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प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने एक बार फिर दस्तक दे दी है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से बेखबर बना हुआ है। हाईकोर्ट के जस्टिस भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। पिछले एक सप्ताह में बिलासपुर में 10 नए कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से 4 मरीज केवल शुक्रवार को ही मिले। आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम की स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को भनक तक नहीं लगी, और वे लगातार "शहर में एक भी मरीज नहीं" होने का दावा करते रहे।
हाईकोर्ट जस्टिस की रिपोर्ट से टूटी चुप्पी
शहर में कोरोना की चुपचाप वापसी तब उजागर हुई, जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की रिपोर्ट 4 जून को पॉजिटिव आई। वे समर वेकेशन के दौरान टूर पर गए थे और लौटने के बाद तबीयत बिगड़ने पर आरटी-पीसीआर जांच करवाई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है। इसी घटना ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की परतें खोल दीं।
सरकारी दावों की हकीकत
गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा मॉकड्रिल की गई, जिसमें बताया गया कि जिले में कोई नया संक्रमित नहीं मिला। लेकिन रायपुर से मिली आधिकारिक पुष्टि ने साफ कर दिया कि 10 संक्रमित पहले से मौजूद थे, और इनकी जानकारी स्थानीय रिपोर्टिंग सिस्टम में दर्ज ही नहीं की गई थी।
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बिना ट्रेसिंग, बिना निगरानी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संक्रमित मरीजों से संपर्क करने की कोई पहल नहीं की। संक्रमितों की ट्रैवल हिस्ट्री भी खुद मरीजों और परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर जुटाई जा रही है। कई संक्रमितों को होम आइसोलेशन की सलाह तक नहीं दी गई थी।
सावधानी हटी, संक्रमण बढ़ा
शुक्रवार को मिले चार नए संक्रमितों में एक 8 साल की बच्ची, 16 साल की किशोरी और 86 वर्षीय बुजुर्ग शामिल हैं। बुजुर्ग शहर के 27 खोली इलाके के निवासी हैं। गुलाब नगर, मोपका में रहने वाले एक परिवार के तीन सदस्य भी संक्रमित मिले हैं। यह परिवार हाल ही में पुरी यात्रा से लौटा था।
यात्रा से लौटने के बाद 48 वर्षीय पुरुष में लक्षण उभरे, उन्होंने रायपुर की यात्रा भी की और फिर टेस्ट कराया। शुक्रवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके 16 वर्षीय बेटे और 8 वर्षीय बेटी की जांच में भी कोरोना की पुष्टि हुई।
नोडल अधिकारी की लापरवाही पर सीएमएचओ नाराज़
मामले में सबसे बड़ी चूक कोविड नोडल अधिकारी डॉ. प्रभात श्रीवास्तव की मानी जा रही है। उन्होंने संक्रमितों की जानकारी न तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को दी, और न ही विभागीय आंकड़ों में इसे जोड़ा। वे केवल स्टेट नोडल अधिकारी को रिपोर्ट भेजते रहे। इस पर CMHO डॉ. सुरेश तिवारी ने नाराज़गी जताते हुए निर्देश दिए कि हर दिन की जानकारी जिला कार्यालय को भी दी जाए।
सिस्टम में झोल, खतरे में शहर
बिलासपुर में कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे फिर से पांव पसार रहा है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अभी भी गंभीरता नहीं दिखा रहे। जिस तरह से एक हाईकोर्ट जस्टिस के संक्रमित होने के बाद ही प्रशासन को चेतना आई, वह साफ दर्शाता है कि फील्ड में निगरानी, रिपोर्टिंग और तंत्र की सक्रियता बेहद कमजोर हो गई है।
यदि यही हालात रहे, तो आने वाले दिनों में शहर एक बार फिर कोरोना की चपेट में आ सकता है। ज़रूरत है, सतर्कता, पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई की—not सिर्फ बैठकों और मॉकड्रिल की।
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