आईआईटी भिलाई के वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान सीमा पर झुलसाने वाली गर्मी में तैनात जवानों के लिए एक ऐसा जैकेट निजात किया है जो 50 डिग्री तापमान में भी पहनने वाले को अंदर से ठंडक का अहसास कराएगा। फिलहाल इसे कोई नाम नहीं दिया गया है, लेकिन एसी की तरह काम करने के कारण इसे एसी वाला जैकेट कहा जा रहा है।
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5 से 6 घंटे तक ठंडा करेगा जैकेट
हाइसिक्योरिटी लैब में हुई जांच में यह 100 प्रतिशत खरा उत्तरा है। जैकेट का आविष्कार डिपार्टमेंट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उदय राज और उनकी टीम ने किया है। इस पर वे करीब एक साल से काम कर रहे थे।
प्रो. राज के मुताबिक जिस तरह मिट्टी के घड़े में रखा पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है, इसी फार्मूले के तहत जैकेट शरीर को ठंडा रखेगा। जैकेट को पानी में डूबाकर निकालना है और एक दो मिनट में पहन लेना है। यह वाटर प्रूफ होगा। इसलिए गोला नहीं लगेगा पर अंदर पानी होगा, जो शरीर की गर्मी को बाहर निकालेगा और ठंडा रखेगा। एक बार पहनने पर यह 5 से 6 घंटे तक ठंडा करेगा।
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बांस से बने कपड़े से तैयार हुआ है जैकेट
विशेषज्ञों ने बताया कि जैकेट हरित सामग्री (सस्टेनेबल मटेरियल) से बना है। इसमें बांस से बने कपड़े का उपयोग किया गया है। किसी प्रकार के कैमिकल का उपयोग नहीं किया गया है। शरीर को इससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है। लैब मैं इस पर शोध हो चुका है। जापान सहित कुछ देशों में गर्मी से बचाने के लिए इस तरह के जैकेट का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी लागत काफी ज्यादा होती है। इसलिए आईआईटी भिलाई ने कम लागत और बिना कैमिकल उपयोग के इसे बनाने में सफलता हासिल की है।
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