14 लाख किसानों को धान खरीदी के अंतर की राशि दी गई है। अब मोदी की गारंटी का दूसरा फेज शुरू हो गया है। इसमें महिलाओं को लखपति बनाने का वादा किया गया है। मुख्यमंत्री अपने भाषणों में मोदी की गारंटी के नाम पर फ्रीबीज की बातें ही कर रहे हैं। साथ में कांग्रेस के वादों को लफ्फाजी बता रहे हैं।
फ्रीबीज बांटे में बीजेपी से आगे कांग्रेस
फ्रीबीज बांटने में बीजेपी से चार कदम आगे कांग्रेस है। किसान कर्ज माफी का वादा कर भूपेश बघेल ने सरकार बनाई। इसके बाद एक लाख करोड़ का कर्ज छोड़कर भूपेश बघेल सरकार से विदा हो गए। ये कर्ज अब विष्णुदेव साय के हिस्से में आ गया है। वे भी लोकसभा चुनाव के कारण कर्ज लेकर मुफ्त की रेवड़ियां बांटने में जुट गए। अब राहुल गांधी ने कर्जमाफी का वादा कर एक बार फिर वही आजमाया हुआ दांव चल दिया है। गरीब महिलाओं को एक लाख सालाना देने की गारंटी भी ले ली है। अब भूपेश बघेल अपनी सरकार में बांटी गई रेवड़ी और आगे दी जाने वाली रेवड़ी की ही चर्चा वोटरों के बीच कर रहे हैं।
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सही उम्मीदवार को चुनना आपकी जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ के चुनावी रण में पहले और दूसरे चरण में होने वाले चार सीटों के चुनाव में कुल 52 उम्मीदवार मैदान में हैं। एक उम्मीदवार को पूरे चुनाव में 95 लाख खर्च करने की अनुमति है। यानी ये 52 उम्मीदवार पचास करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं। जो पैसे जब्त किए गए हैं उसमें 100 उम्मीदवार से ज्यादा चुनाव लड़ सकते हैं। अब ये आपको सोचना है कि जो नेता चुनाव जीतने के लिए पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, वे जनता के लिए कितने खरे साबित होंगे। अब आपके हाथ में ताकत है, इस ताकत का सही इस्तेमाल कीजिए और मुफ्त का चंदन घिसने की जगह सही उम्मीदवार को जीत का तिलक कीजिए।
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