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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. राज्य जांच एजेंसी (State Investigation Agency - SIA) ने रायपुर के चंगोराभाठा इलाके में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक नक्सली दंपती को गिरफ्तार किया है। ये दोनों बीजापुर के रहने वाले हैं और बीते तीन महीनों से मजदूर के वेश में शहर में रह रहे थे। गिरफ्तार किए गए सक्रिय नक्सली जग्गू कुरसम उर्फ रवि उर्फ रमेश और उसकी पत्नी कमला कुरसम पर कुल 13 लाख रुपए का इनाम घोषित था। जग्गू पर 8 लाख और कमला पर 5 लाख रुपए का इनाम था।
जग्गू कुरसम (28) भैरंगढ़ डिविजनल कमेटी मेंबर (Divisional Committee Member - DVC) है, जबकि कमला कुरसम (27) एरिया कमेटी मेंबर (Area Committee Member - ACM) है। दोनों छत्तीसगढ़ के सबसे वांछित नक्सली लीडर्स में से एक थे और लंबे समय से सुरक्षा बलों की रडार पर थे। यह गिरफ्तारी नक्सल विरोधी अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दर्शाता है कि शहरी नक्सलवाद के नेटवर्क को तोड़ने के प्रयास तेज हो गए हैं।
एक कॉल ने दिया जांच एजेंसी काे क्लू
जुलाई 2025 से ये दंपती हेमंत देवांगन के मकान में किराए पर रह रहा था। उनके जीवन का तरीका बेहद गुमनाम था। पड़ोसियों के अनुसार, वे किसी से घुलते-मिलते नहीं थे, सुबह 9 बजे काम पर निकलते और रात 8-8:30 बजे लौटते थे। पास की दुकानों से राशन भी नहीं खरीदते थे। उनका यह सावधानी भरा व्यवहार उनकी पहचान छुपाने की रणनीति का हिस्सा था।
लेकिन, उनकी सावधानी के बावजूद, SIA को एक अहम क्लू मिला। कुछ दिन पहले, उन्हें नक्सलियों के एक बड़े नेता का फोन आया था। यह फोन कॉल ही उनकी जासूसी का कारण बनी और तभी से वे SIA की सर्विलांस (Surveillance) पर आ गए थे। पुख्ता सूचना मिलने के बाद, 23 सितंबर को दोनों को धर दबोचा गया। गिरफ्तारी के बाद डीडी नगर थाने में मामला दर्ज कर उन्हें रिमांड पर लिया गया है।
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नक्सलवाद का शहरी चेहरा: क्यों महत्वपूर्ण है यह गिरफ्तारी?
यह गिरफ्तारी इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शहरी नक्सलवाद (Urban Naxalism) के उस पहलू को उजागर करती है, जहाँ बड़े नक्सली नेता अपने लिए शहर में लॉजिस्टिक्स (Logistics) की व्यवस्था करने के लिए सक्रिय सदस्यों का इस्तेमाल करते हैं। जग्गू और कमला का मुख्य काम नक्सली नेताओं के लिए दवाइयां, अन्य उपकरण और सामग्री की व्यवस्था करना था। शहरी नेटवर्क का यह काम नक्सली संगठन के लिए जीवन रेखा (Lifeline) की तरह होता है।
जब्त सामान और आगे की जांच
आरोपियों के किराए के मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री मिली है:
10 तोले का सोने का बिस्किट (Gold Biscuit)
1.14 लाख रुपए नकद (Cash)
दो एंड्रॉइड फोन (Android Phones)
पुलिस अब उनके कॉल डिटेल्स खंगाल रही है, जिसके आधार पर अर्बन नक्सल नेटवर्क में शामिल कुछ अन्य लोगों की भूमिका की भी जाँच की जा रही है। यह जाँच यह पता लगाने में मदद करेगी कि रायपुर और आसपास के क्षेत्रों में उनका नेटवर्क कितना गहरा और व्यापक है।
शहरी क्षेत्र में सक्रिय नक्सली नेटवर्क और गिरफ्तारी को ऐसे समझें13 लाख के इनामी नक्सली दंपती गिरफ्तार: स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) और रायपुर पुलिस ने रायपुर के चंगोराभाठा इलाके में छापा मारकर 13 लाख के इनामी नक्सली दंपती - जग्गू कुरसम उर्फ रमेश (8 लाख) और कमला कुरसम (5 लाख) - को गिरफ्तार किया। मजदूर बनकर रह रहे थे: दोनों नक्सली, जो बीजापुर के हैं, पिछले 3 महीने से रायपुर में एक ठेकेदार के अधीन मजदूरी (Labor) कर रहे थे और पहचान छुपाकर अर्बन नक्सल (Urban Naxal) नेटवर्क का काम संभाल रहे थे। फोन कॉल से मिला क्लू: नक्सलियों के एक बड़े नेता के फोन कॉल के कारण