हाईकोर्ट ने दी नाबालिग छात्रा के गर्भपात की मंजूरी, भ्रूण को सुरक्षित रखने का आदेश

छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी।पीड़िता ढाई महीने (10 सप्ताह) की गर्भवती है। यह भी निर्देश दिया कि भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की एक 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है। पीड़िता करीब ढाई महीने (10 सप्ताह) की गर्भवती है। मामले में जस्टिस गौरव शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए यह भी निर्देश दिया कि गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए।

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यह है मामला 

करीब एक साल पहले एक लड़के ने नाबालिग युवती को प्यार का झांसा देकर अपने जाल में फंसाया और दोनों के बीच करीबियां बढ़ी। उसी दौरान एक दिन छात्रा स्कूल के लिए घर से निकली तब आरोपी उसे बहलाकर अपने साथ कही और ले गया। आरोपी युवक ने उसे ले जाकर शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस की खोजबीन के बाद दोनों मिल गए, और युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया। छात्रा का मेडिकल टेस्ट कराने पर पता चला कि वह ढाई महीने (10 सप्ताह) की गर्भवती है। 

पीड़िता के परिवार ने न्याय की गुहार लगाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट को दी गई मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता के स्वास्थ्य पर गर्भ के प्रभाव की आशंका जताई गई थी, जिसे ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दी गई।

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भ्रूण सुरक्षित रखने का आदेश 

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि भ्रूण को संरक्षित रखना आवश्यक है, ताकि आरोपी की पहचान डीएनए परीक्षण के जरिए सुनिश्चित की जा सके और केस को सबूतों के आधार पर मज़बूती से अदालत में प्रस्तुत किया जा सके। आदेश में यह भी कहा गया है कि पीड़िता की पहचान गुप्त रखी जाए। 

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आगे की कार्रवाई 

इस घटना को लेकर पुलिस भी जांच में जुट गई है और आरोपी की गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है। पीड़िता को उचित चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया है।

यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह कोर्ट पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करते हुए अपराधियों को कानून के दायरे में लाने का प्रयास कर रहा है।

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