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Photograph: (the sootr)
गृहमंत्री अमित शाह के अल्टीमेटम का असर अब नक्सलियों पर दिखाई देने लगा है। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाइयों से घबराए नक्सलियों ने अब केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा है।
यह प्रस्ताव सीपीआई (एम) के बड़े नेता अभय की ओर से एक प्रेस नोट के जरिए दिया गया है। इस प्रेस नोट में नक्सली नेता ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष कर रही है, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान हो रहा है।
हालांकि इस पत्र पर 15 अगस्त की तारीख डाली गई है, लेकिन यह पत्र मंगलवार 16 सितंबर से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस पत्र में नक्सली नेता ने एक महीने का सीजफायर करने, हथियारबंद संघर्ष रोकने और जेल में बंद बड़े नक्सली नेताओं से वीडियो कॉल पर बात करवाने की मांग भी की है।
गृहमंत्री ने 2026 तक खात्मे की दी है डेडलाइन
देश के छत्तीसगढ़, ओडिशा सहित कुछ अन्य राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को लेकर केंद्र सरकार पिछले कुछ महीनों से काफी सख्त रुख अपनाए हुए है। गृहमंत्री अमित शाह ने देश से 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की डेडलाइन तय कर दी है।
इसी डेडलाइन के तहत देश के सुरक्षा बलों और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा छत्तीसगढ़ के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में बीते एक महीने में ही दस करोड़ से अधिक इनामी नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है।
लगातार हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के चलते नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं, जिसके कारण अब वे बंदूक का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की बात कह रहे हैं।
क्या है शांति वार्ता का प्रस्ताव?
CPI (माओवादी) का कहना है कि यदि सरकार शांति वार्ता की गंभीरता को समझती है, तो वह जेल में बंद माओवादी नेताओं से भी विचार-विमर्श की अनुमति दे। इसके अलावा, संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह 30 दिनों के लिए सीजफायर लागू करने और अभियान को रोकने को तैयार है। उनका यह प्रस्ताव एक सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ाने की ओर इशारा करता है, जिसमें वे शांति की ओर एक लंबा रास्ता तय करने के लिए तैयार हैं।
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नक्सली लीडर अभय का प्रेस नोट
नक्सली लीडर अभय ने 15 अगस्त 2025 को एक प्रेस नोट जारी किया था जो अब वायरल हो रहा है। इस प्रेस नोट में उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह एक महीने तक सीजफायर घोषित करे और शांति वार्ता की प्रक्रिया शुरू करने का अवसर दे। अभय ने कहा कि वीडियो कॉल के जरिए भी बातचीत की जा सकती है, जिससे संवाद का रास्ता खुल सके। उनका मानना है कि अगर सरकार इस पहल को गंभीरता से लेती है, तो शांति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है।
नक्सलियों के प्रस्ताव और सरकार के जबाव को ऐसे समझें
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बस्तर IG ने कहा प्रेस नोट की कर रहे जांच
इस प्रेस नोट के बाद बस्तर IG सुंदरराज पी ने बताया कि वे इस पर्चे की जांच कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार करेगी और उसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया दी जाएगी।
साथ ही, गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी सार्थक वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए कोई शर्त नहीं होनी चाहिए। सरकार का कहना है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए उनके शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा।
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नक्सलियों की लगातार कमजोर होती स्थिति
नक्सली संगठन के भीतर इस समय काफी उथल-पुथल मची हुई है। पिछले कुछ महीनों में, खासकर 2024 से, माओवादी संगठन और नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ सशस्त्र बलों को उल्लेखनीय सफलता मिली है। बीते कुछ दिनों में ही करोड़ों रूपए के इनामी नक्सली मारे गए है। जिससे इन्हें काफी नुकसान हुआ।
नक्सलियों के प्रवक्ता अभय ने पहले भी शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि ऑपरेशन बंद किया जाता है, तो वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। छत्तीसगढ़ नक्सलवाद की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकेगा।