छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी को लेकर सीएम विष्णुदेव साय सरकार के सारे दावे धरे रह गए हैं। पहले सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल ने सरकार की प्लानिंग पर पानी फेर दिया। इसके बाद जैसे- तैसे सरकार ने रूठे कर्मचारियों को मनाया तो राइस मिलर्स ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। एक के बाद एक आ रही परेशानियों ने सीएम विष्णुदेव साय सरकार की प्लानिंग पर पानी फेर दिया। नतीजा, ये हुआ कि सरकार धान खरीदी के लक्ष्य से कोसों दूर हो गई।
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सरकार झारखंड के चुनाव में लगी रही
छत्तीसगढ़ में जिस समय धान की खरीदी हुई, उसी समय झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकांश मंत्री दोनों ही राज्यों में चुनाव प्रचार कर रहे थे। इधर, छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने हड़ताल कर रखी थी, जिस पर सरकार का ध्यान ही नहीं था। इसकी वजह से धान खरीदी शुरू ही नहीं हो सकती नवंबर लास्ट वीक तक।
राइस मिलर्स को अंडर एस्टीमेट करती रही सरकार
छत्तीसगढ़ में सरकार धान खरीदने के बाद मिलिंग के लिए राइस मिलर्स को देती है। इसकी वजह से सरकार को सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि उसे वेयर हाउस मेंटेंन नहीं करने पड़ते। राइस मिलर्स के गोदाम में ही धान का स्टॉक हो जाता है। राइस मिलर्स को पिछली बार की मिलिंग की राशि का भुगतान ही नहीं किया गया था। इसके चलते राइस मिलर्स भी हड़ताल पर थे।
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इसका नतीजा ये हुआ कि राइस मिलर्स ने दिसंबर फर्स्ट वीक तक धान का उठाव ही नहीं किया। इसके चलते खरीदी केंद्रों पर धान का ओवर स्टॉक हो गया। नतीजा, सहकारी समितियों को धान की खरीदी अघोषित रूप से बंद करनी पड़ी। इसकी वजह से धान की खरीदी की सरकार की प्लानिंग पटरी से उतर गई। इस मुद्दे को द सूत्र ने प्रमुखता से उठाया था।
18 दिन तक हर दिन खरीदनी होगी ढाई लाख मैट्रिक टन धान
सरकार ने 115 लाख मैट्रिक टन धान की खरीदी अब तक की है। सरकार का लक्ष्य है 160 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी का। सरकार ने 31 जनवरी 25 तक खरीदी की समय सीमा तय की है। इस हिसाब से देखा जाए तो सरकार को 18 दिन में 45 लाख मैट्रिक टन धान की खरीदी करनी होगी। यानी ढाई लाख मैट्रिक टन प्रतिदिन।
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सरकार के पास समय कम है और धान की मात्रा ज्यादा। यानी क्रिकेट की भाषा में ऐसे समझिए कि बॉल कम हैं और रन ज्यादा बनाने हैं। अब तक जिस हिसाब से सरकार धान की खरीदी कर रही है, उस हिसाब से सरकार किसानों की पूरी धान नहीं खरीद सकती। इसलिए सरकार की मजबूरी है कि उसे धान खरीदी की समय सीमा बढानी ही होगी।
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