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मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। सिस्टम की मार से इंसान तो इंसान भगवान भी अछूते नहीं है। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। शहर में हरियाली और सांस्कृतिक चेतना बढ़ाने के मकसद कृष्ण कुंज योजना की शुरआत की गई थी। इसके तहत मनेन्द्रगढ़, झगड़ा खांड, नई लेदरी और खोंगापानी में कृष्ण कुंज बनाया जाना था, जिसमें भगवान कृष्ण की प्रतिमा विराजमान होनी थी। प्रशासन की ओर से कृष्ण कुंज का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां अब तक कृष्ण कुंज में नहीं विराजी गईं ।
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वन विभाग की ओर से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा फिलहाल मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र कार्यालय में जमीन पर पड़ी धूल खा रही हैं। प्रशासन की इस लापरवाही से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।
गुलाब कमरो ने उठाए सवाल
भरतपुर-सोनहत विधानसभा सीट से पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने इसे 'भगवान का अपमान' करार दिया है। उन्होंने कहा कि “भगवान के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी अब उन्हीं की मूर्ति की उपेक्षा कर रही है”। उन्होंने आगे कहा कि “सरकार भगवान के नाम पर वोट मांगती है। कभी राम के नाम पर, कभी कृष्ण के नाम पर । लेकिन हकीकत में उनका पालन करने या सम्मान देने की मानसिकता नहीं दिखती।” उन्होंने आगे कहा, “अब मूर्तियों की स्थापना तत्काल की जानी चाहिए, नहीं तो यह केवल योजनाओं का राजनीतिक दोहन भर रह जाएगा।”
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'जिम्मेदारी से भाग रहे अफसर'
गुलाब कमरो यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि 'जब भूपेश बघेल की सरकार थी, तब कृष्ण कुंज को लेकर गंभीरता थी,काम में तेजी थी। लेकिन वर्तमान में मूर्ति स्थापित करना तो दूर, विभागीय अधिकारी ज़िम्मेदारी से भागते नजर आ रहे हैं'।
ये है योजना का मकसद
कृष्ण कुंज योजना का उद्देश्य शहरों में हरियाली बढ़ाना, प्रदूषण कम करना, बच्चों को खेल के लिए सुरक्षित स्थान देने के साथ ही औषधीय पौधों की उपलब्धता से आम जनता को घरेलू उपचार में सुविधा प्रदान करना है। योजना के अनुसार, कृष्ण कुंज को कम से कम एक एकड़ सरकारी जमीन पर शहर के पास विकसित किया जाना था। इसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़ी धार्मिक, पारंपरिक और औषधीय पौधों का भी समावेश किया जाना है।
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कन्नी काट रहे जिम्मेदार
इस योजना की जिम्मेदारी वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को दी गई थी। लेकिन मनेंद्रगढ़ वन मंडल की ओर से जिस तरह भगवान कृष्ण की मूर्तियों की अनदेखी की गई है, उससे न सिर्फ विभाग की कार्यशैली बल्कि अफसरों की नियति पर भी सवाल उठ रहे हैं। जब इस मामले में जानकारी लेने के लिए जब हमने वन परिक्षेत्राधिकारी मनेंद्रगढ़ को कॉल किया तो उन्होंने कॉल रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा। साथ ही हमारी टीम तीन दिन तक दफ्तर के चक्कर काटती रही, लेकिन डीएफओ ने मुलाकात करना तो दूर यह कहकर टीम को वापस लौटा दिया कि, उनके पास दस्तखत के लिए बहुत सी फाइलें हैं।
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जनप्रतिनिधियों ने की ये मांग
स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम नागरिकों ने भी शासन से मांग की है कि भगवान कृष्ण की मूर्तियां जल्द विराजमान की जाएं साथ ही योजना की मूल भावना के अनुरूप इसे क्रियान्वित किया जाए। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसका हाल भी बाकी योजनाओं की ही तरह होगा।
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