बिलासपुर में गांजा तस्करी से अर्जित लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है। यह कार्रवाई सफेमा कोर्ट मुंबई के आदेश पर की गई है। आरोपी जीआरपी कांस्टेबल और उसके परिजन लंबे समय से गांजा तस्करी में संलिप्त थे।
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कांस्टेबल के पास लक्जरी गाड़ियां
पुलिस की जांच में यह सामने आया कि आरोपी कांस्टेबल ने तस्करी के पैसे अपने साले के बैंक खाते में जमा करवाए और इस राशि से कई संपत्तियां और लक्जरी गाड़ियां खरीदी थीं। पुलिस ने फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन और एंड-टू-एंड कार्रवाई करते हुए आरोपी कांस्टेबलों द्वारा तस्करी से अर्जित रकम से खरीदी गई संपत्ति और लक्जरी गाड़ियों की जानकारी हासिल की। पुलिस ने सफेमा कोर्ट मुंबई में रिपोर्ट पेश की, और कोर्ट के आदेश पर उन संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया।
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ट्रेन में पेट्रोलिंग के दौरान करते थे गांजा सप्लाई
जीआरपी थाना ने 23 अक्टूबर को योगेश सौंधिया और रोहित द्विवेदी के कब्जे से 20 किलो गांजा जब्त किया था। उनके खिलाफ धारा 20 (बी) एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी।
जांच में यह सामने आया कि जीआरपी थाने में पदस्थ कांस्टेबल लक्ष्मण गाइन, मन्नु प्रजापति, संतोष राठौर और सौरभनागवंशी ने ट्रेन में पेट्रोलिंग के दौरान गांजा पकड़ा और इसे अपने साथी योगेश सौंधिया और श्यामधर चौधरी को बेचने के लिए उपलब्ध कराया।
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चारों कांस्टेबल महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, गोंदिया, चांपा, सक्ती, रायगढ़ जैसे स्थानों पर ट्रेन में पेट्रोलिंग के दौरान गांजा की सप्लाई करते थे। चेकिंग के दौरान जब गांजा बरामद होता था, तो यह दोनों आरोपी (गुड्डू और छोटू) पहले से बुलाए गए लोगों को ट्रेन में ही गांजा सप्लाई कर देते थे।
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