बिलासपुर-रतनपुर नेशनल हाईवे जाम करने के मामले में हाईकोर्ट सख्त,राज्य सरकार से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईवे जाम कर रील बनाने पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से जवाब तलब। सिर्फ चालान पर नाराज़गी, महंगी गाड़ियां जब्त क्यों नहीं हुईं – कोर्ट।

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Harrison Masih
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बिलासपुर-रतनपुर नेशनल हाईवे पर महंगी गाड़ियों का काफिला खड़ा कर रास्ता जाम कर सोशल मीडिया के लिए रील बनाने वाले युवाओं के खिलाफ केवल दिखावटी कार्रवाई करने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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क्या है मामला?

कुछ दिनों पहले रायपुर के टोयोटा शोरूम से फॉर्च्यूनर खरीदने के बाद कुछ युवकों ने बिलासपुर-रतनपुर हाईवे (NH-130) को कोनी थाना क्षेत्र में जाम कर दिया। उन्होंने बाकायदा स्टूडियो, फोटोग्राफर और ड्रोन कैमरा बुलवाकर एक फुल-फ्लेज रील शूट की, जिसे बाद में सोशल मीडिया पर धौंस दिखाते हुए पोस्ट किया गया। इस दौरान आम जनता को भारी परेशानी हुई, क्योंकि यातायात पूरी तरह बाधित रहा।

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पुलिस की ढीली कार्रवाई पर उठे सवाल

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और बाद में ट्रोलिंग के चलते आरोपी युवाओं ने अपनी ID बंद कर दी। मीडिया में मामला आने के बाद पुलिस ने सिर्फ सात गाड़ियों पर ₹2,000–₹2,000 का चालान काटकर खानापूर्ति कर दी। न ही गाड़ियाँ जब्त की गईं और न ही बीएनएस की धाराओं में कोई कड़ी कार्रवाई की गई।

हाईकोर्ट की नाराजगी

सोमवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए सुनवाई की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब अन्य मामलों में पुलिस गाड़ियाँ जब्त करती है, तो इस मामले में क्यों नहीं की गई? केवल चालान कर छोड़ देना, कानून का मखौल है। कोर्ट ने पूछा कि सिर्फ मोटर व्हीकल एक्ट की धाराएं ही क्यों लगाई गईं? और क्या गाड़ियों की जब्ती की कार्रवाई की गई?

 

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1. हाईवे पर रील, ट्रैफिक जाम

बिलासपुर-रतनपुर हाईवे पर कुछ युवाओं ने लग्जरी कारों के साथ रील बनाते हुए सड़क जाम कर दी, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी हुई।

2. सिर्फ दिखावे की कार्रवाई

पुलिस ने शुरुआत में सिर्फ 7 गाड़ियों पर 2-2 हजार का चालान किया, न तो कोई केस दर्ज किया गया और न ही गाड़ियां जब्त की गईं।

3. हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस डिवीजन बेंच ने मामले को स्वत: संज्ञान में लिया और सरकार से विस्तृत जवाब मांगा।

4. कड़ी टिप्पणी, कार्रवाई पर सवाल

चीफ जस्टिस ने नाराज़गी जताते हुए पूछा कि मोटर व्हीकल एक्ट के अलावा दूसरी धाराएं क्यों नहीं लगाई गईं और गाड़ियां जब्त क्यों नहीं हुईं?

5. सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया, साथ ही पुलिस की लापरवाही पर गंभीर सवाल उठाए।

 

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राज्य सरकार को नोटिस, अगली सुनवाई में जवाब तलब

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब मांगा है और यह स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं कि पुलिस ने क्या कार्रवाई की है और किस आधार पर गाड़ियों को नहीं जप्त किया गया। अगली सुनवाई में सरकार को अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।

यह मामला बताता है कि सोशल मीडिया की लोकप्रियता की आड़ में कानून का मज़ाक उड़ाने वालों पर अब अदालत की नज़र सख्त हो गई है, और पुलिस की निष्क्रियता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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