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Abujhmad encounter controversy: नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में 22 सितंबर को हुई मुठभेड़ में नक्सली नेता रामचंद्र रेड्डी की मौत के बाद मामला अब नया मोड़ लेता नजर आ रहा है। उनकी पत्नी के. शांति प्रिया ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश चस्पा किया और मृतक का दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग की। शांति प्रिया का कहना है कि मुठभेड़ फर्जी है और सच सामने लाने के लिए शव का पुनः परीक्षण जरूरी है।
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश
शांति प्रिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति रामचंद्र रेड्डी के मृत शरीर का पुनः पोस्टमार्टम कराने और उसे सुरक्षित रखने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि शव को सुरक्षित रखा जाए और पुनः पोस्टमार्टम कर जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जाए, ताकि मुठभेड़ के वास्तविक तथ्य सामने आ सकें।
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पत्नी का आरोप – फर्जी मुठभेड़
शांति प्रिया ने दावा किया कि उनके पति को 10 से 20 सितंबर के बीच हिरासत में रखा गया और इस दौरान उन्हें यातनाएं दी गईं, जबकि 20 सितंबर को उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने बताया कि शव पर चोट और जख्म हैं, लेकिन गोली का कोई निशान नहीं है। इसके बावजूद 22 सितंबर को इसे मुठभेड़ के रूप में पेश किया गया। शांति प्रिया ने इसे पूरी तरह से फर्जी मुठभेड़ करार दिया।
शव संरक्षण को लेकर विवाद
पत्नी ने आरोप लगाया कि शव संरक्षण के लिए उपलब्ध फ्रीजर पर्याप्त नहीं था। प्रशासन ने शव को वहीं रखने की बात कही, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक शव को सुरक्षित रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि कई दिनों तक शव को लेकर प्रशासन से तालमेल बैठाने में कठिनाइयाँ आईं और कलेक्टर कार्यालय से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
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नक्सली पृष्ठभूमि और संघर्ष
शांति प्रिया ने स्वीकार किया कि उनके पति नक्सली गतिविधियों में शामिल थे और 2008 से कई बार जेल में रहे। इस वजह से उन्हें खुद भी 11 साल जेल में बिताने पड़े। हालांकि, अब उनके पति की मौत के बाद शांति प्रिया सत्य की रक्षा और पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही हैं, ताकि मुठभेड़ की वास्तविकता सामने आ सके।
अबूझमाड़ एनकाउंटर विवाद क्या है?
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प्रशासन की चुप्पी
इस पूरे मामले पर प्रशासन और सुरक्षा बलों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कब तक मृतक का दुबारा पोस्टमार्टम किया जाएगा और उसमें कौन-से नए तथ्य सामने आएंगे, जो मुठभेड़ की सच्चाई को स्पष्ट कर सकें।