घोड़ा-गाड़ी नहीं बैलगाड़ी पर बैठकर निकले दूल्हे राजा, देखते रह गए लोग

महंगाई और दिखावे से दूर बलौदा बाजार जिले के भवानीपुर गांव में एक विवाह समारोह ने समाज को एक नई सोच और पुरानी संस्कृति की याद दिला दी है।

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Kanak Durga Jha
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groom came out bullock cart instead horse carriage people kept watching the sootr
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बलौदा बाजार जिला अंतर्गत विकासखंड पलारी के ग्राम पंचायत भवानीपुर में बुधवार को एक अनोखी बारात निकली। महंगाई और दिखावे से दूर बलौदा बाजार जिले के भवानीपुर गांव में एक विवाह समारोह ने समाज को एक नई सोच और पुरानी संस्कृति की याद दिला दी है।

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पारंपरिक गढ़वा बाजा में झूमते नजर आए

दरअसल यहां एक अनोखी शादी उस वक्त चर्चा का विषय बन गई, जब साहू परिवार के फत्ते साहू के पुत्र दूल्हे उत्तम साहू ने शिवकुमार साहू कि पुत्री दुल्हन रमा साहू को लेने बैलगाड़ी से बारात निकाली। यह दृश्य न सिर्फ देखने वालों के लिए आकर्षक था, बल्कि भावनात्मक भी। क्योंकि इसने गांव के बुजुर्गों को पुराने समय की यादों से जोड़ दिया।

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दूल्हे से बात करने को उन्होंने बताया कि वह अपने स्वर्गीय दादा घासू राम साहू की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने अपनी शादी में घोड़े गाड़ी या महंगे कार की वजह बैलगाड़ी से दुल्हन के घर तक जाने का फैसला लिया और इस फैसले ने बुजुर्गों को अपने पुराने दिन याद दिला दिए बारात को देखने के लिए आसपास के ग्रामीण सहित ग्रामवासी बड़ी संख्या में उत्साह और उमंग के साथ इस नजर का आनंद ले रहे थे, तो बाराती आधुनिक की इस दौर में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक गढ़वा बाजा में झूमते नजर आए।

लोगों में दिखी खुशी

गांव में जैसे ही बैलगाड़ियों से सजी यह बारात निकली तो लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस दृश्य को देखकर रोमांचित हो उठे। बैल गाड़ियों पर पारंपरिक सजावट और ढोल-मांदर की थाप से वातावरण में एक अलग ही उत्साह का माहौल देखने के मिला। जिसे देखने के लिऐ राह में गुजर रहे लोग भी रास्ता में रुककर बैलगाड़ी से सजी घोड़ा-गाड़ी नहीं बैलगाड़ी पर बैठकर निकले दूल्हे राजा के देखने को आतुर थे। यह बारात लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा।

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दृश्य को देखकर रोमांचित हो उठे ग्रामीण

गांव में जैसे ही बैलगाड़ियों से सजी यह बारात निकली तो लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस दृश्य को देखकर रोमांचित हो उठे। बैल गाड़ियों पर पारंपरिक सजावट और ढोल-मांदर की थाप से वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा फैल गई।

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FAQ

भवानीपुर गांव की इस शादी को "अनोखी बारात" क्यों कहा जा रहा है?
इस शादी को "अनोखी बारात" इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि दूल्हे उत्तम साहू ने कार या घोड़ा गाड़ी की जगह पारंपरिक बैलगाड़ी से बारात निकाली, जिससे महंगाई और दिखावे से दूर रहकर एक सादगीपूर्ण और सांस्कृतिक संदेश दिया गया।
दूल्हे उत्तम साहू ने बैलगाड़ी से बारात निकालने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तम साहू ने अपने स्वर्गीय दादा घासू राम साहू की इच्छा पूरी करने के लिए बैलगाड़ी से बारात निकालने का निर्णय लिया ताकि पारंपरिक संस्कृति को जीवित रखा जा सके और बुजुर्गों को पुराने दिनों की याद दिलाई जा सके।
ग्रामीणों की इस बारात को लेकर क्या प्रतिक्रिया रही?
ग्रामीणों में इस बारात को लेकर भारी उत्साह देखा गया। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस पारंपरिक और अनोखे दृश्य को देखकर रोमांचित हो उठे। ढोल-मांदर की थाप और गढ़वा बाजा के साथ निकली बारात पूरे गांव में आकर्षण का केंद्र बनी रही।