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Photograph: (the sootr)
बीते दिनों वायरल हुए नक्सलियों के शांतिवार्ता और सीजफायर की मांग के पत्र पर अब छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। डिप्टी सीएम व गृहमंत्री विजय शर्मा ने शांतिवार्ता प्रस्ताव पर कहा कि नक्सलियों से दो ही शर्तों पर चर्चा की जा सकती है, पहली वे निर्दोष लोगों की हत्या करना और उन्हें डराना-धमकाना तत्काल बंद करें।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार भी शांति की पक्षधर है, लेकिन आतंक और शांति वार्ता एकसाथ नहीं चल सकते हैं। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक प्रदेश को पूरी तरह से नक्सलमुक्त करना है।
शांति वार्ता के लिए शर्तें:
विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलियों को सबसे पहले आम आदमियों की हत्या बंद करनी होगी। इसके अलावा, जंगलों में लगाए गए IED (Improvised Explosive Device) को हटाकर उसकी सूचना सार्वजनिक करनी होगी। यह दोनों शर्तें पूरी करने के बाद ही किसी भी प्रकार की चर्चा संभव हो सकती है। सरकार का कहना है कि किसी भी कीमत पर जनता की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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गृह मंत्री ने दिया दो पत्रों का विवरण
गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि नक्सलियों की ओर से दो पत्र जारी किए गए हैं। पहला पत्र पोलित ब्यूरो मेंबर का है, जबकि दूसरा पत्र एक जूनियर कैडर का है, जो तेलंगाना से संबंधित है। इन पत्रों में उठाए गए मुद्दों को भ्रामक और गुमराह करने वाला बताया गया है। विजय शर्मा ने कहा कि अगर नक्सलियों की नीयत साफ है, तो उन्हें पहले अपनी कार्रवाई से यह साबित करना होगा। हिंसा और धमकियों के बीच कोई भी बातचीत संभव नहीं है।
नक्सलियों के पत्र और डिप्टी सीएम की शर्त को ऐसे समझेंनक्सलियों की शांति पत्र: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने नक्सलियों द्वारा जारी शांति पत्र पर प्रतिक्रिया दी। शर्तें रखी गईं: शांति वार्ता के लिए नक्सलियों को आम आदमियों की हत्या बंद करने और जंगलों में लगे IED की सूचना सार्वजनिक करने की शर्त दी गई। हिंसा के खिलाफ सख्त रुख: विजय शर्मा ने कहा कि हिंसा और धमकियों के बीच कोई बातचीत संभव नहीं है। कांग्रेस पर आरोप: विजय शर्मा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने और प्रशासन को दबाव में काम करने का आरोप लगाया। नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई: वर्तमान सरकार नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है और गांवों तक विकास पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। |
कांग्रेस पर साधा निशाना
नक्सलियों के पत्र में उठाए गए सवालों के जवाब में विजय शर्मा ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय प्रशासन को दबाव में काम करना पड़ा और कई ईमानदार अधिकारियों को फंसाया गया। इस दौरान शराब के कारोबार में बाहरी लोगों को संरक्षण मिला, जिससे प्राप्त होने वाली राशि कांग्रेस भवन तक पहुंचती थी। शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि यही दबाव राजनीति ने प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर किया और अब उसके परिणाम सामने आ रहे हैं।
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोर्चा
विजय शर्मा ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार नक्सलवाद के खिलाफ एक निर्णायक मोर्चा खोल चुकी है। सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं और हर गांव तक विकास पहुंचाने की योजना पर काम हो रहा है। उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें। शांति की बात करनी है तो पहले बंदूकें नीचे रखनी होंगी। उन्होंने कहा कि तब ही सरकार संवाद की संभावनाओं पर विचार कर सकती है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की प्रतिक्रिया
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने सरकार की नक्सलियों से संबंधित नीति पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने अब तक चिट्ठी की सत्यता को लेकर कोई स्पष्टता नहीं दी है। बैज ने यह भी कहा कि नक्सलियों को कमजोर आंकना सरकार का ओवर कांफिडेंस है, और यही गलत समझ सरकार को भारी पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप ही हाल ही में बस्तर क्षेत्र में अतिरिक्त एसपी की शहादत और नक्सलियों द्वारा शिक्षकों की हत्या जैसी घटनाएं घटी हैं।
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नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की नीति
वर्तमान सरकार नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का संकल्प ले चुकी है। शांति और हिंसा की सटीक स्थिति में ही बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। सरकारी दृष्टिकोण के अनुसार, अगर नक्सल संगठन के लोग शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करने के लिए तैयार हैं, तो सरकार भी शांति स्थापित करने के लिए पहल करेगी, लेकिन हिंसा और धमकियों के बीच कोई भी बातचीत संभव नहीं है।
मुख्य शर्तें:
आम आदमियों की हत्या बंद करना।
जंगलों से IED हटाना और उसकी सूचना सार्वजनिक करना।
शांति के लिए यह शर्तें अनिवार्य हैं और सरकार की दृढ़ नीति के तहत नक्सलियों से यह सुनिश्चित करना है कि वे आम जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।