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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों को समर्थन देने वाले फंडिंग नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने चार और आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इनमें सुनीता पोटाम, शंकर मुचक्की और दशरथ उर्फ दसरू मोडियम शामिल हैं, जो प्रतिबंधित संगठन मूलवासी बचाओ मंच (MBM) से जुड़े पदाधिकारी थे। चौथा आरोपी मल्लेश कुंजाम, CPI (माओवादी) का सशस्त्र कैडर है, जो अब भी फरार चल रहा है।
MBM को अक्टूबर 2024 में छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा 3(1) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। जांच में सामने आया है कि यह संगठन माओवादियों का फ्रंटल ग्रुप था, जिसके जरिए अवैध फंडिंग और विरोध प्रदर्शनों को अंजाम दिया जाता था।
माओवादी फंडिंग और नेटवर्क का खुलासा
NIA की जांच में स्पष्ट हुआ है कि आरोपी नक्सल संगठन के लिए फंड इकट्ठा करने, जमा करने और आगे बांटने का काम करते थे। इन पैसों का इस्तेमाल सरकार के विकास कार्यों का विरोध करने और विभिन्न प्रदर्शन आयोजित करने में किया जाता था। अब तक इस केस में 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। इनमें से मल्लेश कुंजाम अभी फरार है।
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छत्तीसगढ़ में माओवादी फंडिंग नेटवर्क के खुलासे को ऐसे समझेंNIA ने चार और आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल की: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों को समर्थन देने वाले फंडिंग नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, तीन मूलवासी बचाओ मंच (MBM) पदाधिकारियों (सुनीता पोटाम, शंकर मुचक्की, दशरथ उर्फ दसरू मोडियम) और एक फरार CPI (माओवादी) कैडर (मल्लेश कुंजाम) समेत चार आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की है। फ्रंटल ग्रुप MBM पर प्रतिबंध: जांच में पता चला है कि मूलवासी बचाओ मंच (MBM) माओवादियों का एक फ्रंटल संगठन था, जिसका उपयोग अवैध फंडिंग जुटाने और सरकारी विकास कार्यों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किया जाता था; इस संगठन को अक्टूबर 2024 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। फंडिंग नेटवर्क का खुलासा: NIA की जांच से स्पष्ट हुआ कि आरोपी नक्सल संगठन के लिए पैसा इकट्ठा करने, जमा करने और वितरित करने का काम करते थे, जिसका इस्तेमाल नक्सली एजेंडे और सरकार विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में होता था। फरार आरोपी और कुल गिरफ्तारियां: इस मामले में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, जिनमें से CPI (माओवादी) कैडर मल्लेश कुंजाम अभी भी फरार चल रहा है। बीजापुर से हुई थी जांच की शुरुआत: यह केस मई 2023 में बीजापुर पुलिस द्वारा गजेंद्र मडवी और लक्ष्मण कुंजाम को 6 लाख रुपए नकद के साथ पकड़े जाने के बाद शुरू हुआ था, जिसे बाद में फरवरी 2024 में NIA को सौंपा गया था। |
बीजापुर से हुई थी शुरुआत
मई 2023 में बीजापुर पुलिस ने गजेंद्र मडवी और लक्ष्मण कुंजाम को 6 लाख रुपए नकद के साथ पकड़ा था। जांच से पता चला कि यह रकम माओवादी नेताओं के निर्देश पर अलग-अलग बैंक खातों में जमा की जानी थी। नवंबर 2023 में पुलिस ने दोनों के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी।
फरवरी 2024 में यह केस NIA को सौंपा गया। इसके बाद अगस्त 2025 में एजेंसी ने पहली पूरक चार्जशीट दाखिल की, जिसमें गजेंद्र और लक्ष्मण पर नए आरोप जोड़े गए और रघु मिडियामी को भी आरोपी बनाया गया। NIA ने कहा है कि मामले की जांच अभी जारी है और इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।
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कैसे काम करता था यह फंडिंग और नेटवर्क?
जांच से पता चला है कि आरोपी एक सुनियोजित तरीके से नक्सली संगठन के लिए अवैध फंडिंग इकट्ठा करने, उसे सुरक्षित रूप से जमा करने और फिर माओवादी नेताओं के निर्देश पर उसे अलग-अलग इलाकों में आगे बांटने का काम करते थे।