ये SIA के सर्विलांस पर आ गए, जिससे उनकी लोकेशन और गतिविधियों की पुष्टि हुई और वे पकड़े गए। महत्वपूर्ण नक्सली पदों पर थे: गिरफ्तार दंपती संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर थे; जग्गू भैरंगढ़ डिवीजनल कमेटी मेंबर (DVC) और कमला एरिया कमेटी मेंबर (ACM) थी, और उनका मुख्य काम बड़े नेताओं को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (Logistics Support) देना था। जब्त सामान: पुलिस ने उनके किराए के मकान से 10 तोले का सोने का बिस्किट, 1.14 लाख रुपये नकद और दो एंड्रॉइड फोन जब्त किए हैं, जिससे अर्बन नक्सल फंडिंग और नेटवर्क की जाँच की जा रही है। |
जग्गू और कमला का नक्सली सफर
जग्गू कुरसम (28):11 साल की उम्र में नक्सली संगठन से जुड़ा। 2008 से हथियार लेकर सक्रिय। पहले गंगालूर, फिर माढ़ क्षेत्र में सक्रिय रहा। संगठन को मजबूत करने और नई भर्तियां (New Recruitment) करने में लगा रहा। वर्तमान में DVC मेंबर।
कमला कुरसम (27):2014 में 16 साल की उम्र में संगठन से जुड़ी। वर्तमान में ACM मेंबर। मुलाकात जंगल में हुई और वहीं शादी की।पहचान छुपाने का प्रयास: रायपुर में पहचान उजागर होने से बचने के लिए मजदूरी (Labor) करने लगे और लगातार ठिकाने बदल रहे थे (रायपुरा, सरोना, उरकुरा, उरला, भिलाई, दुर्ग)।
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शहरी नक्सलवाद: पहचान और कार्यप्रणाली
रिटायर्ड डीजी आर.के. विज के अनुसार, अर्बन नक्सली उन क्षेत्रों में अधिक सक्रिय होते हैं, जहाँ मजदूर तबका या निचले स्तर पर जीवन यापन करने वाले लोगों की आबादी 35% से अधिक होती है। इनकी कार्यप्रणाली को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. मास ऑर्गेनाइजेशन
ये अर्बन नक्सली विभिन्न कर्मचारी (Employees) या छात्र संगठन (Student Organizations) के सदस्य के तौर पर सक्रिय रहते हैं। इनका काम मजदूरों और कर्मचारियों के बीच रहकर अपना प्रोपेगेंडा (Propaganda) फैलाना और उन्हें नक्सलवाद के प्रति आकर्षित करना होता है।
2. यूनाइटेड फ्रंट (United Front)
यह छत्तीसगढ़ नक्सलवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू है। ये शहर में होने वाले विभिन्न आंदोलनों (Movements) में हमेशा सक्रिय रहते हैं। ये सामाजिक (Social) और राजनीतिक (Political) मुद्दों को उठाते हैं, जिससे वे समाज के एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल कर सकें।
3. लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (Logistics Support)
यह सबसे गुप्त (Secret) और महत्वपूर्ण कार्य है। इसके तहत नक्सली नेताओं की मदद करना, उनकी जरूरत का सामान, दवाइयां (Medicines) और हथियारों (Weapons) के लिए उपकरण या अन्य सामग्री जंगल (Forest) तक पहुंचाना शामिल है। जग्गू और कमला इसी कड़ी के महत्वपूर्ण भाग थे।
इसके अलावा, ये लोग सुरक्षा फोर्स (Force) की मूवमेंट (Movement) पर भी नजर रखते हैं और लगातार जंगल में आना-जाना करते रहते हैं।
रायपुर में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी गिरफ्तारियां
रायपुरनक्सली गतिविधियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना रहा है, जिसे समय-समय पर उजागर किया गया है।
पूर्व की बड़ी गिरफ्तारियां
2005: रायपुर के डंगनिया इलाके से सेंट्रल पोलित ब्यूरो (Central Polit Bureau) के सदस्य नारायण सान्याल को गिरफ्तार किया गया था।
2008:21 जनवरी को डंगनिया इलाके से हथियारों (Weapons) से भरा बैग बरामद हुआ था। इसके ठीक अगले दिन, 22 जनवरी को डंगनिया के एक महिला छात्रावास (Women's Hostel) से केएस शांतिप्रिया उर्फ मालती और मीना चौधरी उर्फ गीता चौधरी सहित अन्य को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से केएस शांतिप्रिया हाल ही में मारे गए नक्सली लीडर (सेंट्रल कमेटी मेंबर) कट्टा रामचंद्र रेड्डी की पत्नी थी।